Will all the 144000 firstfruits who are redeemed from among men be transformed? | |
Premise1: We see the 144000 in Revelation 7[1] which are sealed at the time of the 6th seal, as the 144000 firstfruits which are the last firstfruits.[2] [The sealed 144000=144000 firstfruits who are redeemed from among men] Premise2: The 1st half of the 70th week begins when the 6th trumpet is sounded and the beast comes up from the sea.[3] Therefore, the time of the 6th seal is close to the 1st half of the 70th week. Premise3: Separate from the saints who have the firstfruits of the Spirit to be nourished in the prepared place for the 1st half of the 70th week[4], the 144000 firstfruits who are sealed just before the 1st half of the 70th week, are regarded as the 2 witnesses to prophesy again for the 1st half of the 70th week. [144000=2 witnesses] |
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प्रकाशित वाक्य 11:2 पर मन्दिर के बाहर का आँगन छोड़ दे; उसे मत नाप क्योंकि वह अन्यजातियों को दिया गया है, और वे पवित्र नगर को बयालीस महीने तक रौंदेंगी। प्रकाशित वाक्य 11:3 “और मैं अपने दो गवाहों को यह अधिकार दूँगा कि टाट ओढ़े हुए एक हजार दो सौ साठ दिन तक भविष्यद्वाणी करें।” प्रकाशित वाक्य 11:4 ये वे ही जैतून के दो पेड़ और दो दीवट हैं जो पृथ्वी के प्रभु के सामने खड़े रहते हैं*। (जक. 4:3) प्रकाशित वाक्य 11:5 और यदि कोई उनको हानि पहुँचाना चाहता है, तो उनके मुँह से आग निकलकर उनके बैरियों को भस्म करती है, और यदि कोई उनको हानि पहुँचाना चाहेगा, तो अवश्य इसी रीति से मार डाला जाएगा। (यिर्म. 5:14) प्रकाशित वाक्य 11:6 उन्हें अधिकार है कि आकाश को बन्द करें, कि उनकी भविष्यद्वाणी के दिनों में मेंह न बरसे, और उन्हें सब पानी पर अधिकार है, कि उसे लहू बनाएँ, और जब-जब चाहें तब-तब पृथ्वी पर हर प्रकार की विपत्ति लाएँ। प्रकाशित वाक्य 11:7 जब वे अपनी गवाही दे चुकेंगे, तो वह पशु जो अथाह कुण्ड में से निकलेगा, उनसे लड़कर उन्हें जीतेगा और उन्हें मार डालेगा। (प्रका. 13:7) प्रकाशित वाक्य 11:8 और उनके शव उस बड़े नगर के चौक में पड़े रहेंगे, जो आत्मिक रीति से सदोम और मिस्र कहलाता है, जहाँ उनका प्रभु भी क्रूस पर चढ़ाया गया था। प्रकाशित वाक्य 11:9 और सब लोगों, कुलों, भाषाओं, और जातियों में से लोग उनके शवों को साढ़े तीन दिन तक देखते रहेंगे, और उनके शवों को कब्र में रखने न देंगे। प्रकाशित वाक्य 11:10 और पृथ्वी के रहनेवाले उनके मरने से आनन्दित और मगन होंगे, और एक दूसरे के पास भेंट भेजेंगे, क्योंकि इन दोनों भविष्यद्वक्ताओं ने पृथ्वी के रहनेवालों को सताया था। प्रकाशित वाक्य 11:11 परन्तु साढ़े तीन दिन के बाद परमेश्वर की ओर से जीवन का श्वास उनमें पैंठ गया; और वे अपने पाँवों के बल खड़े हो गए, और उनके देखनेवालों पर बड़ा भय छा गया। प्रकाशित वाक्य 11:12 और उन्हें स्वर्ग से एक बड़ा शब्द सुनाई दिया, “यहाँ ऊपर आओ!” यह सुन वे बादल पर सवार होकर अपने बैरियों के देखते-देखते स्वर्ग पर चढ़ गए। |
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View1: All the 144000 will be transformed | View2: All the 144000 will be slaughtered and be resurrected. |
The 144000 are the firstfruits who are redeemed out of the earth. Only these are the firstfruits who are redeemed from among men.[5] Those who have been taken apart for transformation are the firstfruits who are redeemed from among men. The meaning of being transformed is expressed as being redeemed out of the earth. The 144000 are the sealed ones.[6] Those who are sealed are never harmed.[7] We must die to be resurrected, but we cannot die without being harmed. So the 144000 will all be transformed. The 144000, the 2 witnesses, proclaim the eternal gospel by smashing the armies of the beast for the 1st half of the 70th week. This means that even the armies of the superpower that rules the world cannot kill them. |
The 2 witnesses, the 144000 firstfruits who proclaimed the eternal gospel and smashed the beast armies for the 1260 days of the 1st half of the 70th week, that is, for the 42 months of the beast's reign, are killed by the beast near the end of the 1st half of the 70th week. This is because, around the end of the 1st half of the 70th week, around the half point of the 70th week, the son of destruction, the beast that came up out of the abyss will make war with the 2 witnesses, and overcome them, and kill them. Obviously, the 2 witnesses will proclaim the eternal gospel by smashing the armies of the beast for the 1st half of the 70th week. But also the 2 witnesses will die at the end of the 1st half of the 70th week, around the half point of the 70th week. The death and resurrection of the 2 witnesses are clearly stated in the above words, but it cannot be said that the 2 witnesses will not die and will be transformed. |
View 3: Some will be resurrected and some will be transformed | |
For the 1st half of the 70th week, Satan will try to kill anyone who does not worship the beast.[8] Therefore, the saints who have the firstfruits of the Spirit and the firstfruits who are redeemed from among men, who do not spare their lives to worship only God[9] for the 1st half of the 70th week, during the reign of the beast, all are martyr witnesses.[10] Therefore, both will be redeemed from the earthen perishable body[11] and put on the heavenly incorruptible body[12], the spiritual body.[13] Whether die and be resurrected or survive and be transformed, all of these will be clothed with a spiritual body. The 2 witnesses are a symbol of the 144000 who will eat the little book and proclaim the eternal gospel for the 1st half of the 70th week.[14] About the half point of the 70th week, about the time when the 2 witnesses finish their testimony[15], the 2 witnesses are killed by the beast, the son of destruction[16], that came up out of the abyss.[17] There is no evidence that the 2 witnesses, that is, the 144000 firstfruits who are redeemed from among men, will all be transformed, but neither all the 144000 firstfruits will die. Many saints who have the firstfruits of the Spirit will die[18], but among them, there are those who will be transformed after being nourished at the prepared place. If the saints who have the firstfruits of the Spirit who are nourished in the prepared place, cannot endure the great tribulation and will all die, then why would they have been nourished in the prepared place in the first place?[19] Among the saints who have the firstfruits of the Spirit, there will certainly be some who will be transformed without seeing death. I do not think that there will be those who will be transformed only among the saints who have the firstfruits of the Spirit, and that there will be no one who will be transformed among the firstfruits who are redeemed from among men. Although the above statement is recorded only the fact that the 2 witnesses will die and be resurrected, there will be some who will be transformed among the 144000 firstfruits who are redeemed from among men, just as there will be those who will be transformed among the saints who have the firstfruits of the Spirit. There will be saints who will die from refusing to worship the beast among the saints who have the firstfruits of the Spirit. And there will be saints who will be nourished in the prepared place and be transformed at the end of the great tribulation among the saints who have the firstfruits of the Spirit. And there will be those who will die at the end of the great tribulation after smashing the armies of the beast among the firstfruits who are redeemed from among men. And there will be those who will be transformed at the end of the great tribulation after smashing the armies of the beast among the firstfruits who are redeemed from among men. However, since it is said that the 2 witnesses will prophesy for 1260 days, I think there will probably not be any 2 witnesses, that is, the firstfruits who are redeemed from among men, who die before the end of the 42 months of the period of the reign of the beast. |
[1] प्रकाशित वाक्य 7:2 फिर मैंने एक और स्वर्गदूत को जीविते परमेश्वर की मुहर लिए हुए पूरब से ऊपर की ओर आते देखा; उसने उन चारों स्वर्गदूतों से जिन्हें पृथ्वी और समुद्र की हानि करने का अधिकार दिया गया था, ऊँचे शब्द से पुकारकर कहा, “जब तक हम अपने परमेश्वर के दासों के माथे पर मुहर न लगा दें, तब तक पृथ्वी और समुद्र और पेड़ों को हानि न पहुँचाना।” (यहे. 9:4) और जिन पर मुहर दी गई, मैंने उनकी गिनती सुनी, कि इस्राएल की सन्तानों के सब गोत्रों में से एक लाख चौवालीस हजार पर मुहर दी गई:
[2] प्रकाशित वाक्य 14:3 और वे सिंहासन के सामने और चारों प्राणियों और प्राचीनों के सामने मानो, एक नया गीत गा रहे थे, और उन एक लाख चौवालीस हजार जनों को छोड़, जो पृथ्वी पर से मोल लिए गए थे, कोई वह गीत न सीख सकता था। ये वे हैं, जो स्त्रियों के साथ अशुद्ध नहीं हुए, पर कुँवारे हैं; ये वे ही हैं, कि जहाँ कहीं मेम्ना जाता है, वे उसके पीछे हो लेते हैं; ये तो परमेश्वर और मेम्ने के निमित्त पहले फल होने के लिये मनुष्यों में से मोल लिए गए हैं।
[3] प्रकाशित वाक्य 9:12 पहली विपत्ति बीत चुकी, अब इसके बाद दो विपत्तियाँ और आनेवाली हैं। जब छठवें स्वर्गदूत ने तुरही फूँकी तो जो सोने की वेदी परमेश्वर के सामने है उसके सींगों में से मैंने ऐसा शब्द सुना, मानो कोई छठवें स्वर्गदूत से, जिसके पास तुरही थी कह रहा है, “उन चार स्वर्गदूतों को जो बड़ी नदी फरात के पास बंधे हुए हैं, खोल दे।”
[4] प्रकाशित वाक्य 12:6 और वह स्त्री उस जंगल को भाग गई, जहाँ परमेश्वर की ओर से उसके लिये एक जगह तैयार की गई थी कि वहाँ वह एक हजार दो सौ साठ दिन तक पाली जाए। (प्रका. 12:14)
[5] प्रकाशित वाक्य 14:3 और वे सिंहासन के सामने और चारों प्राणियों और प्राचीनों के सामने मानो, एक नया गीत गा रहे थे, और उन एक लाख चौवालीस हजार जनों को छोड़, जो पृथ्वी पर से मोल लिए गए थे, कोई वह गीत न सीख सकता था। ये वे हैं, जो स्त्रियों के साथ अशुद्ध नहीं हुए, पर कुँवारे हैं; ये वे ही हैं, कि जहाँ कहीं मेम्ना जाता है, वे उसके पीछे हो लेते हैं; ये तो परमेश्वर और मेम्ने के निमित्त पहले फल होने के लिये मनुष्यों में से मोल लिए गए हैं।
[6] प्रकाशित वाक्य 14:1 फिर मैंने दृष्टि की, और देखो, वह मेम्ना सिय्योन पहाड़ पर खड़ा है, और उसके साथ एक लाख चौवालीस हजार जन हैं, जिनके माथे पर उसका और उसके पिता का नाम लिखा हुआ है।
[7] प्रकाशित वाक्य 9:4 उनसे कहा गया कि न पृथ्वी की घास को, न किसी हरियाली को, न किसी पेड़ को हानि पहुँचाए, केवल उन मनुष्यों को हानि पहुँचाए जिनके माथे पर परमेश्वर की मुहर नहीं है। (यहे. 9:4)
[8] प्रकाशित वाक्य 13:14 उन चिन्हों के कारण जिन्हें उस पशु के सामने दिखाने का अधिकार उसे दिया गया था; वह पृथ्वी के रहनेवालों को इस प्रकार भरमाता था, कि पृथ्वी के रहनेवालों से कहता था कि जिस पशु को तलवार लगी थी, वह जी गया है, उसकी मूर्ति बनाओ। और उसे उस पशु की मूर्ति में प्राण डालने का अधिकार दिया गया, कि पशु की मूर्ति बोलने लगे; और जितने लोग उस पशु की मूर्ति की पूजा न करें, उन्हें मरवा डाले। (दानि. 3:5-6) और उसने छोटे-बड़े, धनी-कंगाल, स्वतंत्र-दास सब के दाहिने हाथ या उनके माथे पर एक-एक छाप करा दी,
[9] प्रकाशित वाक्य 12:11 “और वे मेम्ने के लहू के कारण, और अपनी गवाही के वचन के कारण, उस पर जयवन्त हुए, क्योंकि उन्होंने अपने प्राणों को प्रिय न जाना, यहाँ तक कि मृत्यु भी सह ली।
[10] प्रकाशित वाक्य 20:4 फिर मैंने सिंहासन देखे, और उन पर लोग बैठ गए, और उनको न्याय करने का अधिकार दिया गया। और उनकी आत्माओं को भी देखा, जिनके सिर यीशु की गवाही देने और परमेश्वर के वचन के कारण* काटे गए थे, और जिन्होंने न उस पशु की, और न उसकी मूर्ति की पूजा की थी, और न उसकी छाप अपने माथे और हाथों पर ली थी। वे जीवित होकर मसीह के साथ हजार वर्ष तक राज्य करते रहे। (दानि. 7:22) जब तक ये हजार वर्ष पूरे न हुए तब तक शेष मरे हुए न जी उठे। यह तो पहला पुनरुत्थान है।
[11] 1कुरिन्थियों 15:47 प्रथम मनुष्य धरती से अर्थात् मिट्टी का था; दूसरा मनुष्य स्वर्गीय है। (यूह. 3:31) जैसा वह मिट्टी का था वैसे ही वे भी हैं जो मिट्टी के हैं; और जैसा वह स्वर्गीय है, वैसे ही वे भी स्वर्गीय हैं। और जैसे हमने उसका रूप जो मिट्टी का था धारण किया वैसे ही उस स्वर्गीय का रूप भी धारण करेंगे। (1 यूह. 3:2)
[12] 1कुरिन्थियों 15:53 क्योंकि अवश्य है, कि वह नाशवान देह अविनाश को पहन ले, और यह मरनहार देह अमरता को पहन ले।
[13] 1कुरिन्थियों 15:45 ऐसा ही लिखा भी है, “प्रथम मनुष्य, अर्थात् आदम, जीवित प्राणी बना” और अन्तिम आदम, जीवनदायक आत्मा बना। परन्तु पहले आत्मिक न था, पर स्वाभाविक था, इसके बाद आत्मिक हुआ।
[14] प्रकाशित वाक्य 11:3 “और मैं अपने दो गवाहों को यह अधिकार दूँगा कि टाट ओढ़े हुए एक हजार दो सौ साठ दिन तक भविष्यद्वाणी करें।” ये वे ही जैतून के दो पेड़ और दो दीवट हैं जो पृथ्वी के प्रभु के सामने खड़े रहते हैं*। (जक. 4:3)
[15] दानिय्येल 9:27 और वह प्रधान एक सप्ताह के लिये बहुतों के संग दृढ़ वाचा बाँधेगा*, (view1:in the midst of the week/view2:for half of the week)परन्तु आधे सप्ताह के बीतने पर वह मेलबलि और अन्नबलि को बन्द करेगा; और कंगूरे पर उजाड़नेवाली घृणित वस्तुएँ दिखाई देंगी और निश्चय से ठनी हुई बात के समाप्त होने तक परमेश्वर का क्रोध उजाड़नेवाले पर पड़ा रहेगा।”
मत्ती 24:15 “इसलिए जब तुम उस उजाड़नेवाली घृणित वस्तु को जिसकी चर्चा दानिय्येल भविष्यद्वक्ता के द्वारा हुई थी, पवित्रस्थान में खड़ी हुई देखो, (जो पढ़े, वह समझे)। तब जो यहूदिया में हों वे पहाड़ों पर भाग जाएँ।
[16] 2थिस्सलुनीकियों 2:3 किसी रीति से किसी के धोखे में न आना क्योंकि वह दिन न आएगा, जब तक विद्रोह नहीं होता, और वह अधर्मी पुरुष अर्थात् विनाश का पुत्र प्रगट न हो। जो विरोध करता है, और हर एक से जो परमेश्वर, या पूज्य कहलाता है, अपने आप को बड़ा ठहराता है, यहाँ तक कि वह परमेश्वर के मन्दिर में बैठकर अपने आप को परमेश्वर प्रगट करता है। (यहे. 28:2, दानि. 11:36-37)
[17] प्रकाशित वाक्य 11:7 जब वे अपनी गवाही दे चुकेंगे, तो वह पशु जो अथाह कुण्ड में से निकलेगा, उनसे लड़कर उन्हें जीतेगा और उन्हें मार डालेगा। (प्रका. 13:7)
[18] प्रकाशित वाक्य 13:15 और उसे उस पशु की मूर्ति में प्राण डालने का अधिकार दिया गया, कि पशु की मूर्ति बोलने लगे; और जितने लोग उस पशु की मूर्ति की पूजा न करें, उन्हें मरवा डाले। (दानि. 3:5-6)
[19] प्रकाशित वाक्य 12:14 पर उस स्त्री को बड़े उकाब के दो पंख दिए गए, कि साँप के सामने से उड़कर जंगल में उस जगह पहुँच जाए, जहाँ वह एक समय, और समयों, और आधे समय तक पाली जाए। और साँप ने उस स्त्री के पीछे अपने मुँह से नदी के समान पानी बहाया कि उसे इस नदी से बहा दे। परन्तु पृथ्वी ने उस स्त्री की सहायता की*, और अपना मुँह खोलकर उस नदी को जो अजगर ने अपने मुँह से बहाई थी, पी लिया।
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