본문 바로가기
3 हिंदी बाइबिल Eng comment

56 7th day

by aparke 2024. 1. 27.
      7th day[1]
 1 day is 1000 years.[2] The 7th day is the 7th 1000-year. At the end of this 7th day, the history of Hades is over.[3]
यशायाह 35:1 जंगल और निर्जल देश प्रफुल्लित होंगे, मरूभूमि मगन होकर केसर के समान फूलेगी;
यशायाह 35:2 वह अत्यन्त प्रफुल्लित होगी और आनन्द के साथ जयजयकार करेगी। उसकी शोभा लबानोन की सी होगी* और वह कर्मेल और शारोन के तुल्य तेजोमय हो जाएगी। वे यहोवा की शोभा और हमारे परमेश्‍वर का तेज देखेंगे। परमेश्‍वर द्वारा सब कुछ परिवर्तन
यशायाह 35:3 ढीले हाथों को दृढ़ करो और थरथराते हुए घुटनों को स्थिर करो। (इब्रा. 12:12)
यशायाह 35:4 घबरानेवालों से कहो, “हियाव बाँधो, मत डरो! देखो, तुम्हारा परमेश्‍वर बदला लेने और प्रतिफल देने को आ रहा है। हाँ, परमेश्‍वर आकर तुम्हारा उद्धार करेगा।
यशायाह 35:5 तब अंधों की आँखें खोली जाएँगी और बहरो के कान भी खोले जाएँगे;
यशायाह 35:6 तब लँगड़ा हिरन की सी चौकड़ियाँ भरेगा और गूँगे अपनी जीभ से जयजयकार करेंगे। क्योंकि जंगल में जल के सोते फूट निकलेंगे और मरूभूमि में नदियाँ बहने लगेंगी; (मत्ती 11:5, यशा. 41:17-18)
यशायाह 35:7 मृगतृष्णा ताल बन जाएगी और सूखी भूमि में सोते फूटेंगे; और जिस स्थान में सियार बैठा करते हैं उसमें घास और नरकट और सरकण्डे होंगे।
      To say here that grass with reeds and rushes will grow in the desolate place where Tannins lay, does not mean that a place that was desolated for the 1000 years Satan was imprisoned in the abyss, will be turned into a paradise after 1000 years. The new heaven and the new earth[4] which are the paradise with the tree of life[5], last only for 1000 years after the 1st heaven and the 1st earth are burned by fire[6] and Satan is imprisoned in the abyss. The paradise will disappear before the great white throne judgment after 1000 years[7], after Satan was briefly released and thrown into the lake of fire.[8] This scene depicts the new heaven and the new earth that will be established for the 1000 years that Satan is imprisoned in the abyss. Does this mean that the new heaven and the new earth will be established exactly where the 1st heaven and the 1st earth were?
      The dissolution of the 1st heaven and the 1st earth in fire may have been expressed by throwing the superpower which is the sea beast[9] that took control of the whole world, the 1st heaven and the 1st earth, and the false prophet which is the earth beast[10], into the lake of fire.[11] After the LORD Jesus has come down even to the earth to judge the beast forces[12], He will melt the 1st heaven and the 1st earth with fire.[13] However, the sea beast and the earth beast that the LORD Jesus threw into the lake of fire when Satan was imprisoned in the abyss, are still burning 1000 years after Satan was released from the abyss and finally thrown into the lake of fire.[14] If the melting of the 1st heaven and the 1st earth in fire is expressed as the burning of the sea beast and the earth beast in the lake of fire, then, to say that the sea beast and the earth beast are still burning in the lake of fire after 1000 years means that the 1st heaven and the 1st earth are still burning in fire after 1000 years. If so, it means that the LORD Jesus will not establish the new heaven and the new earth in the same place where He put the 1st heaven and the 1st earth. This is because the 1st heaven and the 1st earth will continue to burn for the 1000 years of the new heaven and the new earth.
      However, if the new heaven and the new earth can coexist on the earth in a state separate from the burning 1st heaven and the 1st earth, (although it is unlikely[15],) it can be said that the new heaven and the new earth have been established in the place where the 1st heaven and the 1st earth were placed. There might be, so I can't say for sure. In any case, the new heaven and the new earth is an area similar to that of the earth where people farm[16] and there are animals.[17] People who lived in pain on the earth controlled by Satan, live peacefully in the same environment as the earth, but without Satan. This may have been expressed as 'there shall be grass with reeds and rushes where tannins lay'.
      There may be the view that the beast thrown into the lake of fire is not the superpower, but a fallen angel who has taken over the superpower.[18] Then, it will not be the superpower, but the fallen angel that will burn in the lake of fire, so the 1st heaven and the 1st earth will not burn for more than 1000 years. If so, there may be an opinion that the 1st heaven and the 1st earth dissolved in the fire will be restored to the new heaven and the new earth. Of course, there is also the opinion that the 1st heaven and the 1st earth will completely melt and disappear.[19]
      The new heaven and the new earth will be formed in a part of the 1st heaven and the 1st earth or in a similar but different place, and the 1st heaven and the 1st earth which are not related to the new heaven and the new earth, will continue to burn for 1000 years or melt away.[20] After 1000 years, Satan will be able to run rampant again in the new heaven and the new earth, and the evil people who have been deceived by Satan will fill the paradise.[21] Judging from this, the new heaven and the new earth will not be the heaven of angels that Satan cannot reach.[22] In addition, people will live by farming[23] and building houses[24] for 1000 years, and animals such as lions and sheep will still be there, with only their natures changed.[25] In view of this, it is expected that the new heaven and the new earth will have similar environments to the 1st heaven and the 1st earth.
यशायाह 35:8 वहाँ एक सड़क अर्थात् राजमार्ग होगा, उसका नाम पवित्र मार्ग होगा; कोई अशुद्ध जन उस पर से न चलने पाएगा; वह तो उन्हीं के लिये रहेगा और उस मार्ग पर जो चलेंगे वह चाहे मूर्ख भी हों तो भी कभी न भटकेंगे।
यशायाह 35:9 वहाँ सिंह न होगा ओर न कोई हिंसक जन्तु उस पर न चढ़ेगा न वहाँ पाया जाएगा, परन्तु छुड़ाए हुए उसमें नित चलेंगे।
यशायाह 35:10 और यहोवा ने छुड़ाए हुए लोग लौटकर जयजयकार करते हुए सिय्योन में आएँगे; और उनके सिर पर सदा का आनन्द होगा; वे हर्ष और आनन्द पाएँगे और शोक और लम्बी साँस का लेना जाता रहेगा। (प्रका. 21:4)
      Among those who were in the 1st heaven and the 1st earth, only those who participated in the 1st resurrection can see the new heaven and the new earth. Exceptionally, it is expected that those who have not undergone verification of faith, such as the repentant criminal on the cross, will be raised again[26], but it is assumed that they will not be raised wearing the spiritual body worn by the martyr witnesses.[27] This is because only those who have nothing to do with sin and cannot die again will be clothed with the spiritual body.[28] However, those who have to go through the verification of their faith may die of Satan's deception after 1000 years.[29] They will probably be resurrected in soulish body. Resurrection of this kind is taking place even in this age.[30] But thorns and thistles, the lusts for sin[31], will not rise from their flesh for at least 1000 years.[32]


[1] उत्पत्ति 2:2 और परमेश्‍वर ने अपना काम जिसे वह करता था सातवें दिन समाप्त किया, और उसने अपने किए हुए सारे काम से सातवें दिन विश्राम किया।* (इब्रा. 4:4) और परमेश्‍वर ने सातवें दिन को आशीष दी और पवित्र ठहराया; क्योंकि उसमें उसने सृष्टि की रचना के अपने सारे काम से विश्राम लिया।

[2] 2पतरस 3:8 हे प्रियों, यह एक बात तुम से छिपी न रहे, कि प्रभु के यहाँ एक दिन हजार वर्ष के बराबर है, और हजार वर्ष एक दिन के बराबर हैं। (भज. 90:4)

  भजन संहिता 90:4 क्योंकि हज़ार वर्ष तेरी दृष्टि में ऐसे हैं, जैसा कल का दिन जो बीत गया, या रात का एक पहर। (2 पत. 3:8)

[3] प्रकाशित वाक्य 20:13 और समुद्र ने उन मरे हुओं को जो उसमें थे दे दिया, और मृत्यु और अधोलोक ने उन मरे हुओं को जो उनमें थे दे दिया; और उनमें से हर एक के कामों के अनुसार उनका न्याय किया गया। और मृत्यु और अधोलोक भी आग की झील में डाले गए। यह आग की झील तो दूसरी मृत्यु है।

[4] प्रकाशित वाक्य 22:1 फिर उसने मुझे बिल्लौर के समान झलकती हुई, जीवन के जल की एक नदी* दिखाई, जो परमेश्‍वर और मेम्‍ने के सिंहासन से निकलकर, उस नगर की सड़क के बीचों बीच बहती थी। नदी के इस पार और उस पार जीवन का पेड़ था; उसमें बारह प्रकार के फल लगते थे, और वह हर महीने फलता था; और उस पेड़ के पत्तों से जाति-जाति के लोग चंगे होते थे। (यहे. 47:7)

[5] 2कुरिन्थियों 12:2 मैं मसीह में एक मनुष्य को जानता हूँ, चौदह वर्ष हुए कि न जाने देहसहित, न जाने देहरहित, परमेश्‍वर जानता है, ऐसा मनुष्य तीसरे स्वर्ग तक उठा लिया गया। मैं ऐसे मनुष्य को जानता हूँ न जाने देहसहित, न जाने देहरहित परमेश्‍वर ही जानता है। कि स्वर्गलोक पर उठा लिया गया, और ऐसी बातें सुनीं जो कहने की नहीं; और जिनका मुँह में लाना मनुष्य को उचित नहीं।

[6] 2पतरस 3:12 और परमेश्‍वर के उस दिन की प्रतीक्षा किस रीति से करना चाहिए और उसके जल्द आने के लिये कैसा यत्न करना चाहिए; जिसके कारण आकाश आग से पिघल जाएँगे, और आकाश के गण बहुत ही तप्त होकर गल जाएँगे। (यशा. 34:4) पर उसकी प्रतिज्ञा के अनुसार हम एक नये आकाश और नई पृथ्वी की आस देखते हैं जिनमें धार्मिकता वास करेगी। (यशा. 60:21, यशा. 65:17, यशा. 66:22, प्रका. 21:1, 27)

[7] प्रकाशित वाक्य 20:11 फिर मैंने एक बड़ा श्वेत सिंहासन और उसको जो उस पर बैठा हुआ है, देखा, जिसके सामने से पृथ्वी और आकाश भाग गए, और उनके लिये जगह न मिली। (मत्ती 25:31, भज. 47:8)

[8] प्रकाशित वाक्य 20:7 जब हजार वर्ष पूरे हो चुकेंगे तो शैतान कैद से छोड़ दिया जाएगा। और उन जातियों को जो पृथ्वी के चारों ओर होंगी, अर्थात् गोग और मागोग को जिनकी गिनती समुद्र की रेत के बराबर होगी, भरमाकर लड़ाई के लिये इकट्ठा करने को निकलेगा। और वे सारी पृथ्वी पर फैल जाएँगी और पवित्र लोगों की छावनी और प्रिय नगर को घेर लेंगी और आग स्वर्ग से उतरकर उन्हें भस्म करेगी। (यहे. 39:6) और उनका भरमानेवाला शैतान आग और गन्धक की उस झील में, जिसमें वह पशु और झूठा भविष्यद्वक्ता भी होगा, डाल दिया जाएगा; और वे रात-दिन युगानुयुग पीड़ा में तड़पते रहेंगे। (मत्ती 25:46)

[9] प्रकाशित वाक्य 13:1 मैंने एक पशु को समुद्र में से निकलते हुए देखा, जिसके दस सींग और सात सिर थे। उसके सींगों पर दस राजमुकुट, और उसके सिरों पर परमेश्‍वर की निन्दा के नाम लिखे हुए थे। (दानि. 7:3, प्रका. 12:3)

[10] प्रकाशित वाक्य 13:11 फिर मैंने एक और पशु को पृथ्वी में से निकलते हुए देखा, उसके मेम्‍ने के समान दो सींग थे; और वह अजगर के समान बोलता था।

[11] प्रकाशित वाक्य 19:20 और वह पशु और उसके साथ वह झूठा भविष्यद्वक्ता पकड़ा गया*, जिसने उसके सामने ऐसे चिन्ह दिखाए थे, जिनके द्वारा उसने उनको भरमाया, जिन पर उस पशु की छाप थी, और जो उसकी मूर्ति की पूजा करते थे। ये दोनों जीते जी उस आग की झील में, जो गन्धक से जलती है, डाले गए। (प्रका. 20:20)

[12] प्रकाशित वाक्य 19:19 फिर मैंने उस पशु और पृथ्वी के राजाओं और उनकी सेनाओं को उस घोड़े के सवार, और उसकी सेना से लड़ने के लिये इकट्ठे देखा। और वह पशु और उसके साथ वह झूठा भविष्यद्वक्ता पकड़ा गया*, जिसने उसके सामने ऐसे चिन्ह दिखाए थे, जिनके द्वारा उसने उनको भरमाया, जिन पर उस पशु की छाप थी, और जो उसकी मूर्ति की पूजा करते थे। ये दोनों जीते जी उस आग की झील में, जो गन्धक से जलती है, डाले गए। (प्रका. 20:20)

[13] 2पतरस 3:12 और परमेश्‍वर के उस दिन की प्रतीक्षा किस रीति से करना चाहिए और उसके जल्द आने के लिये कैसा यत्न करना चाहिए; जिसके कारण आकाश आग से पिघल जाएँगे, और आकाश के गण बहुत ही तप्त होकर गल जाएँगे। (यशा. 34:4) पर उसकी प्रतिज्ञा के अनुसार हम एक नये आकाश और नई पृथ्वी की आस देखते हैं जिनमें धार्मिकता वास करेगी। (यशा. 60:21, यशा. 65:17, यशा. 66:22, प्रका. 21:1, 27)

[14] प्रकाशित वाक्य 20:10 और उनका भरमानेवाला शैतान आग और गन्धक की उस झील में, जिसमें वह पशु और झूठा भविष्यद्वक्ता भी होगा, डाल दिया जाएगा; और वे रात-दिन युगानुयुग पीड़ा में तड़पते रहेंगे। (मत्ती 25:46)

[15] प्रकाशित वाक्य 21:1 फिर मैंने नये आकाश और नयी पृथ्वी को देखा, क्योंकि पहला आकाश और पहली पृथ्वी जाती रही थी, और समुद्र भी न रहा। (यशा. 66:22)

[16] यशायाह 65:22 ऐसा नहीं होगा कि वे बनाएँ और दूसरा बसे; या वे लगाएँ, और दूसरा खाए; क्योंकि मेरी प्रजा की आयु वृक्षों की सी होगी, और मेरे चुने हुए अपने कामों का पूरा लाभ उठाएँगे।

[17] यशायाह 65:25 भेड़िया और मेम्‍ना एक संग चरा करेंगे, और सिंह बैल के समान भूसा खाएगा; और सर्प का आहार मिट्टी ही रहेगा। मेरे सारे पवित्र पर्वत पर न तो कोई किसी को दुःख देगा और न कोई किसी की हानि करेगा, यहोवा का यही वचन है।

[18] दानिय्येल 10:12 फिर उसने मुझसे कहा, “हे दानिय्येल, मत डर, क्योंकि पहले ही दिन को जब तूने समझने-बूझने के लिये मन लगाया और अपने परमेश्‍वर के सामने अपने को दीन किया, उसी दिन तेरे वचन सुने गए, और मैं तेरे वचनों के कारण आ गया हूँ। (दानि. 12:1) फारस के राज्य का प्रधान इक्कीस दिन तक मेरा सामना किए रहा; परन्तु मीकाएल जो मुख्य प्रधानों में से है, वह मेरी सहायता के लिये आया, इसलिए मैं फारस के राजाओं के पास रहा,

[19] प्रकाशित वाक्य 21:1 फिर मैंने नये आकाश और नयी पृथ्वी को देखा, क्योंकि पहला आकाश और पहली पृथ्वी जाती रही थी, और समुद्र भी न रहा। (यशा. 66:22)

[20] 2पतरस 3:12 और परमेश्‍वर के उस दिन की प्रतीक्षा किस रीति से करना चाहिए और उसके जल्द आने के लिये कैसा यत्न करना चाहिए; जिसके कारण आकाश आग से पिघल जाएँगे, और आकाश के गण बहुत ही तप्त होकर गल जाएँगे। (यशा. 34:4) पर उसकी प्रतिज्ञा के अनुसार हम एक नये आकाश और नई पृथ्वी की आस देखते हैं जिनमें धार्मिकता वास करेगी। (यशा. 60:21, यशा. 65:17, यशा. 66:22, प्रका. 21:1, 27)

[21] प्रकाशित वाक्य 20:7 जब हजार वर्ष पूरे हो चुकेंगे तो शैतान कैद से छोड़ दिया जाएगा। और उन जातियों को जो पृथ्वी के चारों ओर होंगी, अर्थात् गोग और मागोग को जिनकी गिनती समुद्र की रेत के बराबर होगी, भरमाकर लड़ाई के लिये इकट्ठा करने को निकलेगा।

[22] 2पतरस 2:4 क्योंकि जब परमेश्‍वर ने उन दूतों को जिन्होंने पाप किया नहीं छोड़ा*, पर नरक में भेजकर अंधेरे कुण्डों में डाल दिया, ताकि न्याय के दिन तक बन्दी रहें।

  यहूदा 1:6 फिर जिन स्वर्गदूतों ने अपने पद को स्थिर न रखा वरन् अपने निज निवास को छोड़ दिया, उसने उनको भी उस भीषण दिन के न्याय के लिये अंधकार में जो सनातन के लिये है बन्धनों में रखा है।

[23] मीका 4:4 और लोग आगे को युद्ध विद्या न सीखेंगे। परन्तु वे अपनी-अपनी दाखलता और अंजीर के वृक्ष तले बैठा करेंगे, और कोई उनको न डराएगा; सेनाओं के यहोवा ने यही वचन दिया है। (1 राजा. 4:25, जक. 3:10)

[24] यशायाह 65:21 वे घर बनाकर उनमें बसेंगे; वे दाख की बारियाँ लगाकर उनका फल खाएँगे। ऐसा नहीं होगा कि वे बनाएँ और दूसरा बसे; या वे लगाएँ, और दूसरा खाए; क्योंकि मेरी प्रजा की आयु वृक्षों की सी होगी, और मेरे चुने हुए अपने कामों का पूरा लाभ उठाएँगे। उनका परिश्रम व्यर्थ न होगा, न उनके बालक घबराहट के लिये उत्‍पन्‍न होंगे; क्योंकि वे यहोवा के धन्य लोगों का वंश ठहरेंगे, और उनके बाल-बच्चे उनसे अलग न होंगे। (भज. 115:14-15)

[25] यशायाह 65:25 भेड़िया और मेम्‍ना एक संग चरा करेंगे, और सिंह बैल के समान भूसा खाएगा; और सर्प का आहार मिट्टी ही रहेगा। मेरे सारे पवित्र पर्वत पर न तो कोई किसी को दुःख देगा और न कोई किसी की हानि करेगा, यहोवा का यही वचन है।

[26] लूका 23:43 उसने उससे कहा, “मैं तुझ से सच कहता हूँ कि आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक* में होगा।

  प्रकाशित वाक्य 2:7 जिसके कान हों, वह सुन ले कि पवित्र आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है: जो जय पाए*, मैं उसे उस जीवन के पेड़ में से जो परमेश्‍वर के स्वर्गलोक में है, फल खाने को दूँगा। (प्रका. 2:11) (However, it is expected that the repentant robber will not be able to enter the new Jerusalem where the tree of life is located. New Jerusalem where only royal priests enter, I think is a place that cannot be entered without wearing a body of resurrection, the spiritual body.)

[27] इब्रानियों 11:35 स्त्रियों ने अपने मरे हुओं को फिर जीविते पाया; कितने तो मार खाते-खाते मर गए; और छुटकारा न चाहा; इसलिए कि उत्तम पुनरुत्थान के भागी हों।

[28] लूका 20:35 पर जो लोग इस योग्य ठहरेंगे, की उस युग को और मरे हुओं में से जी उठना प्राप्त करें, उनमें विवाह-शादी न होगी। वे फिर मरने के भी नहीं; क्योंकि वे स्वर्गदूतों के समान होंगे, और पुनरुत्थान की सन्तान होने से परमेश्‍वर के भी सन्तान होंगे।

[29] प्रकाशित वाक्य 20:7 जब हजार वर्ष पूरे हो चुकेंगे तो शैतान कैद से छोड़ दिया जाएगा। और उन जातियों को जो पृथ्वी के चारों ओर होंगी, अर्थात् गोग और मागोग को जिनकी गिनती समुद्र की रेत के बराबर होगी, भरमाकर लड़ाई के लिये इकट्ठा करने को निकलेगा।

[30] 2राजा 4:34 तब वह चढ़कर लड़के पर इस रीति से लेट गया* कि अपना मुँह उसके मुँह से और अपनी आँखें उसकी आँखों से और अपने हाथ उसके हाथों से मिला दिये और वह लड़के पर पसर गया, तब लड़के की देह गर्म होने लगी। वह उसे छोड़कर घर में इधर-उधर टहलने लगा, और फिर चढ़कर लड़के पर पसर गया; तब लड़के ने सात बार छींका, और अपनी आँखें खोलीं।

  प्रेरितों के काम 20:9 और यूतुखुस नाम का एक जवान खिड़की पर बैठा हुआ गहरी नींद से झुक रहा था, और जब पौलुस देर तक बातें करता रहा तो वह नींद के झोके में तीसरी अटारी पर से गिर पड़ा, और मरा हुआ उठाया गया। परन्तु पौलुस उतरकर उससे लिपट गया*, और गले लगाकर कहा, घबराओ नहीं; क्योंकि उसका प्राण उसी में है।(1 राजा. 17:21)

[31] रोमियो 7:22 क्योंकि मैं भीतरी मनुष्यत्व से तो परमेश्‍वर की व्यवस्था से बहुत प्रसन्‍न रहता हूँ। परन्तु मुझे अपने अंगों में दूसरे प्रकार की व्यवस्था दिखाई पड़ती है, जो मेरी बुद्धि की व्यवस्था से लड़ती है और मुझे पाप की व्यवस्था के बन्धन में डालती है जो मेरे अंगों में है। मैं कैसा अभागा मनुष्य हूँ! मुझे इस मृत्यु की देह से कौन छुड़ाएगा*?

[32] प्रकाशित वाक्य 21:4 और वह उनकी आँखों से सब आँसू पोंछ डालेगा*; और इसके बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहली बातें जाती रहीं।” (यशा. 25:8) और जो सिंहासन पर बैठा था, उसने कहा, “मैं सब कुछ नया कर देता हूँ*।फिर उसने कहा, “लिख ले, क्योंकि ये वचन विश्वासयोग्य और सत्य हैं।” (यशा. 42:9)https://youtu.be/AupisuARmgQ?feature=shared