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29 He reveals the cruelty of sin

by aparke 2024. 1. 28.

    7 He reveals the cruelty of sin.

 The Second Person in the Trinity empties Himself and becomes a creature. Satan who tramples on his neighbors, eventually kills his Creator as well. Since God forbids the act of trampling on one's neighbor, Satan eventually kills even God. The final destination of sin is to kill even God the Creator.

 

व्यवस्थाविवरण 5:17 तू हत्या न करना। (मत्ती 5:21, याकूब. 2:11)

यूहन्ना 8:44 तुम अपने पिता शैतान से हो*, और अपने पिता की लालसाओं को पूरा करना चाहते हो। वह तो आरम्भ से हत्यारा है, और सत्य पर स्थिर न रहा, क्योंकि सत्य उसमें है ही नहीं; जब वह झूठ बोलता, तो अपने स्वभाव ही से बोलता है; क्योंकि वह झूठा है, वरन् झूठ का पिता है। (प्रेरि. 13:10)

यूहन्ना 10:10 चोर किसी और काम के लिये नहीं परन्तु केवल चोरी करने और हत्या करने और नष्ट करने को आता है। मैं इसलिए आया कि वे जीवन पाएँ, और बहुतायत से पाएँ।

मलाकी 3:5 “तब मैं न्याय करने को तुम्हारे निकट आऊँगा; और टोन्हों, और व्यभिचारियों, और झूठी शपथ खानेवालों के विरुद्ध, और जो मजदूर की मजदूरी को दबाते, और विधवा और अनाथों पर अंधेर करते, और परदेशी का न्याय बिगाड़ते, और मेरा भय नहीं मानते, उन सभी के विरुद्ध मैं तुरन्त साक्षी दूँगा, सेनाओं के यहोवा का यही वचन है। (याकू. 5:4)

यहेजकेल 22:6 “देख, इस्राएल के प्रधान लोग अपने-अपने बल के अनुसार तुझमें हत्या करनेवाले हुए हैं।

यहेजकेल 22:7 तुझमें माता-पिता तुच्छ जाने गए हैं; तेरे बीच परदेशी पर अंधेर किया गया; और अनाथ और विधवा तुझमें पीसी गई हैं।

यहेजकेल 22:8 तूने मेरी पवित्र वस्तुओं को तुच्छ जाना, और मेरे विश्रामदिनों को अपवित्र किया है।

यहेजकेल 22:9 तुझमें लुच्चे लोग हत्या करने को तत्पर हुए, और तेरे लोगों ने पहाड़ों पर भोजन किया है; तेरे बीच महापाप किया गया है।

अय्यूब 31:9 यदि मेरा हृदय किसी स्त्री पर मोहित हो गया है, और मैं अपने पड़ोसी के द्वार पर घात में बैठा हूँ;

अय्यूब 31:13 जब मेरे दास व दासी ने मुझसे झगड़ा किया, तब यदि मैंने उनका हक़ मार दिया हो;

अय्यूब 31:14 तो जब परमेश्‍वर उठ खड़ा होगा, तब मैं क्या करूँगा? और जब वह आएगा तब मैं क्या उत्तर दूँगा?

अय्यूब 31:15 क्या वह उसका बनानेवाला नहीं जिस ने मुझे गर्भ में बनाया? क्या एक ही ने हम दोनों की सूरत गर्भ में न रची थी?

अय्यूब 31:16 यदि मैंने कंगालों की इच्छा पूरी न की हो, या मेरे कारण विधवा की आँखें कभी निराश हुई हों,

अय्यूब 31:17 या मैंने अपना टुकड़ा अकेला खाया हो, और उसमें से अनाथ न खाने पाए हों,

अय्यूब 31:18 (परन्तु वह मेरे लड़कपन ही से मेरे साथ इस प्रकार पला जिस प्रकार पिता के साथ, और मैं जन्म ही से विधवा को पालता आया हूँ);

अय्यूब 31:19 यदि मैंने किसी को वस्त्रहीन मरते हुए देखा, या किसी दरिद्र को जिसके पास ओढ़ने को न था

अय्यूब 31:20 और उसको अपनी भेड़ों की ऊन के कपड़े न दिए हों, और उसने गर्म होकर मुझे आशीर्वाद न दिया हो;

अय्यूब 31:21 या यदि मैंने फाटक में अपने सहायक देखकर अनाथों के मारने को अपना हाथ उठाया हो,

अय्यूब 31:22 तो मेरी बाँह कंधे से उखड़कर गिर पड़े, और मेरी भुजा की हड्डी टूट जाए।

होशे 4:1 हे इस्राएलियों, यहोवा का वचन सुनो; इस देश के निवासियों के साथ यहोवा का मुकद्दमा है। इस देश में न तो कुछ सच्‍चाई है, न कुछ करुणा और न कुछ परमेश्‍वर का ज्ञान ही है। (प्रका. 6:10)

होशे 4:2 यहाँ श्राप देने, झूठ बोलने, वध करने, चुराने, और व्‍यभिचार करने को छोड़ कुछ नहीं होता; वे व्यवस्था की सीमा को लाँघकर कुकर्म करते हैं और खून ही खून होता रहता है।*

होशे 4:3 इस कारण यह देश विलाप करेगा, और मैदान के जीव-जन्‍तुओं, और आकाश के पक्षियों समेत उसके सब निवासी कुम्‍हला जाएँगे; और समुद्र की मछलियाँ भी नाश हो जाएँगी।

याकूब 4:4 हे व्यभिचारिणियों*, क्या तुम नहीं जानतीं, कि संसार से मित्रता करनी परमेश्‍वर से बैर करना है? इसलिए जो कोई संसार का मित्र होना चाहता है, वह अपने आप को परमेश्‍वर का बैरी बनाता है। (1 यूह. 2:15-16)

 Satan breaks the commandments and tramples on his neighbors. Without the commandments, weak creatures are bound to be trampled on by strong ones. Satan seeks to abolish the commandments in order to trample on his neighbors. Satan seeks to lord it over his neighbors. At the beginning of Helel's rebellion, angels may not have known the consequences of Helel's claims. But now angels would have seen what happens when there are no commandments.

 Satan opposes God. Satan kills, steals, and destroys his neighbors. Satan makes his neighbors commit adultery. Satan deceives his neighbors with lies. Through Satan's evil deeds, creatures come to realize the reality of sin. Creatures see what happens when there are no commandments in space-time.

 In the present structure of space-time, creatures can be happy only through the commandments of love. Angels see how God is upholding space-time. Angels see God's love contained in His commandments.[1] Angels understand why God commands them to love one another.

 

लूका 20:13 तब दाख की बारी के स्वामी ने कहा, ‘मैं क्या करूँ? मैं अपने प्रिय पुत्र को भेजूँगा, क्या जाने वे उसका आदर करें।

लूका 20:14 जब किसानों ने उसे देखा तो आपस में विचार करने लगे, ‘यह तो वारिस है; आओ, हम उसे मार डालें, कि विरासत हमारी हो जाए।

लूका 20:15 और उन्होंने उसे दाख की बारी से बाहर निकालकर मार डाला: इसलिए दाख की बारी का स्वामी उनके साथ क्या करेगा?

यूहन्ना 3:18 जो उस पर विश्वास करता है, उस पर दण्ड की आज्ञा नहीं होती, परन्तु जो उस पर विश्वास नहीं करता, वह दोषी ठहराया जा चुका है; इसलिए कि उसने परमेश्‍वर के एकलौते पुत्र के नाम पर विश्वास नहीं किया। (यूह. 5:10)

यूहन्ना 3:19 और दण्ड की आज्ञा का कारण यह है कि ज्योति जगत में आई है, और मनुष्यों ने अंधकार को ज्योति से अधिक प्रिय जाना क्योंकि उनके काम बुरे थे।

यूहन्ना 3:20 क्योंकि जो कोई बुराई करता है, वह ज्योति से बैर रखता है, और ज्योति के निकट नहीं आता, ऐसा न हो कि उसके कामों पर दोष लगाया जाए।

यूहन्ना 3:21 परन्तु जो सच्चाई पर चलता है, वह ज्योति के निकट आता है, ताकि उसके काम प्रगट हों कि वह परमेश्‍वर की ओर से किए गए हैं।

यूहन्ना 5:22 पिता किसी का न्याय भी नहीं करता, परन्तु न्याय करने का सब काम पुत्र को सौंप दिया है,

यूहन्ना 5:23 इसलिए कि सब लोग जैसे पिता का आदर करते हैं वैसे ही पुत्र का भी आदर करें; जो पुत्र का आदर नहीं करता, वह पिता का जिसने उसे भेजा है, आदर नहीं करता।

यूहन्ना 8:34 यीशु ने उनको उत्तर दिया, “मैं तुम से सच-सच कहता हूँ कि जो कोई पाप करता है, वह पाप का दास है।

यूहन्ना 8:35 और दास सदा घर में नहीं रहता; पुत्र सदा रहता है। (गला. 4:30)

यूहन्ना 8:36 इसलिए यदि पुत्र तुम्हें स्वतंत्र करेगा, तो सचमुच तुम स्वतंत्र हो जाओगे।

यूहन्ना 12:31 अब इस जगत का न्याय होता है, अब इस जगत का सरदार* निकाल दिया जाएगा।

यूहन्ना 12:32 और मैं यदि पृथ्वी पर से ऊँचे पर चढ़ाया जाऊँगा, तो सब को अपने पास खीचूँगा।

यूहन्ना 12:48 जो मुझे तुच्छ जानता है* और मेरी बातें ग्रहण नहीं करता है उसको दोषी ठहरानेवाला तो एक है: अर्थात् जो वचन मैंने कहा है, वह अन्तिम दिन में उसे दोषी ठहराएगा।

यूहन्ना 13:27 और टुकड़ा लेते ही शैतान उसमें समा गया: तब यीशु ने उससे कहा, “जो तू करनेवाला है, तुरन्त कर।

यूहन्ना 19:10 पिलातुस ने उससे कहा, “मुझसे क्यों नहीं बोलता? क्या तू नहीं जानता कि तुझे छोड़ देने का अधिकार मुझे है और तुझे क्रूस पर चढ़ाने का भी मुझे अधिकार है।

यूहन्ना 19:11 यीशु ने उत्तर दिया, “यदि तुझे ऊपर से न दिया जाता, तो तेरा मुझ पर कुछ अधिकार न होता; इसलिए जिस ने मुझे तेरे हाथ पकड़वाया है, उसका पाप अधिक है।

प्रेरितों के काम 2:23 उसी को, जब वह परमेश्‍वर की ठहराई हुई योजना और पूर्व ज्ञान के अनुसार पकड़वाया गया, तो तुम ने अधर्मियों के हाथ से उसे क्रूस पर चढ़वाकर मार डाला।

इफिसियों 4:17 इसलिए मैं यह कहता हूँ और प्रभु में जताए देता हूँ कि जैसे अन्यजातीय लोग अपने मन की अनर्थ की रीति पर चलते हैं, तुम अब से फिर ऐसे न चलो।

इफिसियों 4:18 क्योंकि उनकी बुद्धि अंधेरी हो गई है और उस अज्ञानता के कारण जो उनमें है और उनके मन की कठोरता के कारण वे परमेश्‍वर के जीवन से अलग किए हुए हैं;

इब्रानियों 2:14 इसलिए जब कि बच्चे माँस और लहू के भागी हैं, तो वह आप भी उनके समान उनका सहभागी हो गया; ताकि मृत्यु के द्वारा उसे जिसे मृत्यु पर शक्ति मिली थी*, अर्थात् शैतान को निकम्मा कर दे, (रोम. 8:3, कुलु. 2:15)

इब्रानियों 2:15 और जितने मृत्यु के भय के मारे जीवन भर दासत्व में फँसे थे, उन्हें छुड़ा ले।

 The Second Person in the Trinity empties Himself and becomes a creature. The Second Person in the Trinity who owns space-time, gives up ownership of space-time.[2] The Second Person in the Trinity who gave up ownership of space-time, inherits ownership as a creature.[3] The Second Person in the Trinity became a creature. The Second Person in the Trinity became the Heir. Satan kills the Heir to take the earth. Satan kills God the Creator to take over the earth.[4]

 The Second Person in the Trinity is the commandments in the flesh.[5] He who commands to keep the commandments, becomes a creature in person.[6] God becomes a creature and sets Himself an example of keeping the commandments. The commandments are the channels through which God expresses Himself to creatures. Through the commandments, creatures see God.[7]

 The Second Person in the Trinity is the basis for judgment.[8] Those who obey the Second Person in the Trinity who became a creature, obey the First Person in the Trinity. Those who do not obey the Second Person in the Trinity, do not obey the First Person in the Trinity.[9] Those who break the commandments and trample on their neighbors, reject the Second Person in the Trinity. Those who keep the commandments and love their neighbors, receive the Second Person in the Trinity.[10]

 The Second Person in the Trinity is an adam.[11] As an adam, the Second Person in the Trinity exercises the right of vicarious management proxy over the earth.[12] The Second Person in the Trinity conveys God's will to people.[13] The Second Person in the Trinity frees people from sin.[14] The kingdom of God is established wherever the Second Person in the Trinity goes.[15] No matter how hard Satan tries, he cannot control the Second Person in the Trinity.[16]

 Satan seeks to usurp the throne. Satan seeks to abolish the commandments. Satan seeks to make people sin.[17] If no one keeps the commandments, the commandments are wrong. If the commandments are wrong, then He who commands creatures to keep them, is wrong. If God is wrong, God should not rule space-time. If God does not rule space-time, then Satan can rule space-time.

 However, the Second Person in the Trinity saves people from their sins.[18] The Second Person in the Trinity makes people keep the commandments.[19] Satan seems to have thought that even the earth might be taken away. If he fails to abolish the commandments, he must be judged by the commandments.[20] If people keep the commandments, Satan must be thrown into the lake of fire. However, the Second Person in the Trinity makes people keep the commandments.[21] Besides, Satan cannot make the Second Person in the Trinity sin.

 In the end, Satan kills the Second Person in the Trinity. Satan seems to have thought that if only the Second Person in the Trinity were killed, those who keep the commandments would not come out. Satan seems to have thought that if he only killed the Second Person in the Trinity, he would be able to continue ruling the earth.[22] Satan seems to have thought that by killing only the Second Person in the Trinity, he would be able to abolish the commandments, escape judgment, and usurp the throne.[23]

 But that was a stupid idea. The very killing of an innocent person clearly proves his own iniquity.[24] Satan seems to have thought that even the Second Person in the Trinity would not be able to overcome death, since no one had ever overcome death. Satan has killed many prophets.[25] He has had no problems so far.

 If a creature keeps the commandments, it overcomes death.[26] Satan could have thought it truly impossible for a creature to keep the commandments. If so, Satan would not have believed in the resurrection. If Satan had believed in the resurrection, Satan would not have tried to kill the Second Person in the Trinity. What good would it do to kill someone who would soon be resurrected anyway?

 Satan even killed God. Did Satan know that the LORD Jesus is God? Even Satan must have known that the LORD Jesus is the Son of God.[27] But did Satan know that the Son of God is God?[28] The righteous angels would have known that the LORD Jesus is God.[29] Because the First Person in the Trinity commanded angels to worship the LORD Jesus.[30]

 The Second Person in the Trinity did not reveal from the beginning that He is God, even to His disciples.[31] Even His disciples learned later that the LORD Jesus is God.[32] The disciples also knew that the LORD Jesus is the Messiah and the Son of God.[33] However, the fact that the Son of God is God, even the disciples did not know at first.[34]

 If the disciples had already known that the LORD Jesus is God, would they have been disappointed when the LORD Jesus died on the cross?[35] It seems that the disciples were only thinking that the LORD Jesus is the Son of God means that the LORD Jesus is a special creature loved by God.[36]

 If the disciples had known that the LORD Jesus is Yahweh God, the reaction of the disciples would have been different. In the old testament times, the First Person in the Trinity was also called Yahweh God, and the Second Person in the Trinity was also called Yahweh God.[37] For through the name He placed on the throne, God expressed Himself to creatures.[38] Whether the First Person in the Trinity does it or the Second Person in the Trinity does it, creatures express that God does it.

 The free will of angels is not yet perfected. Angels still have the possibility to sin. Even angels could not actually see Yahweh God.[39] Angels could only receive orders through the throne.[40] The Second Person in the Trinity emptied Himself and became a creature.[41] Now, angels can actually see Yahweh God.[42] And the name that God the Creator expresses Himself to creatures, is 'Jesus'.[43] 'Yahweh is salvation'.[44]

 The LORD Jesus was an adam. In the eyes of angels or humans, the LORD Jesus was no different from other humans, except that He did not sin.[45] He was exactly the same, even putting on the cursed flesh.[46] Even His disciples did not know that the LORD Jesus is God the Creator.[47]

 Did Satan know that he was killing God the Creator? Didn't Satan just think of killing a creature that was especially loved by God?[48] The 1st Adam was the one who managed the earth. Didn't Satan think that the Last Adam was just the one who managed the earth? If Satan knows that the LORD Jesus is God the Creator, but he kills the LORD Jesus, then there is nothing to say. Whether Satan knew that the LORD Jesus is God the Creator or not, Satan killed even God the Creator who made him.

 Anyway, the reason Satan killed the LORD Jesus was to rob the LORD Jesus of His inheritance.[49] The reason why Satan deceived Adam was to take away the earth entrusted to Adam. The LORD Jesus was the Last Adam. Since God entrusted the earth to adam, anyone who was adam could manage the earth. Unless he/she sells the vicarious management proxy to sin.[50]

 Whether or not Satan knew that the LORD Jesus is God the Creator, the righteous angels would have known that the LORD Jesus is God the Creator. Angels have seen Satan's evil trampling on people. Seeing that Satan even killed the LORD Jesus, angels must have been shocked. The sins of Satan which reached the end and could not develop any further, were revealed. There is no greater sin for a creature than to kill God the Creator.[51] Creatures now understand why Satan must be judged.[52]

 Satan was cast out of the heaven of angels into Hades.[53] Heaven is the domain where God's rule takes place.[54] The Second Person in the Trinity is heaven. Through the Second Person in the Trinity, heaven is created in Hades. God the Holy Spirit is heaven. Heaven is created in Hades through God the Holy Spirit. Satan is cast out again from heavens formed in Hades.[55]

 Death is the wages of sin. To die, we must first sin. Unless we sin, we cannot die. The Second Person in the Trinity does not sin.[56] Therefore, the Second Person in the Trinity cannot die.[57] So, the Second Person in the Trinity was resurrected.

 After His resurrection, the Second Person in the Trinity formally confirms in space-time that He has inherited the name that is above every name. The Second Person in the Trinity who became a creature, formally inherits space-time.[58] Now, all authority in space-time belongs to the Second Person in the Trinity.[59] The authority of death and Hades also belongs to the Second Person in the Trinity.[60] Satan killed the Second Person in the Trinity by hanging Him on a tree with the hands of those who joined him.[61] The Second Person in the Trinity took advantage of these sins of Satan[62] and became a sacrifice to redeem those who repent.[63]

 



[1] रोमियो 13:8 आपस के प्रेम को छोड़ और किसी बात में किसी के कर्जदार न हो; क्योंकि जो दूसरे से प्रेम रखता है, उसी ने व्यवस्था पूरी की है। क्योंकि यह किव्यभिचार न करना, हत्या न करना, चोरी न करना, लालच न करना,” और इनको छोड़ और कोई भी आज्ञा हो तो सब का सारांश इस बात में पाया जाता है, “अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख।” (निर्ग. 20:13-16, लैव्य. 19:18) प्रेम पड़ोसी की कुछ बुराई नहीं करता, इसलिए प्रेम रखना व्यवस्था को पूरा करना है।

[2] फिलिप्पियों 2:6 जिसने परमेश्‍वर के स्वरूप में होकर भी परमेश्‍वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा। वरन् अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया*, और दास का स्वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया। और मनुष्य के रूप में प्रगट होकर अपने आप को दीन किया, और यहाँ तक आज्ञाकारी रहा कि मृत्यु, हाँ, क्रूस की मृत्यु भी सह ली।

[3] यूहन्ना 17:9 मैं उनके लिये विनती करता हूँ, संसार के लिये विनती नहीं करता हूँ परन्तु उन्हीं के लिये जिन्हें तूने मुझे दिया है, क्योंकि वे तेरे हैं। और जो कुछ मेरा है वह सब तेरा है; और जो तेरा है वह मेरा है; और इनसे मेरी महिमा प्रगट हुई है।

[4] लूका 20:13 तब दाख की बारी के स्वामी ने कहा, ‘मैं क्या करूँ? मैं अपने प्रिय पुत्र को भेजूँगा, क्या जाने वे उसका आदर करें।जब किसानों ने उसे देखा तो आपस में विचार करने लगे, ‘यह तो वारिस है; आओ, हम उसे मार डालें, कि विरासत हमारी हो जाए।और उन्होंने उसे दाख की बारी से बाहर निकालकर मार डाला: इसलिए दाख की बारी का स्वामी उनके साथ क्या करेगा?

[5] 1यूहन्ना 1:1 उस जीवन के वचन के विषय में जो आदि से था*, जिसे हमने सुना, और जिसे अपनी आँखों से देखा, वरन् जिसे हमने ध्यान से देखा और हाथों से छुआ। (यह जीवन प्रगट हुआ, और हमने उसे देखा, और उसकी गवाही देते हैं, और तुम्हें उस अनन्त जीवन का समाचार देते हैं जो पिता के साथ था और हम पर प्रगट हुआ)।

[6] 1यूहन्ना 5:20 और यह भी जानते हैं, कि परमेश्‍वर का पुत्र आ गया है और उसने हमें समझ दी है, कि हम उस सच्चे को पहचानें, और हम उसमें जो सत्य है, अर्थात् उसके पुत्र यीशु मसीह में रहते हैं। सच्चा परमेश्‍वर और अनन्त जीवन यही है।

[7] मत्ती 22:37 उसने उससे कहा, “तू परमेश्‍वर अपने प्रभु से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख*। बड़ी और मुख्य आज्ञा तो यही है। और उसी के समान यह दूसरी भी है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख। ये ही दो आज्ञाएँ सारी व्यवस्था एवं भविष्यद्वक्ताओं* का आधार है।

[8] यूहन्ना 3:35 पिता पुत्र से प्रेम रखता है, और उसने सब वस्तुएँ उसके हाथ में दे दी हैं। जो पुत्र पर विश्वास करता है, अनन्त जीवन उसका है; परन्तु जो पुत्र की नहीं मानता, वह जीवन को नहीं देखेगा, परन्तु परमेश्‍वर का क्रोध उस पर रहता है।

[9] यूहन्ना 5:22 पिता किसी का न्याय भी नहीं करता, परन्तु न्याय करने का सब काम पुत्र को सौंप दिया है, इसलिए कि सब लोग जैसे पिता का आदर करते हैं वैसे ही पुत्र का भी आदर करें; जो पुत्र का आदर नहीं करता, वह पिता का जिसने उसे भेजा है, आदर नहीं करता।

[10] यूहन्ना 3:19 और दण्ड की आज्ञा का कारण यह है कि ज्योति जगत में आई है, और मनुष्यों ने अंधकार को ज्योति से अधिक प्रिय जाना क्योंकि उनके काम बुरे थे। क्योंकि जो कोई बुराई करता है, वह ज्योति से बैर रखता है, और ज्योति के निकट नहीं आता, ऐसा न हो कि उसके कामों पर दोष लगाया जाए। परन्तु जो सच्चाई पर चलता है, वह ज्योति के निकट आता है, ताकि उसके काम प्रगट हों कि वह परमेश्‍वर की ओर से किए गए हैं।

[11] उत्पत्ति 2:15 तब यहोवा परमेश्‍वर ने आदम को लेकर* अदन की वाटिका में रख दिया, कि वह उसमें काम करे और उसकी रखवाली करे।

[12] उत्पत्ति 1:26 फिर परमेश्‍वर ने कहा, “हम मनुष्य* को अपने स्वरूप के अनुसार* अपनी समानता में बनाएँ; और वे समुद्र की मछलियों, और आकाश के पक्षियों, और घरेलू पशुओं, और सारी पृथ्वी पर, और सब रेंगनेवाले जन्तुओं पर जो पृथ्वी पर रेंगते हैं, अधिकार रखें।” (याकू. 3:9)

[13] यूहन्ना 14:24 जो मुझसे प्रेम नहीं रखता, वह मेरे वचन नहीं मानता, और जो वचन तुम सुनते हो, वह मेरा नहीं वरन् पिता का है, जिस ने मुझे भेजा।

[14] लूका 7:44 और उस स्त्री की ओर फिरकर उसने शमौन से कहा, “क्या तू इस स्त्री को देखता है? मैं तेरे घर में आया परन्तु तूने मेरे पाँव धोने के लिये पानी न दिया, पर इसने मेरे पाँव आँसुओं से भिगाए, और अपने बालों से पोंछा।” (उत्प. 18:4) तूने मुझे चूमा न दिया, पर जब से मैं आया हूँ तब से इसने मेरे पाँवों का चूमना न छोड़ा। तूने मेरे सिर पर तेल नहीं मला*; पर इसने मेरे पाँवों पर इत्र मला है। (भज. 23:5) “इसलिए मैं तुझ से कहता हूँ; कि इसके पाप जो बहुत थे, क्षमा हुए, क्योंकि इसने बहुत प्रेम किया; पर जिसका थोड़ा क्षमा हुआ है, वह थोड़ा प्रेम करता है।और उसने स्त्री से कहा, “तेरे पाप क्षमा हुए।

[15] मत्ती 12:28 पर यदि मैं परमेश्‍वर के आत्मा की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता हूँ, तो परमेश्‍वर का राज्य तुम्हारे पास आ पहुँचा है।

[16] यशायाह 10:15 क्या कुल्हाड़ा उसके विरुद्ध जो उससे काटता हो डींग मारे, या आरी उसके विरुद्ध जो उसे खींचता हो बड़ाई करे? क्या सोंटा अपने चलानेवाले को चलाए या छड़ी उसे उठाए जो काठ नहीं है!

[17] 1पतरस 5:8 सचेत हो*, और जागते रहो, क्योंकि तुम्हारा विरोधी शैतान गर्जनेवाले सिंह के समान इस खोज में रहता है, कि किसको फाड़ खाए।

[18] यूहन्ना 8:10 यीशु ने सीधे होकर उससे कहा, “हे नारी, वे कहाँ गए? क्या किसी ने तुझ पर दण्ड की आज्ञा न दी?” उसने कहा, “हे प्रभु, किसी ने नहीं।यीशु ने कहा, “मैं भी तुझ पर दण्ड की आज्ञा नहीं देता; जा, और फिर पाप न करना।तब यीशु ने फिर लोगों से कहा, “जगत की ज्योति मैं हूँ; जो मेरे पीछे हो लेगा, वह अंधकार में न चलेगा, परन्तु जीवन की ज्योति पाएगा।” (यूह. 12:46)

[19] मत्ती 7:28 जब यीशु ये बातें कह चुका, तो ऐसा हुआ कि भीड़ उसके उपदेश से चकित हुई। क्योंकि वह उनके शास्त्रियों के समान नहीं परन्तु अधिकारी के समान उन्हें उपदेश देता था।

[20] मलाकी 3:5 “तब मैं न्याय करने को तुम्हारे निकट आऊँगा; और टोन्हों, और व्यभिचारियों, और झूठी शपथ खानेवालों के विरुद्ध, और जो मजदूर की मजदूरी को दबाते, और विधवा और अनाथों पर अंधेर करते, और परदेशी का न्याय बिगाड़ते, और मेरा भय नहीं मानते, उन सभी के विरुद्ध मैं तुरन्त साक्षी दूँगा, सेनाओं के यहोवा का यही वचन है। (याकू. 5:4)

[21] यूहन्ना 4:39 और उस नगर के बहुत से सामरियों ने उस स्त्री के कहने से यीशु पर विश्वास किया; जिस ने यह गवाही दी थी, कि उसने सब कुछ जो मैंने किया है, मुझे बता दिया। तब जब ये सामरी उसके पास आए, तो उससे विनती करने लगे कि हमारे यहाँ रह, और वह वहाँ दो दिन तक रहा। और उसके वचन के कारण और भी बहुतों ने विश्वास किया। और उस स्त्री से कहा, “अब हम तेरे कहने ही से विश्वास नहीं करते; क्योंकि हमने आप ही सुन लिया, और जानते हैं कि यही सचमुच में जगत का उद्धारकर्ता है।

[22] इफिसियों 2:1 और उसने तुम्हें भी जिलाया, जो अपने अपराधों और पापों के कारण मरे हुए थे। जिनमें तुम पहले इस संसार की रीति पर, और आकाश के अधिकार के अधिपति* अर्थात् उस आत्मा के अनुसार चलते थे, जो अब भी आज्ञा न माननेवालों में कार्य करता है। इनमें हम भी सब के सब पहले अपने शरीर की लालसाओं में दिन बिताते थे, और शरीर, और मन की मनसाएँ पूरी करते थे, और अन्य लोगों के समान स्वभाव ही से क्रोध की सन्तान थे।

[23] लूका 20:13 तब दाख की बारी के स्वामी ने कहा, ‘मैं क्या करूँ? मैं अपने प्रिय पुत्र को भेजूँगा, क्या जाने वे उसका आदर करें।जब किसानों ने उसे देखा तो आपस में विचार करने लगे, ‘यह तो वारिस है; आओ, हम उसे मार डालें, कि विरासत हमारी हो जाए।और उन्होंने उसे दाख की बारी से बाहर निकालकर मार डाला: इसलिए दाख की बारी का स्वामी उनके साथ क्या करेगा?

[24] यूहन्ना 19:10 पिलातुस ने उससे कहा, “मुझसे क्यों नहीं बोलता? क्या तू नहीं जानता कि तुझे छोड़ देने का अधिकार मुझे है और तुझे क्रूस पर चढ़ाने का भी मुझे अधिकार है।यीशु ने उत्तर दिया, “यदि तुझे ऊपर से न दिया जाता, तो तेरा मुझ पर कुछ अधिकार न होता; इसलिए जिस ने मुझे तेरे हाथ पकड़वाया है, उसका पाप अधिक है।

[25] मत्ती 23:29 “हे कपटी शास्त्रियों, और फरीसियों, तुम पर हाय! तुम भविष्यद्वक्ताओं की कब्रें संवारते और धर्मियों की कब्रें बनाते हो। और कहते हो, ‘यदि हम अपने पूर्वजों के दिनों में होते तो भविष्यद्वक्ताओं की हत्या में उनके सहभागी न होते।इससे तो तुम अपने पर आप ही गवाही देते हो, कि तुम भविष्यद्वक्ताओं के हत्यारों की सन्तान हो। अतः तुम अपने पूर्वजों के पाप का घड़ा भर दो। हे साँपो, हे करैतों के बच्चों, तुम नरक के दण्ड से कैसे बचोगे?

[26] 1कुरिन्थियों 15:54 और जब यह नाशवान अविनाश को पहन लेगा, और यह मरनहार अमरता को पहन लेगा, तब वह वचन जो लिखा है, पूरा हो जाएगा, “जय ने मृत्यु को निगल लिया। (यशा. 25:8) हे मृत्यु तेरी जय कहाँ रहीं? हे मृत्यु तेरा डंक कहाँ रहा?” (होशे 13:14) मृत्यु का डंक पाप है; और पाप का बल व्यवस्था है।

[27] लूका 4:3 और शैतान ने उससे कहा, “यदि तू परमेश्‍वर का पुत्र है, तो इस पत्थर से कह, कि रोटी बन जाए।

[28] भजन संहिता 102:25 आदि में तूने पृथ्वी की नींव डाली, और आकाश तेरे हाथों का बनाया हुआ है। वह तो नाश होगा, परन्तु तू बना रहेगा; और वह सब कपड़े के समान पुराना हो जाएगा। तू उसको वस्त्र के समान बदलेगा, और वह मिट जाएगा; परन्तु तू वहीं है, और तेरे वर्षों का अन्त न होगा।

[29] इब्रानियों 1:10 और यह कि, “हे प्रभु, आदि में तूने पृथ्वी की नींव डाली, और स्वर्ग तेरे हाथों की कारीगरी है। (भज. 102:25, उत्प. 1:1) वे तो नाश हो जाएँगे*; परन्तु तू बना रहेगा और वे सब वस्त्र के समान पुराने हो जाएँगे। और तू उन्हें चादर के समान लपेटेगा, और वे वस्त्र के समान बदल जाएँगे: पर तू वही है और तेरे वर्षों का अन्त न होगा।” (इब्रा. 13:8, भज. 102:25-26) और स्वर्गदूतों में से उसने किस से कभी कहा, “तू मेरे दाहिने बैठ, जब तक कि मैं तेरे बैरियों को तेरे पाँवों के नीचे की चौकी न कर दूँ?” (मत्ती 22:44, भज. 110:1)

[30] इब्रानियों 1:6 और जब पहलौठे को जगत में फिर लाता है, तो कहता है, “परमेश्‍वर के सब स्वर्गदूत उसे दण्डवत् करें।” (व्य. 32:43, 1 पत. 3:22)

[31] मत्ती 16:13 यीशु कैसरिया फिलिप्पी* के प्रदेश में आकर अपने चेलों से पूछने लगा, “लोग मनुष्य के पुत्र को क्या कहते हैं?” उन्होंने कहा, “कुछ तो यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला कहते हैं और कुछ एलिय्याह, और कुछ यिर्मयाह या भविष्यद्वक्ताओं में से कोई एक कहते हैं।उसने उनसे कहा, “परन्तु तुम मुझे क्या कहते हो?” शमौन पतरस ने उत्तर दिया, “तू जीविते परमेश्‍वर का पुत्र मसीह है।यीशु ने उसको उत्तर दिया, “हे शमौन, योना के पुत्र, तू धन्य है; क्योंकि माँस और लहू ने नहीं, परन्तु मेरे पिता ने जो स्वर्ग में है, यह बात तुझ पर प्रगट की है।

[32] यूहन्ना 14:7 यदि तुम ने मुझे जाना होता, तो मेरे पिता को भी जानते, और अब उसे जानते हो, और उसे देखा भी है।फिलिप्पुस ने उससे कहा, “हे प्रभु, पिता को हमें दिखा दे: यही हमारे लिये बहुत है।यीशु ने उससे कहा, “हे फिलिप्पुस, मैं इतने दिन से तुम्हारे साथ हूँ, और क्या तू मुझे नहीं जानता? जिस ने मुझे देखा है उसने पिता को देखा है: तू क्यों कहता है कि पिता को हमें दिखा?

[33] यूहन्ना 1:40 उन दोनों में से, जो यूहन्ना की बात सुनकर यीशु के पीछे हो लिए थे, एक शमौन पतरस का भाई अन्द्रियास था। उसने पहले अपने सगे भाई शमौन से मिलकर उससे कहा, “हमको ख्रिस्त अर्थात् मसीह मिल गया।” (यूह. 4:25)

[34] मत्ती 8:25 तब उन्होंने पास आकर उसे जगाया, और कहा, “हे प्रभु, हमें बचा, हम नाश हुए जाते हैं।उसने उनसे कहा, “हे अल्पविश्वासियों, क्यों डरते हो?” तब उसने उठकर आँधी और पानी को डाँटा, और सब शान्त हो गया। और लोग अचम्भा करके कहने लगे, “यह कैसा मनुष्य है, कि आँधी और पानी भी उसकी आज्ञा मानते हैं।

[35] लूका 24:17 उसने उनसे पूछा, “ये क्या बातें हैं, जो तुम चलते-चलते आपस में करते हो?” वे उदास से खड़े रह गए। यह सुनकर, उनमें से क्लियुपास नामक एक व्यक्ति ने कहा, “क्या तू यरूशलेम में अकेला परदेशी है; जो नहीं जानता, कि इन दिनों में उसमें क्या-क्या हुआ है?” उसने उनसे पूछा, “कौन सी बातें?” उन्होंने उससे कहा, “यीशु नासरी के विषय में जो परमेश्‍वर और सब लोगों के निकट काम और वचन में सामर्थी भविष्यद्वक्ता* था। और प्रधान याजकों और हमारे सरदारों ने उसे पकड़वा दिया, कि उस पर मृत्यु की आज्ञा दी जाए; और उसे क्रूस पर चढ़वाया। परन्तु हमें आशा थी, कि यही इस्राएल को छुटकारा देगा, और इन सब बातों के सिवाय इस घटना को हुए तीसरा दिन है।

[36] मत्ती 17:5 वह बोल ही रहा था, कि एक उजले बादल ने उन्हें छा लिया, और उस बादल में से यह शब्द निकला, “यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिससे मैं प्रसन्‍न हूँ: इसकी सुनो।

[37] नीतिवचन 30:4 कौन स्वर्ग में चढ़कर फिर उतर आया? किस ने वायु को अपनी मुट्ठी में बटोर रखा है? किस ने महासागर को अपने वस्त्र में बाँध लिया है? किस ने पृथ्वी की सीमाओं को ठहराया है? उसका नाम क्या है? और उसके पुत्र का नाम क्या है? यदि तू जानता हो तो बता! (यूह. 3:13)

[38] एज्रा 6:12 परमेश्‍वर जिस ने वहाँ अपने नाम का निवास ठहराया है, वह क्या राजा क्या प्रजा, उन सभी को जो यह आज्ञा टालने और परमेश्‍वर के भवन को जो यरूशलेम में है नाश करने के लिये हाथ बढ़ाएँ, नष्ट करे। मुझ दारा ने यह आज्ञा दी है फुर्ती से ऐसा ही करना।

[39] 1कुरिन्थियों 15:28 और जब सब कुछ उसके अधीन हो जाएगा, तो पुत्र आप भी उसके अधीन हो जाएगा जिस ने सब कुछ उसके अधीन कर दिया; ताकि सब में परमेश्‍वर ही सब कुछ हो।

[40] 2इतिहास 2:6 परन्तु किस में इतनी शक्ति है, कि उसके लिये भवन बनाए, वह तो स्वर्ग में वरन् सबसे ऊँचे स्वर्ग में भी नहीं समाता? मैं क्या हूँ कि उसके सामने धूप जलाने को छोड़ और किसी विचार से उसका भवन बनाऊँ?

[41] यूहन्ना 10:29 मेरा पिता, जिस ने उन्हें मुझ को दिया है, सबसे बड़ा है, और कोई उन्हें पिता के हाथ से छीन नहीं सकता। मैं और पिता एक हैं।

[42] फिलिप्पियों 2:6 जिसने परमेश्‍वर के स्वरूप में होकर भी परमेश्‍वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा। वरन् अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया*, और दास का स्वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया।

[43] फिलिप्पियों 2:9 इस कारण परमेश्‍वर ने उसको अति महान भी किया, और उसको वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्ठ है, कि जो स्वर्ग में और पृथ्वी पर और जो पृथ्वी के नीचे है; वे सब यीशु के नाम पर घुटना टेकें*,

[44] मत्ती 1:20 जब वह इन बातों की सोच ही में था तो परमेश्‍वर का स्वर्गदूत उसे स्वप्न में दिखाई देकर कहने लगा, “हे यूसुफ! दाऊद की सन्तान, तू अपनी पत्‍नी मरियम को अपने यहाँ ले आने से मत डर, क्योंकि जो उसके गर्भ में है, वह पवित्र आत्मा की ओर से है। वह पुत्र जनेगी और तू उसका नाम यीशु* रखना, क्योंकि वह अपने लोगों का उनके पापों से उद्धार करेगा।

[45] यूहन्ना 10:32 इस पर यीशु ने उनसे कहा, “मैंने तुम्हें अपने पिता की ओर से बहुत से भले काम दिखाए हैं, उनमें से किस काम के लिये तुम मुझे पत्थराव करते हो?” यहूदियों ने उसको उत्तर दिया, “भले काम के लिये हम तुझे पत्थराव नहीं करते, परन्तु परमेश्‍वर की निन्दा के कारण और इसलिए कि तू मनुष्य होकर अपने आप को परमेश्‍वर बनाता है।” (लैव्य. 24:16)

[46] यशायाह 53:2 क्योंकि वह उसके सामने अंकुर के समान, और ऐसी जड़ के समान उगा जो निर्जल भूमि में फूट निकले; उसकी न तो कुछ सुन्दरता थी कि हम उसको देखते, और न उसका रूप ही हमें ऐसा दिखाई पड़ा कि हम उसको चाहते। (मत्ती 2:23) वह तुच्छ जाना जाता और मनुष्यों का त्यागा हुआ था; वह दुःखी पुरुष था, रोग से उसकी जान-पहचान थी; और लोग उससे मुख फेर लेते थे। वह तुच्छ जाना गया, और, हमने उसका मूल्य न जाना। (मर. 9:12)

[47] यूहन्ना 11:15 और मैं तुम्हारे कारण आनन्दित हूँ कि मैं वहाँ न था जिससे तुम विश्वास करो। परन्तु अब आओ, हम उसके पास चलें।तब थोमा ने जो दिदुमुस कहलाता है, अपने साथ के चेलों से कहा, “आओ, हम भी उसके साथ मरने को चलें।

[48] अय्यूब 1:6 एक दिन यहोवा परमेश्‍वर के पुत्र उसके सामने उपस्थित हुए, और उनके बीच शैतान भी आया।

[49] लूका 20:13 तब दाख की बारी के स्वामी ने कहा, ‘मैं क्या करूँ? मैं अपने प्रिय पुत्र को भेजूँगा, क्या जाने वे उसका आदर करें।जब किसानों ने उसे देखा तो आपस में विचार करने लगे, ‘यह तो वारिस है; आओ, हम उसे मार डालें, कि विरासत हमारी हो जाए।और उन्होंने उसे दाख की बारी से बाहर निकालकर मार डाला: इसलिए दाख की बारी का स्वामी उनके साथ क्या करेगा?

[50] यूहन्ना 8:34 यीशु ने उनको उत्तर दिया, “मैं तुम से सच-सच कहता हूँ कि जो कोई पाप करता है, वह पाप का दास है। और दास सदा घर में नहीं रहता; पुत्र सदा रहता है। (गला. 4:30) इसलिए यदि पुत्र तुम्हें स्वतंत्र करेगा, तो सचमुच तुम स्वतंत्र हो जाओगे।

[51] 1शमूएल 2:25 यदि एक मनुष्य दूसरे मनुष्य का अपराध करे, तब तो परमेश्‍वर उसका न्याय करेगा; परन्तु यदि कोई मनुष्य यहोवा के विरुद्ध पाप करे, तो उसके लिये कौन विनती करेगा?तो भी उन्होंने अपने पिता की बात न मानी; क्योंकि यहोवा की इच्छा उन्हें मार डालने की थी।

[52] यूहन्ना 12:31 अब इस जगत का न्याय होता है, अब इस जगत का सरदार* निकाल दिया जाएगा। और मैं यदि पृथ्वी पर से ऊँचे पर चढ़ाया जाऊँगा, तो सब को अपने पास खीचूँगा।

[53] 2पतरस 2:4 क्योंकि जब परमेश्‍वर ने उन दूतों को जिन्होंने पाप किया नहीं छोड़ा*, पर नरक में भेजकर अंधेरे कुण्डों में डाल दिया, ताकि न्याय के दिन तक बन्दी रहें।

[54] रोमियो 14:17 क्योंकि परमेश्‍वर का राज्य खाना-पीना नहीं; परन्तु धार्मिकता और मिलाप और वह आनन्द है जो पवित्र आत्मा से होता है।

[55] मत्ती 12:28 पर यदि मैं परमेश्‍वर के आत्मा की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता हूँ, तो परमेश्‍वर का राज्य तुम्हारे पास आ पहुँचा है।

[56] 2कुरिन्थियों 5:21 जो पाप से अज्ञात था, उसी को उसने हमारे लिये पाप ठहराया, कि हम उसमें होकर परमेश्‍वर की धार्मिकता बन जाएँ।

[57] प्रेरितों के काम 2:24 परन्तु उसी को परमेश्‍वर ने मृत्यु के बन्धनों से छुड़ाकर जिलाया: क्योंकि यह अनहोना था कि वह उसके वश में रहता। (2 शमू. 22:6, भज. 18:4, भज. 116:3)

[58] फिलिप्पियों 2:9 इस कारण परमेश्‍वर ने उसको अति महान भी किया, और उसको वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्ठ है, कि जो स्वर्ग में और पृथ्वी पर और जो पृथ्वी के नीचे है; वे सब यीशु के नाम पर घुटना टेकें*, और परमेश्‍वर पिता की महिमा के लिये हर एक जीभ अंगीकार कर ले कि यीशु मसीह ही प्रभु है।

[59] मत्ती 28:18 यीशु ने उनके पास आकर कहा, “स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार* मुझे दिया गया है।

[60] प्रकाशित वाक्य 1:17 जब मैंने उसे देखा, तो उसके पैरों पर मुर्दा सा गिर पड़ा* और उसने मुझ पर अपना दाहिना हाथ रखकर यह कहा, “मत डर; मैं प्रथम और अन्तिम हूँ, और जीवित भी मैं हूँ, (यशा. 44:6, दानि. 8:17) मैं मर गया था, और अब देख मैं युगानुयुग जीविता हूँ; और मृत्यु और अधोलोक की कुंजियाँ मेरे ही पास हैं। (रोम. 6:9, रोम. 14:9)

[61] प्रेरितों के काम 2:23 उसी को, जब वह परमेश्‍वर की ठहराई हुई योजना और पूर्व ज्ञान के अनुसार पकड़वाया गया, तो तुम ने अधर्मियों के हाथ से उसे क्रूस पर चढ़वाकर मार डाला।

[62] यूहन्ना 13:27 और टुकड़ा लेते ही शैतान उसमें समा गया: तब यीशु ने उससे कहा, “जो तू करनेवाला है, तुरन्त कर।

[63] यूहन्ना 10:17 पिता इसलिए मुझसे प्रेम रखता है, कि मैं अपना प्राण देता हूँ, कि उसे फिर ले लूँ। कोई उसे मुझसे छीनता नहीं*, वरन् मैं उसे आप ही देता हूँ। मुझे उसके देने का अधिकार है, और उसे फिर लेने का भी अधिकार है। यह आज्ञा मेरे पिता से मुझे मिली है।

https://youtu.be/AupisuARmgQ?feature=shared