When does world war 3 arise? |
यहेजकेल 21:12 हे मनुष्य के सन्तान चिल्ला, और हाय, हाय, कर! क्योंकि वह मेरी प्रजा पर चलने वाली है, वह इस्राएल के सारे प्रधानों पर चलने वाली है; मेरी प्रजा के संग वे भी तलवार के वश में आ गए। इस कारण तू अपनी छाती पीट। यहेजकेल 21:13 क्योंकि सचमुच उसकी जाँच हुई है, और यदि उसे तुच्छ जाननेवाला राजदण्ड भी न रहे, तो क्या? परमेश्वर यहोवा की यही वाणी है। यहेजकेल 21:14 “इसलिए हे मनुष्य के सन्तान, भविष्यद्वाणी कर, और हाथ पर हाथ दे मार, और तीन बार तलवार का बल दुगना किया जाए; वह तो घात करने की तलवार वरन् बड़े से बड़े के घात करने की तलवार है, जिससे कोठरियों में भी कोई नहीं बच सकता। यहेजकेल 21:15 मैंने घात करनेवाली तलवार को उनके सब फाटकों के विरुद्ध इसलिए चलाया है कि लोगों के मन टूट जाएँ, और वे बहुत ठोकर खाएँ*। हाय, हाय! वह तो बिजली के समान बनाई गई, और घात करने को सान चढ़ाई गई है। यहेजकेल 21:16 सिकुड़कर दाहिनी ओर जा, फिर तैयार होकर बाईं ओर मुड़, जिधर भी तेरा मुख हो। यहेजकेल 21:17 मैं भी ताली बजाऊँगा और अपनी जलजलाहट को ठण्डा करूँगा, मुझ यहोवा ने ऐसा कहा है।” † This is a prophecy prophesied that Judah would be attacked 3 times by Babylon[1] and taken into captivity. One might view the attack on Judah by Babylon as a foreshadowing of the attack on God's people by Babylon in the end times.[2] The reason Judah was attacked was because it had fallen. Likewise, judgment will come upon the fallen church. But just as there were remnants in Judah, there will be remnants in the church of the last days. It seems that there have been 2 judgments of the great sword upon the church that has become Babylon. It is world war 1 and world war 2. On the surface, the great powers seem to fight for supremacy, but wars do not just happen without God's permission.[3] If we connect the two world wars with the judgment on Judah and view the wars as God's judgment on the fallen church, it can be seen that the 3rd judgment of the sword still remains. (There may be views that the judgment of this sword has nothing to do with world wars) यिर्मयाह 25:15 इस्राएल के परमेश्वर यहोवा ने मुझसे यह कहा, “मेरे हाथ से इस जलजलाहट के दाखमधु का कटोरा लेकर उन सब जातियों को पिला दे जिनके पास मैं तुझे भेजता हूँ। (प्रका. 14:10, प्रका. 15:7 प्रका. 16:19) यिर्मयाह 25:16 वे उसे पीकर उस तलवार के कारण जो मैं उनके बीच में चलाऊँगा लड़खड़ाएँगे और बावले हो जाएँगे।” † All the nations God has ordained to judge, reel back and forth and are mad with war. यिर्मयाह 25:17 इसलिए मैंने यहोवा के हाथ से वह कटोरा लेकर उन सब जातियों को जिनके पास यहोवा ने मुझे भेजा, पिला दिया। यिर्मयाह 25:18 अर्थात् यरूशलेम और यहूदा के नगरों के निवासियों को, और उनके राजाओं और हाकिमों को पिलाया, ताकि उनका देश उजाड़ हो जाए और लोग ताली बजाएँ, और उसकी उपमा देकर श्राप दिया करें; जैसा आजकल होता है। † It is the fallen people of God who are the first to drink the cup of war. यिर्मयाह 25:19 और मिस्र के राजा फ़िरौन और उसके कर्मचारियों, हाकिमों, और सारी प्रजा को; यिर्मयाह 25:20 और सब विदेशी मनुष्यों की जातियों को और ऊस देश के सब राजाओं को; और पलिश्तियों के देश के सब राजाओं को और अश्कलोन, गाज़ा और एक्रोन के और अश्दोद के बचे हुए लोगों को; यिर्मयाह 25:21 और एदोमियों, मोआबियों और अम्मोनियों के सारे राजाओं को; यिर्मयाह 25:22 और सोर के और सीदोन के सब राजाओं को, और समुद्र पार के देशों के राजाओं को; यिर्मयाह 25:23 फिर ददानियों, तेमाइयों और बूजियों को और जितने अपने गाल के बालों को मुँड़ा डालते हैं, उन सभी को भी; यिर्मयाह 25:24 और अरब के सब राजाओं को और जंगल में रहनेवाले दोगले मनुष्यों के सब राजाओं को; यिर्मयाह 25:25 और जिम्री, एलाम और मादै के सब राजाओं को; यिर्मयाह 25:26 और क्या निकट क्या दूर के उत्तर दिशा के सब राजाओं को एक संग पिलाया, इस प्रकार धरती भर में रहनेवाले जगत के राज्यों के सब लोगों को मैंने पिलाया। और इन सबके बाद शेशक के राजा को भी पीना पड़ेगा। † After the judgment on the people of God is over, the nations of the world drink the cup of judgment and die. Sheshach is another name for Babylon.[4] After God judges Israel and the gentiles through Babylon, Babylon which was used as an instrument of judgment, will also receive the cup of wrath. यिर्मयाह 25:27 “तब तू उनसे यह कहना, सेनाओं का यहोवा जो इस्राएल का परमेश्वर है, यह कहता है, पीओ, और मतवाले हो* और उलटी करो, गिर पड़ो और फिर कभी न उठो, क्योंकि यह उस तलवार के कारण से होगा जो मैं तुम्हारे बीच में चलाऊँगा। (प्रका. 18:3) यिर्मयाह 25:28 “यदि वे तेरे हाथ से यह कटोरा लेकर पीने से इन्कार करें तो उनसे कहना, सेनाओं का यहोवा यह कहता है कि तुमको निश्चय पीना पड़ेगा। † Creatures can never reject the cup that God the Creator has ordained. यिर्मयाह 25:29 देखो, जो नगर मेरा कहलाता है, मैं पहले उसी में विपत्ति डालने लगूँगा, फिर क्या तुम लोग निर्दोष ठहरके बचोगे? तुम निर्दोष ठहरके न बचोगे, क्योंकि मैं पृथ्वी के सब रहनेवालों पर तलवार चलाने पर हूँ, सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है। (1 पत. 4:17) † If anyone dares to sin against God, God will bring calamity even on the people who are called by His name. How much more can those who oppose God escape that judgment? God will punish the world with war. यहेजकेल 9:4 और यहोवा ने उससे कहा, “इस यरूशलेम नगर के भीतर इधर-उधर जाकर जितने मनुष्य उन सब घृणित कामों के कारण जो उसमें किए जाते हैं, साँसें भरते और दुःख के मारे चिल्लाते हैं, उनके माथों पर चिन्ह लगा दे।” † God seals on the foreheads of those who sigh and cry over the sins of forsaking the commandments of God. यहेजकेल 9:5 तब उसने मेरे सुनते हुए दूसरों से कहा, “नगर में उनके पीछे-पीछे चलकर मारते जाओ; किसी पर दया न करना और न कोमलता से काम करना। † The judgment begins with the people of God in Jerusalem first. यहेजकेल 9:6 बूढ़े, युवा, कुँवारी, बाल-बच्चे, स्त्रियाँ, सब को मारकर नाश करो*, परन्तु जिस किसी मनुष्य के माथे पर वह चिन्ह हो, उसके निकट न जाना। और मेरे पवित्रस्थान ही से आरम्भ करो।” और उन्होंने उन पुरनियों से आरम्भ किया जो भवन के सामने थे। † God seals on those who fear God to make them escape judgment. यहेजकेल 9:7 फिर उसने उनसे कहा, “भवन को अशुद्ध करो, और आँगनों को शवों से भर दो। चलो, बाहर निकलो।” तब वे निकलकर नगर में मारने लगे। यहेजकेल 9:8 जब वे मार रहे थे, और मैं अकेला रह गया*, तब मैं मुँह के बल गिरा और चिल्लाकर कहा, “हाय प्रभु यहोवा! क्या तू अपनी जलजलाहट यरूशलेम पर भड़काकर इस्राएल के सब बचे हुओं को भी नाश करेगा?” यहेजकेल 9:9 तब उसने मुझसे कहा, “इस्राएल और यहूदा के घरानों का अधर्म अत्यन्त ही अधिक है, यहाँ तक कि देश हत्या से और नगर अन्याय से भर गया है; क्योंकि वे कहते है, यहोवा ने पृथ्वी को त्याग दिया और यहोवा कुछ नहीं देखता। यहेजकेल 9:10 इसलिए उन पर दया न होगी, न मैं कोमलता करूँगा, वरन् उनकी चाल उन्हीं के सिर लौटा दूँगा।” † Even God's people will be judged if they sin. How much more will God do the gentiles who have rebelled against God from the beginning? 1पतरस 4:17 क्योंकि वह समय आ पहुँचा है, कि पहले परमेश्वर के लोगों का न्याय किया जाए, और जब कि न्याय का आरम्भ हम ही से होगा तो उनका क्या अन्त होगा जो परमेश्वर के सुसमाचार को नहीं मानते? (इब्रा. 12:24-25, यिर्म. 25:29, यहे. 9:6) 1पतरस 4:18 और “यदि धर्मी व्यक्ति ही कठिनता से उद्धार पाएगा, तो भक्तिहीन और पापी का क्या ठिकाना?” (नीति. 11:31) † When God judges, He judges His people first. |
View 1: Occurs at the time of the 2nd seal |
प्रकाशित वाक्य 6:3 जब उसने दूसरी मुहर खोली, तो मैंने दूसरे प्राणी को यह कहते सुना, “आ।” प्रकाशित वाक्य 6:4 फिर एक और घोड़ा निकला, जो लाल रंग का था; उसके सवार को यह अधिकार दिया गया कि पृथ्वी पर से मेल उठा ले, ताकि लोग एक दूसरे का वध करें; और उसे एक बड़ी तलवार दी गई। † The sword is war, so the great sword is a great war. The great sword around the time of the breaking of the seal, around the 70th week, signifies world war 3. Famines, death, and martyrdom take place starting with world war 3 which occurred when the 2nd seal was broken. Subsequently, with the sealing of the 144000, 1/3 of the vegetation, the sea, the rivers, and the sunshine is destroyed. प्रकाशित वाक्य 6:7 और जब उसने चौथी मुहर खोली, तो मैंने चौथे प्राणी का शब्द यह कहते सुना, “आ।” प्रकाशित वाक्य 6:8 मैंने दृष्टि की, और एक पीला घोड़ा है; और उसके सवार का नाम मृत्यु है; और अधोलोक उसके पीछे-पीछे है और उन्हें पृथ्वी की एक चौथाई पर यह अधिकार दिया गया, कि तलवार, और अकाल, और मरी, और पृथ्वी के वन-पशुओं के द्वारा लोगों को मार डालें। (यिर्म. 15:2-3) † Due to war which occurred at the 2nd seal, overlapped with global food shortages and plagues, eventually earth1/4 people come to die. Looking at the results of the death of people on earth1/4, it seems that world war 3 takes place at the 2nd seal. मत्ती 24:6 तुम लड़ाइयों और लड़ाइयों की चर्चा सुनोगे; देखो घबरा न जाना क्योंकि इनका होना अवश्य है, परन्तु उस समय अन्त न होगा। मत्ती 24:7 क्योंकि जाति पर जाति, और राज्य पर राज्य चढ़ाई करेगा, और जगह-जगह अकाल पड़ेंगे, और भूकम्प होंगे। मत्ती 24:8 ये सब बातें पीड़ाओं का आरम्भ* होंगी। † World war 3 is only the beginning of the suffering that will follow. Taking advantage of the chaotic situation caused by world war 3, the beast, the political power, arises, and many people of God are slaughtered by the beast that has taken over the world. † The primary meaning of the blowing of the 4 winds at the time of the 6th trumpet, is that the beast with power arises, not that war begins. The beast may use war as a means of gaining power, but war is not a purpose. Taking advantage of the aftermath of world war 3 which occurred at the time of the 2nd seal and continued until the 4 winds were blown, the beast might take power as soon as the 4 winds were blown. Therefore, world war 3 will occur not at the time of the 6th trumpet when the 4 angels are released and the beast rises, but at the time of the 2nd seal, directly referred to as the 'great sword'. As a result of world war 3 that has continued since the 2nd seal, the world beast government come to be established at the 6th trumpet. Then, the 200000000 horsemen that appeared through the 4 angels, released after the 6th trumpet is sounded[5], are highly likely to be the armies of the beast that end world war 3 that had continued until then, and establish the reign of the beast. War is a fight between countries beating each other. However, the 200000000 horsemen that appeared at the sound of the 6th trumpet, seem to unilaterally slaughter the opposing forces rather than fighting each other. It seems difficult to view the unilateral massacre as a war, that is, world war 3. Therefore, world war 3 may begin at the time of the 2nd seal. The 200000000 horsemen that appeared after the 6th trumpet is sounded, are not the forces that cause world war 3, but rather the forces that end world war 3 and bring peace to the world[6] and establish the world beast government[7] by the prostitute riding the beast.[8] The nations of the world will not be united into one[9], but all nations will come under the control of the one beast government.[10] |
View 2: Occurs at the time of the 6th trumpet |
Premise: It is assumed that the 4 winds of the heavens in Dan7, the 4 winds of the earth in Rev7, and the 4 angels in Rev9, all do the same kind of work that raise beast. |
दानिय्येल 7:2 दानिय्येल ने यह कहा, “मैंने रात को यह स्वप्न देखा कि महासागर पर चौमुखी आँधी चलने लगी। (प्रका. 7:1) दानिय्येल 7:3 तब समुद्र में से चार बड़े-बड़े जन्तु, जो एक दूसरे से भिन्न थे, निकल आए। † When the 4 winds blow, great beasts rise. The beasts of the end times come up from the sea and the earth.[11] These beasts are the worldly authorities that have dominion[12], and Satan uses these beasts to slaughter the people of God. प्रकाशित वाक्य 7:1 इसके बाद मैंने पृथ्वी के चारों कोनों पर चार स्वर्गदूत खड़े देखे, वे पृथ्वी की चारों हवाओं को थामे हुए थे ताकि पृथ्वी, या समुद्र, या किसी पेड़ पर, हवा न चले। (दानि. 7:2, जक. 6:5) प्रकाशित वाक्य 7:2 फिर मैंने एक और स्वर्गदूत को जीविते परमेश्वर की मुहर लिए हुए पूरब से ऊपर की ओर आते देखा; उसने उन चारों स्वर्गदूतों से जिन्हें पृथ्वी और समुद्र की हानि करने का अधिकार दिया गया था, ऊँचे शब्द से पुकारकर कहा, प्रकाशित वाक्य 7:3 “जब तक हम अपने परमेश्वर के दासों के माथे पर मुहर न लगा दें, तब तक पृथ्वी और समुद्र और पेड़ों को हानि न पहुँचाना।” (यहे. 9:4) † When the 4 winds blow, the beasts come up. And when we look at the word of Revelation 9, these 4 winds, the 4 angels, are bound at the great river Euphrates. Until the sealing is finished, these 4 winds are bound. And when the sealing is finished, 4 winds are released from the great river Euphrates, killing people1/3 and raising beasts from the sea and the earth to kill the saints.[13] The means to kill people1/3 is the 200000000 horsemen. 'Horsemen' is a word related to war, and when the 4 winds blow, the beast, the political rulership of the world, rises. Therefore, by analogy, when the 4 angels bound at the Euphrates are released, a war breaks out, people1/3 die and the reign of the beast begins. प्रकाशित वाक्य 9:14 मानो कोई छठवें स्वर्गदूत से, जिसके पास तुरही थी कह रहा है, “उन चार स्वर्गदूतों को जो बड़ी नदी फरात के पास बंधे हुए हैं, खोल दे।” प्रकाशित वाक्य 9:15 और वे चारों दूत खोल दिए गए जो उस घड़ी, और दिन, और महीने, और वर्ष के लिये मनुष्यों की एक तिहाई के मार डालने को तैयार किए गए थे। प्रकाशित वाक्य 9:16 उनकी फौज के सवारों की गिनती बीस करोड़ थी; मैंने उनकी गिनती सुनी। † After the people of the earth1/4 died at the time of the 4th seal, the 6th trumpet is sounded and the 4 angels holding the 4 winds are released.[14] When the 4 angels are released, 200000000 horsemen rise and kill people1/3 of those who are still alive. War is the only way to kill people1/3 of the world's population in a short time. What can be said other than war that people1/3, one or two billions of people, were killed by the 200000000 horsemen? Therefore, world war 3 will occur at the time of the 6th trumpet. † In the midst of the situation worsened by the local wars and disasters that preceded it, a war that began around the Euphrates river spreads to world war 3, and the prostitute riding on the sea beast, the Babylon roman papacy, takes advantage of the chaos and recovers her evil power.[15] प्रकाशित वाक्य 16:12 छठवें स्वर्गदूत ने अपना कटोरा महानदी फरात पर उण्डेल दिया और उसका पानी सूख गया कि पूर्व दिशा के राजाओं के लिये मार्ग तैयार हो जाए। (यशा. 44:27) † The 6th golden bowl plague falls on the great river Euphrates. This river Euphrates is the place where the 4 winds, the 4 angels who will harm the earth and the sea, are bound. These 4 angels are bound at the Euphrates, but if these 4 angels are released, the whole world will be harmed. It seems that the kings from the sunrise cannot come yet unless the water of the great river Euphrates is dried up. Historically, the water of the Euphrates was a defense mechanism for Babylon. Cyrus, the ruler of Persia, turned the Euphrates river and secured an intrusion route to Babylon.[16] When the 6th golden bowl is poured on the Euphrates and the Babylonian defense disappears, the way for the LORD Jesus and His heavenly army is prepared.[17] |
The Euphrates river where the 4 angels are bound, is a river that originates in Turkey and crosses Syria and Iraq as of 2022. In the vicinity of the Euphrates river, there are countries such as Syria, Iraq, Turkey, Israel, Jordan, Iran, Kuwait and Saudi Arabia. The release of the 4 angels bound at the Euphrates is like the release of the 4 winds that raise the beasts. The beasts that rose after the 4 winds blow, that is, the great powers, had gained hegemony through war. Judging from this, it is highly probable that the meaning of the 4 winds blowing, means that a war is about to happen. If the Euphrates here is not a spiritual symbol, but actually refers to the Euphrates river in Turkey, Syria, and Iraq, then there is a possibility that world war 3 which the 4 winds are blown to raise the beasts, will begin near the Euphrates river. It means that world war 3 might break out near Syria and Iraq, and that the beasts might rise through this war. In some pictures, Turkey, Syria, Iraq, and Iran are expressed like the 4 angels bound at the Euphrates. I think it might be the case in that there is a ruler of the air[18] who is in charge of a nation[19], that is, a fallen angel.[20] However, since the 4 winds affect the whole world[21], I think the 4 angels might symbolize more powerful rulers of the world who can affect not just one nation but the whole world.[22] Or maybe the 4 angels are simply angels blocking a global war. There may be different opinions as to whether the 4 winds are fallen angels or the 4 angels holding the 4 winds are fallen angels.[23] Some might view the 4 winds or the 4 angels as little rulers under the command of a great ruler who affects the whole world. Then it can be explained that the whole world is swept away even though a little rulers have been released. Anyway, the greatest ruler of the world among the fallen angels is Satan[24], that is, Helel[25], and Helel also does evil with the permission of God the Creator in justice.[26] Local wars between countries which can bring about food shortages and famines in the world, have already started from the 2nd seal.[27] It seems that these local wars ripen with calamities that wipe out 1/3 of plants, seas, rivers, and sunshine, and then escalate into world war 3 that the beasts are raised by the 4 angels released from the Euphrates river. With the advent of the sea beast, the prostitute who rode on the superpower[28], that is, the papacy, the war ceases for a while, and a massive slaughter on the saints begins for 42 months.[29] Then, what is the 200000000 horsemen that kill people1/3? If China is not an area that does not belong to earth1/4 where a lot of people die, then the population is likely not going to decrease that much. If that were the case, the only single country capable of rasing the 200000000 army, would probably be China with a population of 1400000000. Russia has a population of less than 200000000, and India has a population of 1300000000, similar to that of China, but its military power is inferior to that of China, not to mention the United States. (This means that the standard of military power cannot be viewed only by the population.) As of 2022, China has become stronger, but it is not enough to compete with the United States. Furthermore, there is no hint of any conceivable suggestion that China will not be included in the earth1/4 where is slain by the 'death' of the 4th seal.[30] In 2022, the Chinese population maybe 1400000000, but even after the death of the earth1/4, it cannot be guaranteed that it will still be 1400000000. If so, is this army of 200000000 horsemen an approximate number of all the soldiers in the world who will participate in world war 3? However, it seems that this army of 200000000 horsemen is not a divided group. The 200000000 horsemen seem to be a group that follow the orders of a single force. Compared to the locusts that come out of the abyss after the 5th trumpet is sounded[31], when I think of the appearances of the 200000000 horsemen[32], I even question whether this army of 200000000 horsemen which kills people1/3 and establishes the world beast government[33], is really a human army? I don't know whether the army of 200000000 horsemen is an allied force of each country, or an army of a single country, or an army that is not made up of humans. However, seeing that even an army that kills people1/3 is rising, the 4 winds blown by the 4 angels released from the Euphrates river, will not be local winds. The local wars will escalate into a global war. If this war breaks out, it may probably be world war 3. (Some view it as a unilateral 'slaughter' by horsemen, not 'war'. Then it might not be called world war 3. Whether expressed as war or slaughter, people1/3 die anyway.) With the 2nd seal, wars between countries break out. However, it is not the end yet. The sealing of the 144000 in the 6th seal and the tribulations of the 7th seal, the 7 golden trumpet tribulations, remain behind. Judging from the word that there is a war between each country, it can be seen that the beast has not yet taken over the world. It is still too early for the beast to use the mark to kill the people of God. Therefore, it is highly likely that the war at the time of the 2nd seal is not world war 3. But it would be enough war to bring famines and persecutions into the world. At this time, the international political powers with food will begin to take over the countries of the world. Even if a full-scale world war 3 does not occur at this time, the atmosphere in which world war 3 can occur, will gradually increase. 1/3 of plants, seas, rivers, and sunshine are wiped out soon following local wars that bring famines to the world. Because up to 1/3 of the drinking water source will be exterminated, perhaps 1/3 of the planet earth will be uninhabitable at this time. After 5 months of scorpion torment caused by locusts, the time of the 5th trumpet ends and the 6th trumpet is sounded. World war 3 will probably break out when the 6th trumpet is sounded and the 4 angels are released from the great river Euphrates. When the 4 winds blow, the beasts rise.[34] When the winds of war blow[35], the sea beast, the political parasite that parasitizes superpower, the papacy, is healed. The papacy will rule the world through the superpower for 42 months. For 42 months, the Babylon the great, the mother of the prostitutes, will ride the superpower the scarlet beast, and rule the whole world.[36] The 4 angels of Euphrates will cause world war 3 (or unilateral massacre) to kill people1/3 through the 200000000 horsemen and establish the sea beast world government.[37] If the beast takes over the world, the nations of the world will be under the control of the Babylon prostitute who has taken over the superpower beast. Accordingly, for the time being, the war between nations will cease and a massive persecution against the saints will begin.[38] The Euphrates river is located in present day Turkey, Syria, and Iraq near Israel. Iraq's old name is Babylon. (Syria was destroyed by Assyria and then subjugated to Babylon.) However, there is a possibility that the great river Euphrates mentioned in Revelation 9 might not be the actual Euphrates river in Iraq. If we consider the Euphrates of Revelation 9 to be the actual Euphrates river in Iraq, the Euphrates of Revelation 16 can also mean the actual Euphrates river in Iraq. If we look at the Euphrates in Revelation 16 as the actual Euphrates, it is difficult to explain the saying that the way of the kings of the east will be prepared. How to explain the saying that the way of the kings of the east will be prepared when the 6th bowl is poured on Iraq's Euphrates river? The time when the 6th golden bowl plague is poured out, is after the martyr witnesses are resurrected or transformed. When the LORD Jesus who came to the air and caught up the resurrected or transformed martyr witnesses, comes from the air even to the earth, would a mere stream of a river become an obstacle? The Euphrates is a river that has a symbolic meaning to protect Babylon. Just as Cyrus the Persian ruler, infiltrated into Babylon by turning the water of the Euphrates river that forms the moat of Babylon, taking advantage of the lower water level[39], when the water of the Euphrates is dried up in this way, there will be a way to penetrate into Babylon and attack. The Babylon mentioned in the book of Revelation is not an actual historical or geographical Babylon. This Babylon is Babylon in the spiritual sense, that is, the religious authority established by Satan to bring human souls to destruction[40], that is, the mother of the prostitutes. The dryness of the Euphrates also might mean that the spiritual defense of Babylon is lost[41], not that the actual geographical water is dried up. The high water level of the geographical Euphrates river in Iraq cannot prevent the kings of the east[42], the armies of the LORD Jesus[43], from coming to the earth. The geographical Euphrates river does not have to be dried up for the LORD Jesus to come to the earth. It has nothing to do with the coming of the LORD Jesus, whether the water of the geographical Euphrates river is dried up or not. Then, the Euphrates river in Revelation 16 should be viewed in a spiritual sense. If the Euphrates river of Revelation 16 is viewed in a spiritual sense, then the Euphrates river of Revelation 9 can also have a spiritual meaning. If that is the case, the great river Euphrates in Revelation 9 where the 4 angels who will kill people1/3 are bound, might not be the actual geographical location of the Euphrates river in Iraq. If so, what does the great river Euphrates mean in a spiritual sense? If the release of the 4 angels that kill people1/3 is regarded as the outbreak of world war 3, where is the Euphrates river where the 4 angels who will cause the world war 3, are bound? Where is the Euphrates river blocking the way of the kings of the east? Where is the great river Euphrates where the way of the kings of the east is prepared when its water is dried up? Where is the Euphrates, the great river, that the LORD Jesus comes with His army to the earth after its water is dried up? What is the Euphrates? Who is the Euphrates? Also, if we see the great river Euphrates in Revelation 16 in a spiritual sense, there is a possibility that we will try to see the numbers and names of the whole book of Revelation as well as the Euphrates in Revelation 9 in a spiritual sense. The 144000 firstfruits can also be viewed as a symbol of more people rather than the actual 144000 people, and the 42 months, that is, the 1260 days, as a symbol of a completely different period rather than the actual 1260 days. If so, it might be possible to affect the calculation of the 70-weeks. Accordingly, we should be very careful to view all the figures and places in the book of Revelation as spiritual symbols, or view them as all real figures or places.[44] |
View 3: 2nd seal is a part of the 4 winds blowing at the time of the 6th trumpet |
=The great sword in the 2nd seal and the 200000000 horsemen in the 6th trumpet, all refer to world war 3 |
Seals and trumpets are not the order in which events happen. The trumpets are also contained in the seal. The reason why each seal is separated is to distinguish the characteristics of the events that occur, not to list the sequence of events that occur. Therefore, there is no problem even if it is assumed that the events that occur after the seals are broken, do not occur in sequence, but occur all at once or in reverse order. Considering that the seals and the trumpets do not occur sequentially, the great sword, the war, that comes out after the Lamb breaks the 2nd seal, can be a result of the 4 winds that are released after the 6th trumpet is sounded. It means that the deceptions, wars, famines, plagues, martyrdom, and the sealing of the 144000, every event from the 1st seal to the 6th seal, and the regional tribulations from the 1st trumpet to the 6th trumpet, and the global plagues from the 1st bowl to the 7th bowl, will happen all at once almost at the same time. Therefore, the great sword of the 2nd seal and the 4 winds of the 6th trumpet, can be viewed as one event occurring at the same time. |
I do not agree with this view |
Conclusion Whether world war 3 breaks out at the time of the 2nd seal or at the time of the 6th trumpet, world war 3 is a war that will break out. And the Babylon prostitute will use this war[45] to seize the dominion of the world.[46] It can also be expressed as a unilateral 'slaughter' by the 200000000 horsemen, not a 'war', when the people of earth1/4 die[47] and then people1/3 die again by the 200000000 horsemen. Even so, whether people die in a war or a massacre, people die anyway. That's why, I don't think it is very important to discuss what to call it when people are killed by the great sword and the 200000000 horsemen. The important thing is that after more than half of the people of world's population dies, the roman babylon prostitute will regain its lost power. The 42 months when the prostitute beast seizes the dominion of the world, is the 1st half of the 70th week. It means that after the prostitute beast seizes the dominion of the world, the blank period is finally over and the last remaining 1 week out of the 70-weeks begins.[48] ① World war 3 breaks out at the time of the 2nd seal. After that, earth1/4 people die due to the war and global food shortages and epidemics. Then massive martyrdom takes place. 1/3 of plants, seas, rivers, and sunshine are destroyed. Many people suffer scorpion torment from locusts for 5 months. And people1/3 die by the 200000000 horsemen that come out after the 6th trumpet is sounded. Only then the prostitute beast regains power to control of the world that has lost since the end of the middle ages and slaughters God's people. Or, ② Earth1/4 people die by local wars between countries which break out at the time of the 2nd seal, global food shortages, and epidemics. Then massive martyrdom takes place. 1/3 of plants, seas, rivers, and sunshine are destroyed. Many people suffer scorpion torment from locusts for 5 months. And people1/3 die by the 200000000 horsemen that come out after the 6th trumpet is sounded. And taking advantage of the chaos, the prostitute beast regains power to control of the world that has lost since the end of the middle ages and slaughters God's people. In any case, there will be no wars between nations for at least 42 months after the prostitute beast seizes dominion of the world. And the prostitute beast will slaughter only God's people fiercely for the 42 months.[49] However, the 2 witnesses who were sealed, that is, the 144000 firstfruits, and the people of God who received God the Holy Spirit, will fight against the prostitute beast for 1260 days[50], preaching and proving the eternal gospel.[51] There will be some saints who will be protected in the prepared place for 1260 days.[52] For the 1260 days, the 1st half of the 70th week, apostasy[53], persecution, battle, and protection take place all at once. When the 1st half of the 70th week is over and the 7th trumpet is sounded, God will resurrect and transform the martyr witnesses and catch them up[54] into the air[55], and for the 2nd half of the 70th week, God will pour out the 7 plagues of the 7 golden bowls on the earth. God will give His people victory in the end.[56] Before the 70th week begins, not only the prostitute beast but also the sealed 144000 firstfruits to prophecy again[57], must be raised.[58] After the Lamb breaks the 6th seal, the 144000 firstfruits are sealed.[59] If world war 3 broke out after the 2nd seal was broken, it would mean that the 144000 firstfruits would be sealed during world war 3. If world war 3 broke out after the 6th trumpet was sounded, it would mean that the 144000 firstfruits would be sealed before the beginning of the world war 3. |
[1] दानिय्येल 1:1 यहूदा के राजा यहोयाकीम के राज्य के तीसरे वर्ष में बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर ने यरूशलेम पर चढ़ाई करके उसको घेर लिया*। [1st-Daniel]
2राजा 24:11 जब बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर के कर्मचारी नगर को घेरे हुए थे, तब वह आप वहाँ आ गया। तब यहूदा का राजा यहोयाकीन अपनी माता और कर्मचारियों, हाकिमों और खोजों को संग लेकर बाबेल के राजा के पास गया, और बाबेल के राजा ने अपने राज्य के आठवें वर्ष में उनको पकड़ लिया। [2nd-Jehoiachin]
यिर्मयाह 52:28 जिन लोगों को नबूकदनेस्सर बँधुआ करके ले गया, वे ये हैं, अर्थात् उसके राज्य के सातवें वर्ष में तीन हजार तेईस यहूदी; फिर अपने राज्य के अठारहवें वर्ष में नबूकदनेस्सर यरूशलेम से आठ सौ बत्तीस प्राणियों को बँधुआ करके ले गया; फिर नबूकदनेस्सर के राज्य के तेईसवें वर्ष में अंगरक्षकों का प्रधान नबूजरदान सात सौ पैंतालीस यहूदी जनों को बँधुए करके ले गया; सब प्राणी मिलकर चार हजार छः सौ हुए। [3rd-Destruction of Judah, 4th-After the destruction, the captain of the guard carried away captive of the Jews one more time]
[2] प्रकाशित वाक्य 17:4 यह स्त्री बैंगनी, और लाल रंग के कपड़े पहने थी, और सोने और बहुमूल्य मणियों और मोतियों से सजी हुई थी, और उसके हाथ में एक सोने का कटोरा था जो घृणित वस्तुओं से और उसके व्यभिचार की अशुद्ध वस्तुओं से भरा हुआ था। और उसके माथे पर यह नाम लिखा था, “भेद बड़ा बाबेल पृथ्वी की वेश्याओं और घृणित वस्तुओं की माता।” (प्रका. 19:2)
[3] 1शमूएल 17:47 और यह समस्त मण्डली जान लेगी कि यहोवा तलवार या भाले के द्वारा जयवन्त नहीं करता, इसलिए कि संग्राम तो यहोवा का है, और वही तुम्हें हमारे हाथ में कर देगा।”
1इतिहास 29:11 हे यहोवा! महिमा, पराक्रम, शोभा, सामर्थ्य और वैभव, तेरा ही है; क्योंकि आकाश और पृथ्वी में जो कुछ है, वह तेरा ही है; हे यहोवा! राज्य तेरा है, और तू सभी के ऊपर मुख्य और महान ठहरा है। (प्रका. 5:12-13) धन और महिमा तेरी ओर से मिलती हैं, और तू सभी के ऊपर प्रभुता करता है। सामर्थ्य और पराक्रम तेरे ही हाथ में हैं, और सब लोगों को बढ़ाना और बल देना तेरे हाथ में है।
दानिय्येल 4:35 पृथ्वी के सब रहनेवाले उसके सामने तुच्छ गिने जाते हैं, और वह स्वर्ग की सेना और पृथ्वी के रहनेवालों के बीच अपनी इच्छा के अनुसार काम करता है; और कोई उसको रोककर उससे नहीं कह सकता है, “तूने यह क्या किया है?”
[4] यिर्मयाह 51:41 “शेशक, जिसकी प्रशंसा सारे पृथ्वी पर होती थी कैसे ले लिया गया? वह कैसे पकड़ा गया? बाबेल जातियों के बीच कैसे सुनसान हो गया है?
[5] प्रकाशित वाक्य 9:15 और वे चारों दूत खोल दिए गए जो उस घड़ी, और दिन, और महीने, और वर्ष के लिये मनुष्यों की एक तिहाई के मार डालने को तैयार किए गए थे। उनकी फौज के सवारों की गिनती बीस करोड़ थी; मैंने उनकी गिनती सुनी।
[6] दानिय्येल 8:23 और उन राज्यों के अन्त समय में जब अपराधी पूरा बल पकड़ेंगे, तब क्रूर दृष्टिवाला और पहेली बूझनेवाला एक राजा उठेगा। उसका सामर्थ्य बड़ा होगा, परन्तु उस पहले राजा का सा नहीं; और वह अद्भुत रीति से लोगों को नाश करेगा, और सफल होकर काम करता जाएगा, और सामर्थियों और पवित्र लोगों के समुदाय को नाश करेगा। उसकी चतुराई के कारण उसका छल सफल होगा, और वह मन में फूलकर निडर रहते हुए बहुत लोगों को नाश करेगा। वह सब राजाओं के राजा के विरुद्ध भी खड़ा होगा; परन्तु अन्त को वह किसी के हाथ से बिना मार खाए टूट जाएगा।
[7] प्रकाशित वाक्य 13:1 मैंने एक पशु को समुद्र में से निकलते हुए देखा, जिसके दस सींग और सात सिर थे। उसके सींगों पर दस राजमुकुट, और उसके सिरों पर परमेश्वर की निन्दा के नाम लिखे हुए थे। (दानि. 7:3, प्रका. 12:3) जो पशु मैंने देखा, वह चीते के समान था; और उसके पाँव भालू के समान, और मुँह सिंह के समान था। और उस अजगर ने अपनी सामर्थ्य, और अपना सिंहासन, और बड़ा अधिकार, उसे दे दिया।
[8] प्रकाशित वाक्य 17:3 तब वह मुझे पवित्र आत्मा में जंगल को ले गया, और मैंने लाल रंग के पशु पर जो निन्दा के नामों से भरा हुआ था और जिसके सात सिर और दस सींग थे, एक स्त्री को बैठे हुए देखा।
[9] दानिय्येल 2:43 और तूने जो लोहे को कुम्हार की मिट्टी के संग मिला हुआ देखा, इसका अर्थ यह है, कि उस राज्य के लोग एक दूसरे मनुष्यों से मिले-जुले तो रहेंगे, परन्तु जैसे लोहा मिट्टी के साथ मेल नहीं खाता, वैसे ही वे भी एक न बने रहेंगे। और उन राजाओं के दिनों में स्वर्ग का परमेश्वर, एक ऐसा राज्य उदय करेगा जो अनन्तकाल तक न टूटेगा, और न वह किसी दूसरी जाति के हाथ में किया जाएगा। वरन् वह उन सब राज्यों को चूर-चूर करेगा, और उनका अन्त कर डालेगा; और वह सदा स्थिर रहेगा; (प्रका. 11:15)
[10] प्रकाशित वाक्य 13:5 बड़े बोल बोलने और निन्दा करने के लिये उसे एक मुँह दिया गया, और उसे बयालीस महीने तक काम करने का अधिकार दिया गया। और उसने परमेश्वर की निन्दा करने के लिये मुँह खोला, कि उसके नाम और उसके तम्बू अर्थात् स्वर्ग के रहनेवालों की निन्दा करे। उसे यह अधिकार दिया गया, कि पवित्र लोगों से लड़े, और उन पर जय पाए, और उसे हर एक कुल, लोग, भाषा, और जाति पर अधिकार दिया गया। (दानि. 7:21)
[11] प्रकाशित वाक्य 13:1 मैंने एक पशु को समुद्र में से निकलते हुए देखा, जिसके दस सींग और सात सिर थे। उसके सींगों पर दस राजमुकुट, और उसके सिरों पर परमेश्वर की निन्दा के नाम लिखे हुए थे। (दानि. 7:3, प्रका. 12:3)
[12] दानिय्येल 7:17 उन चार बड़े-बड़े जन्तुओं का अर्थ चार राज्य हैं, जो पृथ्वी पर उदय होंगे।
[13] प्रकाशित वाक्य 13:11 फिर मैंने एक और पशु को पृथ्वी में से निकलते हुए देखा, उसके मेम्ने के समान दो सींग थे; और वह अजगर के समान बोलता था।
[14] प्रकाशित वाक्य 7:1 इसके बाद मैंने पृथ्वी के चारों कोनों पर चार स्वर्गदूत खड़े देखे, वे पृथ्वी की चारों हवाओं को थामे हुए थे ताकि पृथ्वी, या समुद्र, या किसी पेड़ पर, हवा न चले। (दानि. 7:2, जक. 6:5) फिर मैंने एक और स्वर्गदूत को जीविते परमेश्वर की मुहर लिए हुए पूरब से ऊपर की ओर आते देखा; उसने उन चारों स्वर्गदूतों से जिन्हें पृथ्वी और समुद्र की हानि करने का अधिकार दिया गया था, ऊँचे शब्द से पुकारकर कहा, “जब तक हम अपने परमेश्वर के दासों के माथे पर मुहर न लगा दें, तब तक पृथ्वी और समुद्र और पेड़ों को हानि न पहुँचाना।” (यहे. 9:4)
[15] प्रकाशित वाक्य 13:3 मैंने उसके सिरों में से एक पर ऐसा भारी घाव लगा देखा, मानो वह मरने पर है; फिर उसका प्राणघातक घाव अच्छा हो गया, और सारी पृथ्वी के लोग उस पशु के पीछे-पीछे अचम्भा करते हुए चले।
[16] यशायाह 44:27 जो गहरे जल से कहता है, तू सूख जा, मैं तेरी नदियों को सूखाऊँगा; (यिर्म. 51:36) जो कुस्रू के विषय में कहता है, वह मेरा ठहराया हुआ चरवाहा है और मेरी इच्छा पूरी करेगा; यरूशलेम के विषय कहता है, वह बसाई जाएगी, और मन्दिर के विषय कि तेरी नींव डाली जाएगी।” (एज्रा. 1:1-3)
[17] प्रकाशित वाक्य 19:14 और स्वर्ग की सेना श्वेत घोड़ों पर सवार और श्वेत और शुद्ध मलमल पहने हुए उसके पीछे-पीछे है। जाति-जाति को मारने के लिये उसके मुँह से एक चोखी तलवार निकलती है, और वह लोहे का राजदण्ड लिए हुए उन पर राज्य करेगा, और वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर के भयानक प्रकोप की जलजलाहट की मदिरा के कुण्ड में दाख रौंदेगा। (प्रका. 2:27) और उसके वस्त्र और जाँघ पर यह नाम लिखा है: “राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु।” (1 तीमु. 6:15)
[18] इफिसियों 6:12 क्योंकि हमारा यह मल्लयुद्ध, लहू और माँस से नहीं, परन्तु प्रधानों से और अधिकारियों से, और इस संसार के अंधकार के शासकों से, और उस दुष्टता की आत्मिक सेनाओं से है जो आकाश में हैं।
[19] दानिय्येल 10:12 फिर उसने मुझसे कहा, “हे दानिय्येल, मत डर, क्योंकि पहले ही दिन को जब तूने समझने-बूझने के लिये मन लगाया और अपने परमेश्वर के सामने अपने को दीन किया, उसी दिन तेरे वचन सुने गए, और मैं तेरे वचनों के कारण आ गया हूँ। (दानि. 12:1) फारस के राज्य का प्रधान इक्कीस दिन तक मेरा सामना किए रहा; परन्तु मीकाएल जो मुख्य प्रधानों में से है, वह मेरी सहायता के लिये आया, इसलिए मैं फारस के राजाओं के पास रहा,
[20] दानिय्येल 10:20 तब उसने कहा, “क्या तू जानता है कि मैं किस कारण तेरे पास आया हूँ? अब मैं फारस के प्रधान से लड़ने को लौटूँगा; और जब मैं निकलूँगा, तब यूनान का प्रधान आएगा। और जो कुछ सच्ची बातों से भरी हुई पुस्तक में लिखा हुआ है, वह मैं तुझे बताता हूँ; उन प्रधानों के विरुद्ध, तुम्हारे प्रधान मीकाएल को छोड़, मेरे संग स्थिर रहनेवाला और कोई भी नहीं है।
[21] प्रकाशित वाक्य 9:14 मानो कोई छठवें स्वर्गदूत से, जिसके पास तुरही थी कह रहा है, “उन चार स्वर्गदूतों को जो बड़ी नदी फरात के पास बंधे हुए हैं, खोल दे।” और वे चारों दूत खोल दिए गए जो उस घड़ी, और दिन, और महीने, और वर्ष के लिये मनुष्यों की एक तिहाई के मार डालने को तैयार किए गए थे।
[22] प्रकाशित वाक्य 13:1 मैंने एक पशु को समुद्र में से निकलते हुए देखा, जिसके दस सींग और सात सिर थे। उसके सींगों पर दस राजमुकुट, और उसके सिरों पर परमेश्वर की निन्दा के नाम लिखे हुए थे। (दानि. 7:3, प्रका. 12:3)
[23] प्रकाशित वाक्य 9:14 मानो कोई छठवें स्वर्गदूत से, जिसके पास तुरही थी कह रहा है, “उन चार स्वर्गदूतों को जो बड़ी नदी फरात के पास बंधे हुए हैं, खोल दे।” और वे चारों दूत खोल दिए गए जो उस घड़ी, और दिन, और महीने, और वर्ष के लिये मनुष्यों की एक तिहाई के मार डालने को तैयार किए गए थे।
[24] यूहन्ना 12:31 अब इस जगत का न्याय होता है, अब इस जगत का सरदार* निकाल दिया जाएगा।
[25] यशायाह 14:12 “हे भोर के चमकनेवाले तारे तू कैसे आकाश से गिर पड़ा है? तू जो जाति-जाति को हरा देता था, तू अब कैसे काटकर भूमि पर गिराया गया है? (लूका 10:18, यहे. 28:13-17) तू मन में कहता तो था, मैं स्वर्ग पर चढूँगा*; मैं अपने सिंहासन को परमेश्वर के तारागण से अधिक ऊँचा करूँगा; और उत्तर दिशा की छोर पर सभा के पर्वत पर विराजूँगा; (मत्ती 11:23, लूका 10:15) मैं मेघों से भी ऊँचे-ऊँचे स्थानों के ऊपर चढूँगा, मैं परमप्रधान के तुल्य हो जाऊँगा।
[26] अय्यूब 1:12 यहोवा ने शैतान से कहा, “सुन, जो कुछ उसका है, वह सब तेरे हाथ में है; केवल उसके शरीर पर हाथ न लगाना।” तब शैतान यहोवा के सामने से चला गया।
[27] प्रकाशित वाक्य 6:4 फिर एक और घोड़ा निकला, जो लाल रंग का था; उसके सवार को यह अधिकार दिया गया कि पृथ्वी पर से मेल उठा ले, ताकि लोग एक दूसरे का वध करें; और उसे एक बड़ी तलवार दी गई। जब उसने तीसरी मुहर खोली, तो मैंने तीसरे प्राणी को यह कहते सुना, “आ।” और मैंने दृष्टि की, और एक काला घोड़ा है; और उसके सवार के हाथ में एक तराजू है। (जक. 6:2-3 जक. 6:6)
[28] प्रकाशित वाक्य 17:3 तब वह मुझे पवित्र आत्मा में जंगल को ले गया, और मैंने लाल रंग के पशु पर जो निन्दा के नामों से भरा हुआ था और जिसके सात सिर और दस सींग थे, एक स्त्री को बैठे हुए देखा। यह स्त्री बैंगनी, और लाल रंग के कपड़े पहने थी, और सोने और बहुमूल्य मणियों और मोतियों से सजी हुई थी, और उसके हाथ में एक सोने का कटोरा था जो घृणित वस्तुओं से और उसके व्यभिचार की अशुद्ध वस्तुओं से भरा हुआ था। और उसके माथे पर यह नाम लिखा था, “भेद बड़ा बाबेल पृथ्वी की वेश्याओं और घृणित वस्तुओं की माता।” (प्रका. 19:2)
[29] प्रकाशित वाक्य 13:1 मैंने एक पशु को समुद्र में से निकलते हुए देखा, जिसके दस सींग और सात सिर थे। उसके सींगों पर दस राजमुकुट, और उसके सिरों पर परमेश्वर की निन्दा के नाम लिखे हुए थे। (दानि. 7:3, प्रका. 12:3)
प्रकाशित वाक्य 13:5 बड़े बोल बोलने और निन्दा करने के लिये उसे एक मुँह दिया गया, और उसे बयालीस महीने तक काम करने का अधिकार दिया गया।
[30] प्रकाशित वाक्य 6:7 और जब उसने चौथी मुहर खोली, तो मैंने चौथे प्राणी का शब्द यह कहते सुना, “आ।” मैंने दृष्टि की, और एक पीला घोड़ा है; और उसके सवार का नाम मृत्यु है; और अधोलोक उसके पीछे-पीछे है और उन्हें पृथ्वी की एक चौथाई पर यह अधिकार दिया गया, कि तलवार, और अकाल, और मरी, और पृथ्वी के वन-पशुओं के द्वारा लोगों को मार डालें। (यिर्म. 15:2-3)
[31] प्रकाशित वाक्य 9:1 जब पाँचवें स्वर्गदूत ने तुरही फूँकी, तो मैंने स्वर्ग से पृथ्वी पर एक तारा गिरता हुआ देखा, और उसे अथाह कुण्ड की कुंजी दी गई। उसने अथाह कुण्ड को खोला, और कुण्ड में से बड़ी भट्टी के समान धूआँ उठा, और कुण्ड के धुएँ से सूर्य और वायु अंधकारमय हो गए। (योए. 2:10, योए. 2:30) उस धुएँ में से पृथ्वी पर टिड्डियाँ निकलीं, और उन्हें पृथ्वी के बिच्छुओं के समान शक्ति दी गई। (प्रका. 9:5)
[32] प्रकाशित वाक्य 9:16 उनकी फौज के सवारों की गिनती बीस करोड़ थी; मैंने उनकी गिनती सुनी। और मुझे इस दर्शन में घोड़े और उनके ऐसे सवार दिखाई दिए, जिनकी झिलमें आग, धूम्रकान्त, और गन्धक की जैसी थीं, और उन घोड़ों के सिर सिंहों के सिरों के समान थे: और उनके मुँह से आग, धूआँ, और गन्धक निकलते थे। इन तीनों महामारियों; अर्थात् आग, धुएँ, गन्धक से, जो उसके मुँह से निकलते थे, मनुष्यों की एक तिहाई मार डाली गई। क्योंकि उन घोड़ों की सामर्थ्य उनके मुँह, और उनकी पूँछों में थी*; इसलिए कि उनकी पूँछे साँपों की जैसी थीं, और उन पूँछों के सिर भी थे, और इन्हीं से वे पीड़ा पहुँचाते थे।
[33] प्रकाशित वाक्य 13:1 मैंने एक पशु को समुद्र में से निकलते हुए देखा, जिसके दस सींग और सात सिर थे। उसके सींगों पर दस राजमुकुट, और उसके सिरों पर परमेश्वर की निन्दा के नाम लिखे हुए थे। (दानि. 7:3, प्रका. 12:3)
[34] दानिय्येल 7:2 दानिय्येल ने यह कहा, “मैंने रात को यह स्वप्न देखा कि महासागर पर चौमुखी आँधी चलने लगी। (प्रका. 7:1) तब समुद्र में से चार बड़े-बड़े जन्तु, जो एक दूसरे से भिन्न थे, निकल आए।
[35] प्रकाशित वाक्य 9:13 जब छठवें स्वर्गदूत ने तुरही फूँकी तो जो सोने की वेदी परमेश्वर के सामने है उसके सींगों में से मैंने ऐसा शब्द सुना, मानो कोई छठवें स्वर्गदूत से, जिसके पास तुरही थी कह रहा है, “उन चार स्वर्गदूतों को जो बड़ी नदी फरात के पास बंधे हुए हैं, खोल दे।” और वे चारों दूत खोल दिए गए जो उस घड़ी, और दिन, और महीने, और वर्ष के लिये मनुष्यों की एक तिहाई के मार डालने को तैयार किए गए थे। उनकी फौज के सवारों की गिनती बीस करोड़ थी; मैंने उनकी गिनती सुनी।
[36] प्रकाशित वाक्य 17:2 जिसके साथ पृथ्वी के राजाओं ने व्यभिचार किया, और पृथ्वी के रहनेवाले उसके व्यभिचार की मदिरा से मतवाले हो गए थे।” तब वह मुझे पवित्र आत्मा में जंगल को ले गया, और मैंने लाल रंग के पशु पर जो निन्दा के नामों से भरा हुआ था और जिसके सात सिर और दस सींग थे, एक स्त्री को बैठे हुए देखा।
[37] प्रकाशित वाक्य 13:1 मैंने एक पशु को समुद्र में से निकलते हुए देखा, जिसके दस सींग और सात सिर थे। उसके सींगों पर दस राजमुकुट, और उसके सिरों पर परमेश्वर की निन्दा के नाम लिखे हुए थे। (दानि. 7:3, प्रका. 12:3)
प्रकाशित वाक्य 13:5 बड़े बोल बोलने और निन्दा करने के लिये उसे एक मुँह दिया गया, और उसे बयालीस महीने तक काम करने का अधिकार दिया गया।
[38] दानिय्येल 8:23 और उन राज्यों के अन्त समय में जब अपराधी पूरा बल पकड़ेंगे, तब क्रूर दृष्टिवाला और पहेली बूझनेवाला एक राजा उठेगा। उसका सामर्थ्य बड़ा होगा, परन्तु उस पहले राजा का सा नहीं; और वह अद्भुत रीति से लोगों को नाश करेगा, और सफल होकर काम करता जाएगा, और सामर्थियों और पवित्र लोगों के समुदाय को नाश करेगा। उसकी चतुराई के कारण उसका छल सफल होगा, और वह मन में फूलकर निडर रहते हुए बहुत लोगों को नाश करेगा। वह सब राजाओं के राजा के विरुद्ध भी खड़ा होगा; परन्तु अन्त को वह किसी के हाथ से बिना मार खाए टूट जाएगा।
[39] यशायाह 44:27 जो गहरे जल से कहता है, तू सूख जा, मैं तेरी नदियों को सूखाऊँगा; (यिर्म. 51:36) जो कुस्रू के विषय में कहता है, वह मेरा ठहराया हुआ चरवाहा है और मेरी इच्छा पूरी करेगा; यरूशलेम के विषय कहता है, वह बसाई जाएगी, और मन्दिर के विषय कि तेरी नींव डाली जाएगी।” (एज्रा. 1:1-3)
[40] प्रकाशित वाक्य 18:10 और उसकी पीड़ा के डर के मारे वे बड़ी दूर खड़े होकर कहेंगे, ‘हे बड़े नगर, बाबेल! हे दृढ़ नगर, हाय! हाय! घड़ी ही भर में तुझे दण्ड मिल गया है।’ (यिर्म. 51:8-9) “और पृथ्वी के व्यापारी उसके लिये रोएँगे और विलाप करेंगे, क्योंकि अब कोई उनका माल मोल न लेगा अर्थात् सोना, चाँदी, रत्न, मोती, मलमल, बैंगनी, रेशमी, लाल रंग के कपड़े, हर प्रकार का सुगन्धित काठ, हाथी दाँत की हर प्रकार की वस्तुएँ, बहुमूल्य काठ, पीतल, लोहे और संगमरमर की सब भाँति के पात्र, और दालचीनी, मसाले, धूप, गन्धरस, लोबान, मदिरा, तेल, मैदा, गेहूँ, गाय-बैल, भेड़-बकरियाँ, घोड़े, रथ, और दास, और मनुष्यों के प्राण।
[41] यिर्मयाह 51:36 इसलिए यहोवा कहता है, “मैं तेरा मुकद्दमा लड़ूँगा और तेरा बदला लूँगा। मैं उसके ताल को और उसके सोतों को सूखा दूँगा; (प्रका. 16:12) और बाबेल खण्डहर, और गीदड़ों का वासस्थान होगा; और लोग उसे देखकर चकित होंगे और ताली बजाएँगे, और उसमें कोई न रहेगा।
[42] यशायाह 41:2 किसने पूर्व दिशा से एक को उभारा है, जिसे वह धर्म के साथ अपने पाँव के पास बुलाता है? वह जातियों को उसके वश में कर देता और उसको राजाओं पर अधिकारी ठहराता है; वह अपनी तलवार से उन्हें धूल के समान, और अपने धनुष से उड़ाए हुए भूसे के समान कर देता है। वह उन्हें खदेड़ता* और ऐसे मार्ग से, जिस पर वह कभी न चला था, बिना रोक-टोक आगे बढ़ता है। किसने यह काम किया है और आदि से पीढ़ियों को बुलाता आया है? मैं यहोवा, जो सबसे पहला, और अन्त के समय रहूँगा; मैं वहीं हूँ। (प्रका. 1:8, प्रका. 22:13, प्रका. 16:5)
[43] प्रकाशित वाक्य 19:13 वह लहू में डुबोया हुआ वस्त्र पहने है, और उसका नाम ‘परमेश्वर का वचन’ है। और स्वर्ग की सेना श्वेत घोड़ों पर सवार और श्वेत और शुद्ध मलमल पहने हुए उसके पीछे-पीछे है। जाति-जाति को मारने के लिये उसके मुँह से एक चोखी तलवार निकलती है, और वह लोहे का राजदण्ड लिए हुए उन पर राज्य करेगा, और वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर के भयानक प्रकोप की जलजलाहट की मदिरा के कुण्ड में दाख रौंदेगा। (प्रका. 2:27) और उसके वस्त्र और जाँघ पर यह नाम लिखा है: “राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु।” (1 तीमु. 6:15)
[44] 2पतरस 3:15 और हमारे प्रभु के धीरज को उद्धार समझो, जैसा हमारे प्रिय भाई पौलुस ने भी उस ज्ञान के अनुसार जो उसे मिला, तुम्हें लिखा है। वैसे ही उसने अपनी सब पत्रियों में भी इन बातों की चर्चा की है जिनमें कितनी बातें ऐसी है, जिनका समझना कठिन है, और अनपढ़ और चंचल लोग उनके अर्थों को भी पवित्रशास्त्र की अन्य बातों के समान खींच तानकर अपने ही नाश का कारण बनाते हैं।
[45] दानिय्येल 7:2 दानिय्येल ने यह कहा, “मैंने रात को यह स्वप्न देखा कि महासागर पर चौमुखी आँधी चलने लगी। (प्रका. 7:1) तब समुद्र में से चार बड़े-बड़े जन्तु, जो एक दूसरे से भिन्न थे, निकल आए।
प्रकाशित वाक्य 9:15 और वे चारों दूत खोल दिए गए जो उस घड़ी, और दिन, और महीने, और वर्ष के लिये मनुष्यों की एक तिहाई के मार डालने को तैयार किए गए थे। उनकी फौज के सवारों की गिनती बीस करोड़ थी; मैंने उनकी गिनती सुनी।
प्रकाशित वाक्य 13:1 मैंने एक पशु को समुद्र में से निकलते हुए देखा, जिसके दस सींग और सात सिर थे। उसके सींगों पर दस राजमुकुट, और उसके सिरों पर परमेश्वर की निन्दा के नाम लिखे हुए थे। (दानि. 7:3, प्रका. 12:3)
[46] प्रकाशित वाक्य 17:3 तब वह मुझे पवित्र आत्मा में जंगल को ले गया, और मैंने लाल रंग के पशु पर जो निन्दा के नामों से भरा हुआ था और जिसके सात सिर और दस सींग थे, एक स्त्री को बैठे हुए देखा। यह स्त्री बैंगनी, और लाल रंग के कपड़े पहने थी, और सोने और बहुमूल्य मणियों और मोतियों से सजी हुई थी, और उसके हाथ में एक सोने का कटोरा था जो घृणित वस्तुओं से और उसके व्यभिचार की अशुद्ध वस्तुओं से भरा हुआ था। और उसके माथे पर यह नाम लिखा था, “भेद बड़ा बाबेल पृथ्वी की वेश्याओं और घृणित वस्तुओं की माता।” (प्रका. 19:2) और मैंने उस स्त्री को पवित्र लोगों के लहू और यीशु के गवाहों के लहू पीने से मतवाली देखा; और उसे देखकर मैं चकित हो गया।
[47] प्रकाशित वाक्य 6:8 मैंने दृष्टि की, और एक पीला घोड़ा है; और उसके सवार का नाम मृत्यु है; और अधोलोक उसके पीछे-पीछे है और उन्हें पृथ्वी की एक चौथाई पर यह अधिकार दिया गया, कि तलवार, और अकाल, और मरी, और पृथ्वी के वन-पशुओं के द्वारा लोगों को मार डालें। (यिर्म. 15:2-3)
[48] दानिय्येल 9:27 और वह प्रधान एक सप्ताह के लिये बहुतों के संग दृढ़ वाचा बाँधेगा*, (view1:in the midst of the week/view2:for half of the week)परन्तु आधे सप्ताह के बीतने पर वह मेलबलि और अन्नबलि को बन्द करेगा; और कंगूरे पर उजाड़नेवाली घृणित वस्तुएँ दिखाई देंगी और निश्चय से ठनी हुई बात के समाप्त होने तक परमेश्वर का क्रोध उजाड़नेवाले पर पड़ा रहेगा।”
[49] प्रकाशित वाक्य 13:5 बड़े बोल बोलने और निन्दा करने के लिये उसे एक मुँह दिया गया, और उसे बयालीस महीने तक काम करने का अधिकार दिया गया। और उसने परमेश्वर की निन्दा करने के लिये मुँह खोला, कि उसके नाम और उसके तम्बू अर्थात् स्वर्ग के रहनेवालों की निन्दा करे। उसे यह अधिकार दिया गया, कि पवित्र लोगों से लड़े, और उन पर जय पाए, और उसे हर एक कुल, लोग, भाषा, और जाति पर अधिकार दिया गया। (दानि. 7:21)
[50] प्रकाशित वाक्य 12:17 तब अजगर स्त्री पर क्रोधित हुआ, और उसकी शेष सन्तान से जो परमेश्वर की आज्ञाओं को मानते, और यीशु की गवाही देने पर स्थिर हैं, लड़ने को गया। और वह समुद्र के रेत पर जा खड़ा हुआ।
[51] प्रकाशित वाक्य 11:2 पर मन्दिर के बाहर का आँगन छोड़ दे; उसे मत नाप क्योंकि वह अन्यजातियों को दिया गया है, और वे पवित्र नगर को बयालीस महीने तक रौंदेंगी। “और मैं अपने दो गवाहों को यह अधिकार दूँगा कि टाट ओढ़े हुए एक हजार दो सौ साठ दिन तक भविष्यद्वाणी करें।”
[52] प्रकाशित वाक्य 12:6 और वह स्त्री उस जंगल को भाग गई, जहाँ परमेश्वर की ओर से उसके लिये एक जगह तैयार की गई थी कि वहाँ वह एक हजार दो सौ साठ दिन तक पाली जाए। (प्रका. 12:14)
प्रकाशित वाक्य 12:14 पर उस स्त्री को बड़े उकाब के दो पंख दिए गए, कि साँप के सामने से उड़कर जंगल में उस जगह पहुँच जाए, जहाँ वह एक समय, और समयों, और आधे समय तक पाली जाए।
[53] प्रकाशित वाक्य 13:8 पृथ्वी के वे सब रहनेवाले जिनके नाम उस मेम्ने की जीवन की पुस्तक* में लिखे नहीं गए, जो जगत की उत्पत्ति के समय से घात हुआ है, उस पशु की पूजा करेंगे।
[54] प्रकाशित वाक्य 11:11 परन्तु साढ़े तीन दिन के बाद परमेश्वर की ओर से जीवन का श्वास उनमें पैंठ गया; और वे अपने पाँवों के बल खड़े हो गए, और उनके देखनेवालों पर बड़ा भय छा गया। और उन्हें स्वर्ग से एक बड़ा शब्द सुनाई दिया, “यहाँ ऊपर आओ!” यह सुन वे बादल पर सवार होकर अपने बैरियों के देखते-देखते स्वर्ग पर चढ़ गए।
[55] 1थिस्सलुनीकियों 4:16 क्योंकि प्रभु आप ही स्वर्ग से उतरेगा; उस समय ललकार, और प्रधान दूत का शब्द सुनाई देगा*, और परमेश्वर की तुरही फूँकी जाएगी, और जो मसीह में मरे हैं, वे पहले जी उठेंगे। तब हम जो जीवित और बचे रहेंगे, उनके साथ बादलों पर उठा लिए जाएँगे, कि हवा में प्रभु से मिलें, और इस रीति से हम सदा प्रभु के साथ रहेंगे।
[56] 1कुरिन्थियों 15:51 देखो, मैं तुम से भेद की बात कहता हूँ: कि हम सब तो नहीं सोएँगे, परन्तु सब बदल जाएँगे। और यह क्षण भर में, पलक मारते ही अन्तिम तुरही फूँकते ही होगा क्योंकि तुरही फूँकी जाएगी और मुर्दे अविनाशी दशा में उठाए जाएँगे, और हम बदल जाएँगे। क्योंकि अवश्य है, कि वह नाशवान देह अविनाश को पहन ले, और यह मरनहार देह अमरता को पहन ले। और जब यह नाशवान अविनाश को पहन लेगा, और यह मरनहार अमरता को पहन लेगा, तब वह वचन जो लिखा है, पूरा हो जाएगा, “जय ने मृत्यु को निगल लिया। (यशा. 25:8)
[57] प्रकाशित वाक्य 10:10 अतः मैं वह छोटी पुस्तक उस स्वर्गदूत के हाथ से लेकर खा गया। वह मेरे मुँह में मधु जैसी मीठी तो लगी, पर जब मैं उसे खा गया, तो मेरा पेट कड़वा हो गया। तब मुझसे यह कहा गया, “तुझे बहुत से लोगों, जातियों, भाषाओं, और राजाओं के विषय में फिर भविष्यद्वाणी करनी होगी।”
[58] प्रकाशित वाक्य 11:2 पर मन्दिर के बाहर का आँगन छोड़ दे; उसे मत नाप क्योंकि वह अन्यजातियों को दिया गया है, और वे पवित्र नगर को बयालीस महीने तक रौंदेंगी। “और मैं अपने दो गवाहों को यह अधिकार दूँगा कि टाट ओढ़े हुए एक हजार दो सौ साठ दिन तक भविष्यद्वाणी करें।”
[59] प्रकाशित वाक्य 6:12 जब उसने छठवीं मुहर खोली, तो मैंने देखा कि एक बड़ा भूकम्प हुआ*; और सूर्य कम्बल के समान काला, और पूरा चन्द्रमा लहू के समान हो गया। (योए. 2:10)
प्रकाशित वाक्य 7:3 “जब तक हम अपने परमेश्वर के दासों के माथे पर मुहर न लगा दें, तब तक पृथ्वी और समुद्र और पेड़ों को हानि न पहुँचाना।” (यहे. 9:4) और जिन पर मुहर दी गई, मैंने उनकी गिनती सुनी, कि इस्राएल की सन्तानों के सब गोत्रों में से एक लाख चौवालीस हजार पर मुहर दी गई:
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