God expresses Himself to creatures by name.[1] The name of God is the authority of God because it represents God.[2] The Second Person in the Trinity becomes a creature.[3] God becomes a creature, obeys unto death, and conquers death.[4] He obeys unto death and inherits the name that is above every name.[5]
God becomes a man to become a mediator between God and humans.[6] God who became a creature, sends God the Holy Spirit[7] in the name of 'Jesus'.[8] To those who take up the cross and follow the LORD Jesus, God the Holy Spirit comes in the name of 'Jesus'. The authority of 'Jesus' that God the Holy Spirit possesses, comes upon the temples that receive God the Holy Spirit.[9] The temples that receive the name of 'Jesus', destroy Satan fraudswarms in the name of 'Jesus'.[10]
God destroys angels who are stronger than steel through humans who are like clay.[11] God the Creator judges the creatures that resist God the Creator, with maggots and worms.[12]
भजन संहिता 11:4 यहोवा अपने पवित्र भवन में है; यहोवा का सिंहासन स्वर्ग में है; उसकी आँखें मनुष्य की सन्तान को नित देखती रहती हैं और उसकी पलकें उनको जाँचती हैं।
† The throne of God is in the temple, and the temple is in heaven.
Heaven = where the temple is
Temple = the place where God's throne is
The throne = the place where God put His name = the place where God sits and rules
इब्रानियों 8:5 जो स्वर्ग में की वस्तुओं के प्रतिरूप और प्रतिबिम्ब* की सेवा करते हैं, जैसे जब मूसा तम्बू बनाने पर था, तो उसे यह चेतावनी मिली, “देख जो नमूना तुझे पहाड़ पर दिखाया गया था, उसके अनुसार सब कुछ बनाना।” (निर्ग. 25:40)
† The tabernacle seen by Moses is a model of the true temple in the heaven of angels.
इब्रानियों 9:8 इससे पवित्र आत्मा यही दिखाता है, कि जब तक पहला तम्बू खड़ा है, तब तक पवित्रस्थान का मार्ग प्रगट नहीं हुआ।
इब्रानियों 9:12 और बकरों और बछड़ों के लहू के द्वारा नहीं, पर अपने ही लहू के द्वारा एक ही बार पवित्रस्थान में प्रवेश किया, और अनन्त छुटकारा प्राप्त किया।
यूहन्ना 14:2 मेरे पिता के घर में बहुत से रहने के स्थान हैं, यदि न होते, तो मैं तुम से कह देता क्योंकि मैं तुम्हारे लिये जगह तैयार करने जाता हूँ।
यूहन्ना 14:3 और यदि मैं जाकर तुम्हारे लिये जगह तैयार करूँ, तो फिर आकर तुम्हें अपने यहाँ ले जाऊँगा, कि जहाँ मैं रहूँ वहाँ तुम भी रहो।
† The way to the most holy place was opened by the blood of the LORD Jesus.[13] The blood of the LORD Jesus made it possible for God the Holy Spirit to come upon the saints.[14] The LORD Jesus is with the saints through God the Holy Spirit.[15] God the Holy Spirit comes upon the saints in the name of the LORD Jesus.[16] Of course, the LORD Jesus sits on the true throne[17], not in Hades.[18]
† God the Holy Spirit prepares the saints[19] to be the bride of the LORD Jesus.[20] The bride is new Jerusalem[21], the most holy place[22], and those who will participate in the 1st resurrection[23], and thus are the martyr witnesses.[24] When the appointed number of martyr witnesses is completed[25], the LORD Jesus will come again to judge the criminals.[26] The bride, the martyr witnesses, will be with the LORD Jesus in new Jerusalem.[27]
† We enter the most holy place by the blood of the LORD Jesus.[28] In other words, with the help of the blood of the LORD Jesus, we become the most holy place by receiving God the Holy Spirit. In other words, we receive God the Holy Spirit and become the bride, the martyr witnesses.[29] The bride proves the truthfulness of the commandments[30] by being a helper suitable for the Bridegroom, the LORD Jesus.[31] By the blood shed by the Groom, the bride also sheds her own blood.[32]
यूहन्ना 14:4 और जहाँ मैं जाता हूँ तुम वहाँ का मार्ग जानते हो।”
यूहन्ना 14:5 थोमा ने उससे कहा, “हे प्रभु, हम नहीं जानते कि तू कहाँ जाता है; तो मार्ग कैसे जानें?”
यूहन्ना 14:6 यीशु ने उससे कहा, “मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूँ*; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुँच सकता।
† The LORD Jesus entered into the most holy place as the High Priest in the order of Melchizedek.[33] We too can become priests in the order of Melchizedek[34] and follow the LORD Jesus to the throne.
इब्रानियों 9:23 इसलिए अवश्य है, कि स्वर्ग में की वस्तुओं के प्रतिरूप इन बलिदानों के द्वारा शुद्ध किए जाएँ; पर स्वर्ग में की वस्तुएँ आप इनसे उत्तम बलिदानों के द्वारा शुद्ध की जातीं।
इब्रानियों 9:24 क्योंकि मसीह ने उस हाथ के बनाए हुए पवित्रस्थान में जो सच्चे पवित्रस्थान का नमूना है, प्रवेश नहीं किया, पर स्वर्ग ही में प्रवेश किया, ताकि हमारे लिये अब परमेश्वर के सामने दिखाई दे*।
† The most holy place which the LORD Jesus entered, is the throne of the true temple. The LORD Jesus now sits on that throne. The LORD Jesus passes through the veil to inherit the throne. We pass through the veil to be saved and to express the glory of God.[35]
कुलुस्सियों 2:16 इसलिए खाने-पीने या पर्व या नये चाँद, या सब्त के विषय में तुम्हारा कोई फैसला न करे।
कुलुस्सियों 2:17 क्योंकि ये सब आनेवाली बातों की छाया हैं, पर मूल वस्तुएँ मसीह की हैं।
† The substance of a feast day or a new moon or a sabbath days of the law given before the LORD Jesus came, is Christ.
यूहन्ना 2:20 यहूदियों ने कहा, “इस मन्दिर के बनाने में छियालीस वर्ष लगे हैं, और क्या तू उसे तीन दिन में खड़ा कर देगा?”
यूहन्ना 2:21 परन्तु उसने अपनी देह के मन्दिर के विषय में कहा था।
† Before the coming of the LORD Jesus, God's name was on the true throne in the heaven of angels.[36] Now God has come as a creature.[37] God's name now belongs to the LORD Jesus[38], even though it is before He formally inherits the name through the cross.[39] Now the LORD Jesus is the Temple.
† The true throne in the heaven of angels was only a temporary storage place where God's name was temporarily stored, before God came as a creature. What is great, is it God or is it just a throne on which God has put His name?[40] For whom on earth does the throne exist?
† There may be a view that the name of God would still have been on the true throne, since it was before the LORD Jesus formally inherited the name through His cross. Although He is God, the LORD Jesus overcame sin and death as an adam.[41] There may be a 'process'[42] of inheriting the name.[43]
यशायाह 14:12 “हे भोर के चमकनेवाले तारे तू कैसे आकाश से गिर पड़ा है? तू जो जाति-जाति को हरा देता था, तू अब कैसे काटकर भूमि पर गिराया गया है? (लूका 10:18, यहे. 28:13-17)
यशायाह 14:13 तू मन में कहता तो था, मैं स्वर्ग पर चढूँगा*; मैं अपने सिंहासन को परमेश्वर के तारागण से अधिक ऊँचा करूँगा; और उत्तर दिशा की छोर पर सभा के पर्वत पर विराजूँगा; (मत्ती 11:23, लूका 10:15)
यशायाह 14:14 मैं मेघों से भी ऊँचे-ऊँचे स्थानों के ऊपर चढूँगा, मैं परमप्रधान के तुल्य हो जाऊँगा।
यशायाह 14:15 परन्तु तू अधोलोक में उस गड्ढे की तह तक उतारा जाएगा। (मत्ती 11:23, लूका 10:15)
† God has placed the throne above the stars of God, on the mountain of congregation, on the uttermost parts of the north, above the heights of the clouds.
Temple = Name = Throne = Glory
The throne is in the highest place in the heaven
भजन संहिता 8:1 हे यहोवा हमारे प्रभु, तेरा नाम सारी पृथ्वी पर क्या ही प्रतापमय है! तूने अपना वैभव स्वर्ग पर दिखाया है।
Heaven = the place where God put the throne on which His name is placed
God has set His glory above the heavens
Name = Glory = Throne = Temple
नहेमायाह 1:9 परन्तु यदि तुम मेरी ओर फिरो, और मेरी आज्ञाएँ मानो, और उन पर चलो, तो चाहे तुम में से निकाले हुए लोग आकाश की छोर में भी हों, तो भी मैं उनको वहाँ से इकट्ठा करके उस स्थान में पहुँचाऊँगा, जिसे मैंने अपने नाम के निवास के लिये चुन लिया है।
एज्रा 6:12 परमेश्वर जिस ने वहाँ अपने नाम का निवास ठहराया है, वह क्या राजा क्या प्रजा, उन सभी को जो यह आज्ञा टालने और परमेश्वर के भवन को जो यरूशलेम में है नाश करने के लिये हाथ बढ़ाएँ, नष्ट करे। मुझ दारा ने यह आज्ञा दी है फुर्ती से ऐसा ही करना।”
Temple = Name placed = Throne = Glory placed
† There is the true throne in the true temple of the heaven of angels. On the true throne God has placed the name of glory. There is the model throne in the model temple of Hades. On the model throne God has placed the name of glory. Because God put His name on the model throne, even it is in Hades, the model temple is heaven. In other words, even it is in Hades, the model temple is the domain where God's rule takes place. Put differently, if we are inside the model temple, Satan fraudswarms cannot dare to attack us. Upon the blood shed by the LORD Jesus, God the Holy Spirit comes. When God the Holy Spirit comes, that place becomes heaven.[44]
यिर्मयाह 3:17 उस समय यरूशलेम यहोवा का सिंहासन कहलाएगा, और सब जातियाँ उसी यरूशलेम में मेरे नाम के निमित्त इकट्ठी हुआ करेंगी, और, वे फिर अपने बुरे मन के हठ पर न चलेंगी।
Jerusalem = Throne = Temple = Name = Glory
† At that time Jerusalem will be called the throne of Yahweh. For the name of Yahweh will be in Jerusalem. Because the name of 'Jesus' will be in Jerusalem.[45] This Jerusalem is the new Jerusalem.[46] Historically, new Jerusalem will be established in the 1000-year kingdom. However, if we receive God the Holy Spirit, our body becomes a temple.[47] The name of the LORD Jesus dwells in our body through God the Holy Spirit.[48] Therefore, if God the Holy Spirit comes upon us[49], God's rule can be realized even now for each of us.[50]
जकर्याह 8:3 यहोवा यह कहता है: मैं सिय्योन में लौट आया हूँ, और यरूशलेम के बीच में वास किए रहूँगा, और यरूशलेम सच्चाई का नगर कहलाएगा, और सेनाओं के यहोवा का पर्वत, पवित्र पर्वत कहलाएगा।
यहेजकेल 43:7 उसने मुझसे कहा, “हे मनुष्य के सन्तान, यहोवा की यह वाणी है, यह तो मेरे सिंहासन का स्थान और मेरे पाँव रखने की जगह है, जहाँ मैं इस्राएल के बीच सदा वास किए रहूँगा। और न तो इस्राएल का घराना, और न उसके राजा अपने व्यभिचार से, या अपने ऊँचे स्थानों में अपने राजाओं के शवों* के द्वारा मेरा पवित्र नाम फिर अशुद्ध ठहराएँगे।
Temple = Throne = Footstool placed
1इतिहास 28:2 तब दाऊद राजा खड़ा होकर कहने लगा, “हे मेरे भाइयों! और हे मेरी प्रजा के लोगों! मेरी सुनो, मेरी मनसा तो थी कि यहोवा की वाचा के सन्दूक के लिये और हम लोगों के परमेश्वर के चरणों की पीढ़ी* के लिये विश्राम का एक भवन बनाऊँ, और मैंने उसके बनाने की तैयारी की थी।
Footstool = Ark of the covenant = Commandments
Temple = Throne = Ark of the covenant placed = Commandments
Heaven (= Zion = Holy Mountain = Jerusalem) = Temple (= Throne = Name = Glory) = Truth (True = Ark of the covenant = Commandments)
† In the hills of Zion is Jerusalem. There is the temple in Jerusalem. There is the throne in the temple. The name is placed on the throne. Within the name of God, there is the glory and there is the truth. The foundation of the throne is the commandments.[51] The place ruled by the commandments is heaven.
व्यवस्थाविवरण 4:13 और उसने तुमको अपनी वाचा के दसों वचन बताकर उनके मानने की आज्ञा दी; और उन्हें पत्थर की दो पटियाओं पर लिख दिया।
Covenant (agreement, promise) = Promised by the commandments
यशायाह 66:1 यहोवा यह कहता है: “आकाश मेरा सिंहासन और पृथ्वी मेरे चरणों की चौकी है; तुम मेरे लिये कैसा भवन बनाओगे, और मेरे विश्राम का कौन सा स्थान होगा? (प्रेरि. 7:48-50, मत्ती 5:34,35)
† The ark of the covenant was placed in the model temple. Through this, we can know that the true throne of the true temple is placed on the commandments.
Heaven = Throne
Earth = Footstool = Ark of the covenant (The ark containing the commandments of the covenant)
Heaven (= Zion = Holy Mountain = Jerusalem) = Temple (= Throne = Name placed = Glory placed) = City of truth (True = Ark of the covenant placed = Commandments)
यशायाह 18:7 उस समय जिस जाति के लोग बलिष्ठ और सुन्दर हैं, और जो आदि ही से डरावने होते आए हैं, और जो सामर्थी और रौंदनेवाले हैं, और जिनका देश नदियों से विभाजित किया हुआ है, उस जाति से सेनाओं के यहोवा के नाम के स्थान सिय्योन पर्वत पर सेनाओं के यहोवा के पास भेंट पहुँचाई जाएगी।
इब्रानियों 8:5 जो स्वर्ग में की वस्तुओं के प्रतिरूप और प्रतिबिम्ब* की सेवा करते हैं, जैसे जब मूसा तम्बू बनाने पर था, तो उसे यह चेतावनी मिली, “देख जो नमूना तुझे पहाड़ पर दिखाया गया था, उसके अनुसार सब कुछ बनाना।” (निर्ग. 25:40)
† We can know that God put His name on the true temple by putting His name on the model temple.
Heaven (= Zion = Holy Mountain = Jerusalem) = Temple (= Throne = Name = Glory) = Truth (True = Ark of the covenant = Commandments)
भजन संहिता 29:2 यहोवा के नाम की महिमा करो; पवित्रता से शोभायमान होकर यहोवा को दण्डवत् करो।
भजन संहिता 79:9 हे हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर, अपने नाम की महिमा के निमित्त हमारी सहायता कर; और अपने नाम के निमित्त हमको छुड़ाकर हमारे पापों को ढाँप दे।
† For the glory of His name, God saves those who are in the temple where He put His name.
भजन संहिता 102:15 इसलिए जाति-जाति यहोवा के नाम का भय मानेंगी, और पृथ्वी के सब राजा तेरे प्रताप से डरेंगे।
भजन संहिता 148:13 यहोवा के नाम की स्तुति करो, क्योंकि केवल उसकी का नाम महान है; उसका ऐश्वर्य पृथ्वी और आकाश के ऊपर है।
यशायाह 42:8 मैं यहोवा हूँ, मेरा नाम यही है; अपनी महिमा मैं दूसरे को न दूँगा और जो स्तुति मेरे योग्य है वह खुदी हुई मूरतों को न दूँगा*।
यशायाह 43:7 हर एक को जो मेरा कहलाता है, जिसको मैंने अपनी महिमा के लिये सृजा, जिसको मैंने रचा और बनाया है।”
† God put His name in the creation world. God made all creatures so that God's name would be glorified. When the name of the LORD Jesus is glorified, the rule of the LORD Jesus is established and rest is fulfilled in space-time.
यशायाह 48:11 अपने निमित्त, हाँ अपने ही निमित्त मैंने यह किया है, मेरा नाम क्यों अपवित्र ठहरे? अपनी महिमा मैं दूसरे को नहीं दूँगा।
यिर्मयाह 14:21 अपने नाम के निमित्त हमें न ठुकरा; अपने तेजोमय सिंहासन का अपमान न कर; जो वाचा तूने हमारे साथ बाँधी, उसे स्मरण कर और उसे न तोड़।
† God works for the name of God He has placed on the throne of glory.
लूका 19:38 “धन्य है वह राजा, जो प्रभु के नाम से आता है! स्वर्ग में शान्ति और आकाश में महिमा हो!” (भज. 72:18-19, भज. 118:26)
यूहन्ना 12:28 हे पिता अपने नाम की महिमा कर।” तब यह आकाशवाणी हुई, “मैंने उसकी महिमा की है, और फिर भी करूँगा।”
यूहन्ना 14:26 परन्तु सहायक अर्थात् पवित्र आत्मा जिसे पिता मेरे नाम से भेजेगा, वह तुम्हें सब बातें सिखाएगा, और जो कुछ मैंने तुम से कहा है, वह सब तुम्हें स्मरण कराएगा।”
† God who emptied Himself, came in the name of the Father. God became a creature and inherited the name of God. God the Holy Spirit comes in the name of the Son. The name is 'Jesus'.
2थिस्सलुनीकियों 1:12 कि हमारे परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह के अनुग्रह के अनुसार हमारे प्रभु यीशु का नाम तुम में महिमा पाए, और तुम उसमें। (यशा. 24:15, यशा. 66:5, 1 पत. 1:7-8)
† The name of the LORD Jesus is glorified in us.
निर्गमन 25:21 और प्रायश्चित के ढकने को सन्दूक के ऊपर लगवाना; और जो साक्षीपत्र मैं तुझे दूँगा उसे सन्दूक के भीतर रखना।
निर्गमन 25:22 और मैं उसके ऊपर रहकर तुझसे मिला करूँगा; और इस्राएलियों के लिये जितनी आज्ञाएँ मुझको तुझे देनी होंगी, उन सभी के विषय मैं प्रायश्चित के ढकने के ऊपर से और उन करूबों के बीच में से, जो साक्षीपत्र के सन्दूक पर होंगे, तुझसे वार्तालाप किया करूँगा।
† God meets humans at the mercy seat throne where God's name is placed. The mercy seat is also called the atonement cover.
यूहन्ना 2:21 परन्तु उसने अपनी देह के मन्दिर के विषय में कहा था।
† God comes in the flesh and meets humans in the Temple of the flesh.[52] The LORD Jesus is God who inherits the Father's name. The LORD Jesus is God who sits on the mercy seat throne.[53] After the LORD Jesus ascended into heaven, God the Holy Spirit comes in the name of the LORD Jesus. Since God the Holy Spirit is God, those who receive God the Holy Spirit become a temple. Since the name of the LORD Jesus is in God the Holy Spirit, those who receive God the Holy Spirit have the authority of the LORD Jesus.
† The saints themselves do not have the name of the LORD Jesus. The name of the LORD Jesus is in God the Holy Spirit who came on the flesh of the saints. The saints themselves do not have the authority. God the Holy Spirit who has come upon the saints, has the authority.[54] Angels are servants of God the Holy Spirit, not servants of saints.[55] That is why angels work only when the saints obey God.[56]
एज्रा 6:12 परमेश्वर जिस ने वहाँ अपने नाम का निवास ठहराया है, वह क्या राजा क्या प्रजा, उन सभी को जो यह आज्ञा टालने और परमेश्वर के भवन को जो यरूशलेम में है नाश करने के लिये हाथ बढ़ाएँ, नष्ट करे। मुझ दारा ने यह आज्ञा दी है फुर्ती से ऐसा ही करना।”
† The temple is the place where God's name is placed.
यूहन्ना 5:43 मैं अपने पिता परमेश्वर के नाम से आया हूँ, और तुम मुझे ग्रहण नहीं करते; यदि कोई और अपने ही नाम से आए, तो उसे ग्रहण कर लोगे।
यूहन्ना 10:25 यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, “मैंने तुम से कह दिया, और तुम विश्वास करते ही नहीं, जो काम मैं अपने पिता के नाम से करता हूँ वे ही मेरे गवाह हैं।
† The LORD Jesus is the substance of the temple. The LORD Jesus is God who came in the name of God. The LORD Jesus is God, but He emptied Himself and inherited the name of God. The model temple or the true temple is only a copy and shadow of the LORD Jesus. The place where the LORD Jesus dwells is God's throne and temple. The true temple in the heaven of angels exists to receive the LORD Jesus. Of what value is the heaven of angels or the true temple where God is not present! Of what value is the heaven of angels or the true temple where the LORD Jesus is not present!
† God emptied Himself and came as a creature. God came as a creature and inherited the name of God. God came as a creature and inherited space-time. But there are those who reject the rule of the LORD Jesus. The LORD Jesus can immediately judge the criminals. But He has reasons for not doing so.[57]
इब्रानियों 8:5 जो स्वर्ग में की वस्तुओं के प्रतिरूप और प्रतिबिम्ब* की सेवा करते हैं, जैसे जब मूसा तम्बू बनाने पर था, तो उसे यह चेतावनी मिली, “देख जो नमूना तुझे पहाड़ पर दिखाया गया था, उसके अनुसार सब कुछ बनाना।” (निर्ग. 25:40)
† The temple is a copy of the LORD Jesus. The LORD Jesus is the substance of the temple. The LORD Jesus is God, and the temple is for the LORD Jesus. Because it was before the LORD Jesus came, God only put His name on the throne temporarily. Because the LORD Jesus put on a body, the body of the LORD Jesus becomes the Temple. The place where the LORD Jesus is, is Jerusalem, Zion, and heaven. The LORD Jesus is the truth.[58]
यूहन्ना 5:39 तुम पवित्रशास्त्र में ढूँढ़ते* हो, क्योंकि समझते हो कि उसमें अनन्त जीवन तुम्हें मिलता है, और यह वही है, जो मेरी गवाही देता है;
† The laws, shadows, and feasts of the old testament, are records about the LORD Jesus. The LORD Jesus is the substance.
योएल 3:17 इस प्रकार तुम जानोगे कि यहोवा जो अपने पवित्र पर्वत सिय्योन पर वास किए रहता है, वही हमारा परमेश्वर है। और यरूशलेम पवित्र ठहरेगा, और परदेशी उसमें होकर फिर न जाने पाएँगे।
यशायाह 60:14 तेरे दुःख देनेवालों की सन्तान तेरे पास सिर झुकाए हुए आएँगी; और जिन्होंने तेरा तिरस्कार किया सब तेरे पाँवों पर गिरकर दण्डवत् करेंगे; वे तेरा नाम यहोवा का नगर, इस्राएल के पवित्र का सिय्योन रखेंगे।
† The LORD Jesus is Zion, holy mountain, and Jerusalem.
यूहन्ना 1:14 और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया, और हमने उसकी ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा। (1 यूह. 4:9)
इब्रानियों 1:3 वह उसकी महिमा का प्रकाश, और उसके तत्व की छाप है, और सब वस्तुओं को अपनी सामर्थ्य के वचन से संभालता है: वह पापों को धोकर ऊँचे स्थानों पर महामहिमन् के दाहिने जा बैठा।
1यूहन्ना 1:2 (यह जीवन प्रगट हुआ, और हमने उसे देखा, और उसकी गवाही देते हैं, और तुम्हें उस अनन्त जीवन का समाचार देते हैं जो पिता के साथ था और हम पर प्रगट हुआ)।
† The LORD Jesus is the Word. The LORD Jesus Himself became a creature to show creatures what God is like. Therefore, it is possible for creatures to see God without dying. The LORD Jesus is the eternal life.
यूहन्ना 6:48 जीवन की रोटी मैं हूँ।
यूहन्ना 14:6 यीशु ने उससे कहा, “मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूँ*; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुँच सकता।
† The LORD Jesus is the true manna, the way, the truth, and the life.
यूहन्ना 10:7 तब यीशु ने उनसे फिर कहा, “मैं तुम से सच-सच कहता हूँ, कि भेड़ों का द्वार मैं हूँ।
यूहन्ना 10:11 अच्छा चरवाहा मैं हूँ; अच्छा चरवाहा भेड़ों के लिये अपना प्राण देता है। (भज. 23:1, यशा. 40:11, यहे. 34:15)
† The LORD Jesus is the sheep gate and the good shepherd.
1कुरिन्थियों 3:16 क्या तुम नहीं जानते, कि तुम परमेश्वर का मन्दिर हो, और परमेश्वर का आत्मा तुम में वास करता है?
1कुरिन्थियों 6:19 क्या तुम नहीं जानते, कि तुम्हारी देह पवित्र आत्मा का मन्दिर है*; जो तुम में बसा हुआ है और तुम्हें परमेश्वर की ओर से मिला है, और तुम अपने नहीं हो?
† Because God the Holy Spirit came into our flesh, we became a temple. The place where God the Holy Spirit sits, is the throne and heaven.[59] Where God the Holy Spirit sits, the name of the LORD Jesus is there, and where the name of the LORD Jesus is, there is the authority of the LORD Jesus.[60] To the name of the LORD Jesus, all creatures submit.[61]
Heaven (= Zion = Holy Mountain = Jerusalem) = Temple (= Throne = Name = Glory) = Truth (= True = Ark of the covenant = Commandments)
यूहन्ना 14:26 परन्तु सहायक अर्थात् पवित्र आत्मा जिसे पिता मेरे नाम से भेजेगा, वह तुम्हें सब बातें सिखाएगा, और जो कुछ मैंने तुम से कहा है, वह सब तुम्हें स्मरण कराएगा।”
† The dominion of the LORD Jesus is expressed through God the Holy Spirit.
इब्रानियों 8:10 फिर प्रभु कहता है, कि जो वाचा मैं उन दिनों के बाद इस्राएल के घराने के साथ बाँधूँगा, वह यह है, कि मैं अपनी व्यवस्था को उनके मनों में डालूँगा, और उसे उनके हृदय पर लिखूँगा, और मैं उनका परमेश्वर ठहरूँगा, और वे मेरे लोग ठहरेंगे।
† The law of God is written on the heart tablets through God the Holy Spirit.[62]
रोमियो 8:1 इसलिए अब जो मसीह यीशु में हैं, उन पर दण्ड की आज्ञा नहीं*।
रोमियो 8:2 क्योंकि जीवन की आत्मा की व्यवस्था ने मसीह यीशु में मुझे पाप की, और मृत्यु की व्यवस्था से स्वतंत्र कर दिया।
† God the Holy Spirit is life. To those who receive God the Holy Spirit, God the Holy Spirit becomes the law of life. Therefore, those who receive God the Holy Spirit overcome the law of death. Those who receive God the Holy Spirit, overcome the lust of flesh.
1यूहन्ना 3:9 जो कोई परमेश्वर से जन्मा है वह पाप नहीं करता; क्योंकि उसका बीज* उसमें बना रहता है: और वह पाप कर ही नहीं सकता, क्योंकि वह परमेश्वर से जन्मा है।
1पतरस 1:23 क्योंकि तुम ने नाशवान नहीं पर अविनाशी बीज से परमेश्वर के जीविते और सदा ठहरनेवाले वचन के द्वारा नया जन्म पाया है।
† God the Holy Spirit is the Spirit of truth.[63] We are born again of the truth through God the Holy Spirit.[64] Therefore, those who receive God the Holy Spirit, overcome sin.[65]
मत्ती 7:18 अच्छा पेड़ बुरा फल नहीं ला सकता, और न निकम्मा पेड़ अच्छा फल ला सकता है।
† We bear the fruit of God the Holy Spirit through God the Holy Spirit.[66]
1यूहन्ना 5:4 क्योंकि जो कुछ परमेश्वर से उत्पन्न हुआ है, वह संसार पर जय प्राप्त करता है, और वह विजय जिससे संसार पर जय प्राप्त होती है हमारा विश्वास है।
1यूहन्ना 5:18 हम जानते हैं, कि जो कोई परमेश्वर से उत्पन्न हुआ है, वह पाप नहीं करता; पर जो परमेश्वर से उत्पन्न हुआ, उसे वह बचाए रखता है: और वह दुष्ट उसे छूने नहीं पाता।
यूहन्ना 3:5 यीशु ने उत्तर दिया, “मैं तुझ से सच-सच कहता हूँ, जब तक कोई मनुष्य जल और आत्मा से न जन्मे* तो वह परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकता।
† Through God the Holy Spirit, the commandments are written on our hearts.[67] We are born again through God the Holy Spirit. Therefore, through God the Holy Spirit, we overcomes sin.
इफिसियों 1:20 जो उसने मसीह के विषय में किया, कि उसको मरे हुओं में से जिलाकर स्वर्गीय स्थानों में अपनी दाहिनी ओर, (इब्रा. 10:22, भज. 110:1)
इफिसियों 1:21 सब प्रकार की प्रधानता, और अधिकार, और सामर्थ्य, और प्रभुता के, और हर एक नाम के ऊपर*, जो न केवल इस लोक में, पर आनेवाले लोक में भी लिया जाएगा, बैठाया;
इफिसियों 1:22 और सब कुछ उसके पाँवों तले कर दिया और उसे सब वस्तुओं पर शिरोमणि ठहराकर कलीसिया को दे दिया, (कुलु. 2:10, भज. 8:6)
† The name 'Jesus' is the name above every name. The ownership and sovereignty of space-time is in the name 'Jesus'. The Second Person in the Trinity emptied Himself and came as a creature. God who came as a creature, inherited the name 'Jesus'.[68] God who came as the Messiah, inherited the name 'Jesus'.[69]
† All things obey the Messiah. The Messiah is the Head of the church. The church is the body of the Messiah. The Messiah brings all things under His feet through the church.[70] When the church submits to the Messiah, the Messiah submits all things to the church in His will. Through the church that obeys the Messiah, the Messiah destroys Satan fraudswarms.[71]
इब्रानियों 1:4 और स्वर्गदूतों से उतना ही उत्तम ठहरा*, जितना उसने उनसे बड़े पद का वारिस होकर उत्तम नाम पाया।
† Jesus Christ is the LORD of space-time. All things are subject to the LORD Jesus.
यूहन्ना 1:12 परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात् उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं
यूहन्ना 14:14 यदि तुम मुझसे मेरे नाम से कुछ माँगोगे, तो मैं उसे करूँगा।
यूहन्ना 14:26 परन्तु सहायक अर्थात् पवित्र आत्मा जिसे पिता मेरे नाम से भेजेगा, वह तुम्हें सब बातें सिखाएगा, और जो कुछ मैंने तुम से कहा है, वह सब तुम्हें स्मरण कराएगा।”
यूहन्ना 16:23 उस दिन* तुम मुझसे कुछ न पूछोगे; मैं तुम से सच-सच कहता हूँ, यदि पिता से कुछ माँगोगे, तो वह मेरे नाम से तुम्हें देगा।
यूहन्ना 16:26 उस दिन तुम मेरे नाम से माँगोगे, और मैं तुम से यह नहीं कहता, कि मैं तुम्हारे लिये पिता से विनती करूँगा।
† God the Holy Spirit comes in the name of the LORD Jesus. The name of the LORD Jesus is in God the Holy Spirit. Therefore, the name of the LORD Jesus is in those who receive God the Holy Spirit. For those who obey God the Holy Spirit, prayers are answered through God the Holy Spirit.
यूहन्ना 17:11 मैं आगे को जगत में न रहूँगा, परन्तु ये जगत में रहेंगे, और मैं तेरे पास आता हूँ; हे पवित्र पिता, अपने उस नाम से जो तूने मुझे दिया है, उनकी रक्षा कर, कि वे हमारे समान एक हों।
यूहन्ना 17:26 और मैंने तेरा नाम उनको बताया और बताता रहूँगा कि जो प्रेम तुझको मुझसे था, वह उनमें रहे और मैं उनमें रहूँ*।”
यूहन्ना 20:31 परन्तु ये इसलिए लिखे गए हैं, कि तुम विश्वास करो, कि यीशु ही परमेश्वर का पुत्र मसीह है: और विश्वास करके उसके नाम से जीवन पाओ।
† The name of the LORD Jesus is in God the Holy Spirit. The name of the LORD Jesus is in those who have received God the Holy Spirit. The body of those who have received God the Holy Spirit, becomes a temple. The authority of God the Holy Spirit is expressed through those who have received God the Holy Spirit.
मत्ती 16:28 मैं तुम से सच कहता हूँ, कि जो यहाँ खड़े हैं, उनमें से कितने ऐसे हैं, कि जब तक मनुष्य के पुत्र को उसके राज्य में आते हुए न देख लेंगे, तब तक मृत्यु का स्वाद कभी न चखेंगे।”
मत्ती 17:5 वह बोल ही रहा था, कि एक उजले बादल ने उन्हें छा लिया, और उस बादल में से यह शब्द निकला, “यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिससे मैं प्रसन्न हूँ: इसकी सुनो।”
† This dominion is God the Holy Spirit. God the Holy Spirit comes upon the saints with the dominion of the LORD Jesus. This promise was fulfilled as God the Holy Spirit came upon His disciples on the Day of Pentecost.[72] God the Holy Spirit also comes to us. Therefore, the dominion of the LORD Jesus is expressed through the saints who have received God the Holy Spirit.[73] God the Holy Spirit commands angels.[74] Where God the Holy Spirit dwells, God the Holy Spirit rules.[75] Where God the Holy Spirit comes, Satan fraudswarms are cast out.
† After the LORD Jesus said these words, He showed the disciples on the Mount of Transfiguration that the LORD Jesus would come in His dominion. The LORD Jesus showed John through the book of Revelation that the LORD Jesus would come in His dominion.[76] The fact that the LORD Jesus comes in His dominion, the LORD Jesus also shows us through the book of Revelation.
† The LORD Jesus comes in His dominion and imprisons Satan fraudswarms in the Abyss. When the LORD Jesus comes in His dominion, the 1000-year kingdom is established. To the disciples on the Mount of Transfiguration, the Father commands them to listen to the Son. This is the scene where the LORD Jesus comes in His dominion. Where the LORD Jesus is, there are Moses and Elijah. Moses symbolizes the resurrected after death, and Elijah symbolizes the transformed while alive. Moses and Elijah represent the priests who will serve the LORD Jesus in the 1000-year kingdom.[77]
나.
다.
라.
마.
바.
② The Second Person in the Trinity predetermined to empty Himself and inherit the name.
इब्रानियों 1:4 और स्वर्गदूतों से उतना ही उत्तम ठहरा*, जितना उसने उनसे बड़े पद का वारिस होकर उत्तम नाम पाया।
† The Second Person in the Trinity predetermined to empty Himself and become a creature. God predetermined to become a creature and inherit God's name. Inheritance is a concept that arises because God empties Himself. Space-time belongs to the First Person in the Trinity[78], but also to the Second Person in the Trinity.[79] In the present structure of space-time, there is no concept of inheriting one's own. The space-time of the present structure is the space-time of the structure in which a son inherits from his father. If the Second Person in the Trinity had not emptied Himself, there would have been no inheritance.
यूहन्ना 5:43 मैं अपने पिता परमेश्वर के नाम से आया हूँ, और तुम मुझे ग्रहण नहीं करते; यदि कोई और अपने ही नाम से आए, तो उसे ग्रहण कर लोगे।
यूहन्ना 12:28 हे पिता अपने नाम की महिमा कर।” तब यह आकाशवाणी हुई, “मैंने उसकी महिमा की है, और फिर भी करूँगा।”
यूहन्ना 14:14 यदि तुम मुझसे मेरे नाम से कुछ माँगोगे, तो मैं उसे करूँगा।
† Prayers through the name of 'Jesus', are heard.
यूहन्ना 14:26 परन्तु सहायक अर्थात् पवित्र आत्मा जिसे पिता मेरे नाम से भेजेगा, वह तुम्हें सब बातें सिखाएगा, और जो कुछ मैंने तुम से कहा है, वह सब तुम्हें स्मरण कराएगा।”
† God sends God the Holy Spirit in the name of 'Jesus'.
यूहन्ना 16:23 उस दिन* तुम मुझसे कुछ न पूछोगे; मैं तुम से सच-सच कहता हूँ, यदि पिता से कुछ माँगोगे, तो वह मेरे नाम से तुम्हें देगा।
यूहन्ना 17:6 “मैंने तेरा नाम उन मनुष्यों पर प्रगट किया जिन्हें तूने जगत में से मुझे दिया। वे तेरे थे और तूने उन्हें मुझे दिया और उन्होंने तेरे वचन को मान लिया है।
यूहन्ना 17:11 मैं आगे को जगत में न रहूँगा, परन्तु ये जगत में रहेंगे, और मैं तेरे पास आता हूँ; हे पवित्र पिता, अपने उस नाम से जो तूने मुझे दिया है, उनकी रक्षा कर, कि वे हमारे समान एक हों।
यूहन्ना 17:12 जब मैं उनके साथ था, तो मैंने तेरे उस नाम से, जो तूने मुझे दिया है, उनकी रक्षा की, मैंने उनकी देख-रेख की और विनाश के पुत्र को छोड़ उनमें से कोई नाश न हुआ, इसलिए कि पवित्रशास्त्र की बात पूरी हो। (यूह. 18:9)
† In the name of the Father, in the name of 'Jesus', God keeps the disciples.
यूहन्ना 17:26 और मैंने तेरा नाम उनको बताया और बताता रहूँगा कि जो प्रेम तुझको मुझसे था, वह उनमें रहे और मैं उनमें रहूँ*।”
यूहन्ना 20:31 परन्तु ये इसलिए लिखे गए हैं, कि तुम विश्वास करो, कि यीशु ही परमेश्वर का पुत्र मसीह है: और विश्वास करके उसके नाम से जीवन पाओ।
† Through the name of 'Jesus,' God gives life to creatures.
1यूहन्ना 2:12 हे बालकों, मैं तुम्हें इसलिए लिखता हूँ, कि उसके नाम से तुम्हारे पाप क्षमा हुए। (भज. 25:11)
† God forgives sins in the name of 'Jesus'.
1यूहन्ना 3:23 और उसकी आज्ञा यह है कि हम उसके पुत्र यीशु मसीह के नाम पर विश्वास करें और जैसा उसने हमें आज्ञा दी है उसी के अनुसार आपस में प्रेम रखें।
मत्ती 1:21 वह पुत्र जनेगी और तू उसका नाम यीशु* रखना, क्योंकि वह अपने लोगों का उनके पापों से उद्धार करेगा।”
† The name of 'Jesus' has a mission.
मत्ती 1:23 “देखो, एक कुँवारी गर्भवती होगी और एक पुत्र जनेगी, और उसका नाम इम्मानुएल रखा जाएगा,” जिसका अर्थ है - परमेश्वर हमारे साथ।
मत्ती 6:9 “अतः तुम इस रीति से प्रार्थना किया करो: ‘हे हमारे पिता, तू जो स्वर्ग में हैं; तेरा नाम पवित्र* माना जाए। (लूका 11:2)
मत्ती 19:29 और जिस किसी ने घरों या भाइयों या बहनों या पिता या माता या बाल-बच्चों या खेतों को मेरे नाम के लिये छोड़ दिया है, उसको सौ गुना मिलेगा, और वह अनन्त जीवन का अधिकारी होगा।
मत्ती 24:5 क्योंकि बहुत से ऐसे होंगे जो मेरे नाम से आकर कहेंगे, ‘मैं मसीह हूँ’, और बहुतों को बहका देंगे।
मत्ती 28:19 इसलिए तुम जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ; और उन्हें पिता, और पुत्र, और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो,
† We baptize in the name of God the Father, God the Son, and God the Holy Spirit. We baptize in the name of 'Jesus'.
प्रेरितों के काम 2:38 पतरस ने उनसे कहा, “मन फिराओ, और तुम में से हर एक अपने-अपने पापों की क्षमा के लिये यीशु मसीह के नाम से बपतिस्मा ले; तो तुम पवित्र आत्मा का दान पाओगे।
† We are baptized in the name of God the Father, God the Son, and God the Holy Spirit, in the name of Jesus Christ.
Mark11:9 Those who went in front, and those who followed, cried, "Hosanna! Blessed is he who comes in the name of the Lord!
लूका 10:17 वे सत्तर आनन्द से फिर आकर कहने लगे, “हे प्रभु, तेरे नाम से दुष्टात्मा भी हमारे वश में है।”
† Even enemies are subject to the name of 'Jesus'.
लूका 19:38 “धन्य है वह राजा, जो प्रभु के नाम से आता है! स्वर्ग में शान्ति और आकाश में महिमा हो!” (भज. 72:18-19, भज. 118:26)
† The LORD Jesus comes in the name of God.
लूका 21:8 उसने कहा, “सावधान रहो, कि भरमाए न जाओ, क्योंकि बहुत से मेरे नाम से आकर कहेंगे, कि मैं वही हूँ; और यह भी कि समय निकट आ पहुँचा है: तुम उनके पीछे न चले जाना। (1 यूह. 4:1, मर. 13:21-23)
लूका 24:47 और यरूशलेम से लेकर सब जातियों में मन फिराव का और पापों की क्षमा का प्रचार, उसी के नाम से किया जाएगा।
प्रेरितों के काम 4:7 और पतरस और यूहन्ना को बीच में खड़ा करके पूछने लगे, “तुम ने यह काम किस सामर्थ्य से और किस नाम से किया है?”
† The name has power.
प्रेरितों के काम 4:12 और किसी दूसरे के द्वारा उद्धार नहीं; क्योंकि स्वर्ग के नीचे मनुष्यों में और कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया, जिसके द्वारा हम उद्धार पा सके।”
† Creatures can receive salvation only through the name of 'Jesus'.
मत्ती 11:27 “मेरे पिता ने मुझे सब कुछ सौंपा है, और कोई पुत्र को नहीं जानता, केवल पिता; और कोई पिता को नहीं जानता, केवल पुत्र और वह जिस पर पुत्र उसे प्रगट करना चाहे।
† The Father gave everything to the Son.
मत्ती 17:5 वह बोल ही रहा था, कि एक उजले बादल ने उन्हें छा लिया, और उस बादल में से यह शब्द निकला, “यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिससे मैं प्रसन्न हूँ: इसकी सुनो।”
† The Father commands creatures to obey the Son's commands.[80]
मत्ती 26:53 क्या तू नहीं समझता, कि मैं अपने पिता से विनती कर सकता हूँ, और वह स्वर्गदूतों की बारह सैन्य-दल से अधिक मेरे पास अभी उपस्थित कर देगा?
यूहन्ना 5:43 मैं अपने पिता परमेश्वर के नाम से आया हूँ, और तुम मुझे ग्रहण नहीं करते; यदि कोई और अपने ही नाम से आए, तो उसे ग्रहण कर लोगे।
† In ever-existing infinity, the First Person in the Trinity and the Second Person in the Trinity are equal[81] to each other.[82] In ever-existing infinity, the First Person in the Trinity and the Second Person in the Trinity are present in every moment and every place at the same time[83], upholding every moment and every place at the same time.[84] Space-time too is just a creature.[85] Here, we think of it with the thought of a creature that exists only in space-time.
† God who became a creature, is the rightful Heir.[86] All authority in space-time now belongs to the LORD Jesus.[87] All unfallen angels obey the LORD Jesus.[88] However, the fallen angels do not obey the LORD Jesus. They are just forcibly controlled by the LORD Jesus.[89]
† God becomes an adam and receives the authority to execute judgment.[90] This authority to execute judgment is the authority to take the cross[91], and the authority to burn the criminals with fire.[92] God becomes an adam and takes the cross. God proves the truthfulness of the commandments through the cross. God condemns those who break the commandments through the cross. God lays down His life of His own will and takes it back. God judges criminals by the proved commandments.
† For those who break the commandments, the cross is judgment[93], but for those who keep the commandments, the cross is eternal life.[94] Because God became a creature, creatures can see God without fear.[95] Since fear is gone[96], how creatures treat God is clearly revealed.[97] Those who keep the commandments, honor God who became a creature.[98] Those who do not keep the commandments, kill God who became a creature.[99]
† Since God sends the saints among wolves[100], how the saints treat God is clearly revealed.[101] Those who keep the commandments, lay down their lives for God.[102] Those who do not keep the commandments, forsake God for their lives.[103] At the time of the great white throne judgment, creatures will fully understand why God saves some and why He burns others.[104]
사.
③ God the Holy Spirit predetermined to come in the name of 'Jesus'.
यूहन्ना 14:16 और मैं पिता से विनती करूँगा, और वह तुम्हें एक और सहायक देगा, कि वह सर्वदा तुम्हारे साथ रहे।
यूहन्ना 14:26 परन्तु सहायक अर्थात् पवित्र आत्मा जिसे पिता मेरे नाम से भेजेगा, वह तुम्हें सब बातें सिखाएगा, और जो कुछ मैंने तुम से कहा है, वह सब तुम्हें स्मरण कराएगा।”
यूहन्ना 15:26 परन्तु जब वह सहायक आएगा, जिसे मैं तुम्हारे पास पिता की ओर से भेजूँगा, अर्थात् सत्य का आत्मा जो पिता की ओर से निकलता है, तो वह मेरी गवाही देगा।
यूहन्ना 16:7 फिर भी मैं तुम से सच कहता हूँ, कि मेरा जाना तुम्हारे लिये अच्छा है, क्योंकि यदि मैं न जाऊँ, तो वह सहायक तुम्हारे पास न आएगा, परन्तु यदि मैं जाऊँगा, तो उसे तुम्हारे पास भेज दूँगा।
यूहन्ना 17:11 मैं आगे को जगत में न रहूँगा, परन्तु ये जगत में रहेंगे, और मैं तेरे पास आता हूँ; हे पवित्र पिता, अपने उस नाम से जो तूने मुझे दिया है, उनकी रक्षा कर, कि वे हमारे समान एक हों।
यूहन्ना 17:21 कि वे सब एक हों; जैसा तू हे पिता मुझ में हैं, और मैं तुझ में हूँ, वैसे ही वे भी हम में हों, इसलिए कि जगत विश्वास करे, कि तू ही ने मुझे भेजा।
यूहन्ना 17:22 और वह महिमा जो तूने मुझे दी, मैंने उन्हें दी है कि वे वैसे ही एक हों जैसे कि हम एक हैं।
यूहन्ना 14:20 उस दिन तुम जानोगे, कि मैं अपने पिता में हूँ, और तुम मुझ में, और मैं तुम में।
† The LORD Jesus is the 1st Counselor.[105] God the Holy Spirit is another Counselor, the 2nd Counselor. The LORD Jesus predetermined to ask the Father and the Father would send the 2nd Counselor, God the Holy Spirit, in the name of the Son, after the LORD Jesus, the 1st Counselor, sits on the throne.
† For the LORD Jesus to go away, means to take the cross. God the Holy Spirit comes only to those who are covered with the blood of the cross and are forgiven of their sins. Therefore, unless the LORD Jesus goes away, the 2nd Counselor cannot come to the saints.[106]
† God makes the saints become one through the name of 'Jesus'. The meaning of keeping the saints through the name, means that God the Holy Spirit comes in the name of 'Jesus' and keeps them. Only after the coming of God the Holy Spirit[107], could the disciples[108] become one.[109]
† God who makes the saints become one through the name, gives the saints the glory of God so that they may become one. The glory is the name.[110] God gives the saints the name of God to makes the saints become one. God gives the saints the name of 'Jesus' to makes the saints become one.
† God is always glorious in ever-existing infinity. Whether there is space-time or not[111], God alone is glorious.[112] God puts His name in space-time.[113] God is glorified through His name[114] from creatures in space-time.[115] God expresses His glory in space-time through His name.[116] Therefore, God glorifies His name He has placed in space-time.[117]
† The name of God is the glory of God placed in space-time.[118] The Son came in the Father's name[119], in the Father's glory.[120] God the Holy Spirit comes in the name of the Son and glorifies the saints who receive God the Holy Spirit.[121] The saints will be resurrected or transformed through God the Holy Spirit[122], and they will be glorified through resurrection or transformation.[123] Therefore, God the Holy Spirit is the Spirit of glory.[124]
† Saints become one through the name of 'Jesus'. Saints become one through God the Holy Spirit who has the name 'Jesus'. When one God the Holy Spirit comes upon all the saints[125], all the saints obey the same God the Holy Spirit.[126] In God the Holy Spirit who has the name 'Jesus', the saints become one. Through the name 'Jesus', the saints become one.[127]
† The meaning of becoming one is not that beings themselves are fused, but that they have the same thoughts.[128] In other words, it means having the same thoughts as Christ.[129] The disciples became one through God the Holy Spirit. But, of course, their very existence was distinct. The disciples still had individual personalities. However, the reason and purpose of the disciples' life was the same.[130] The disciples became one through God the Holy Spirit.
† A creature can never be the Creator, even partially. The Son will deliver the kingdom to the Father[131], and the Father will be all in all.[132] Does this mean that creatures will eventually fuse into one with God? It can't be. Creatures exist only in space-time.[133] But God transcends space-time.[134]
† A creature cannot be part of the Creator unless it is part of the Creator from the beginning. Since God transcends space-time, the end and the beginning are the same. Because the Creator is perfect, His Being cannot be changed.[135] A creature that exists only in time, cannot fuse with the Creator who is upholding time. Even if its free will become perfected, a creature cannot come to exist before it is created. Before God calls it into existence, the creature is simply non-existent. Outside of space-time, creatures simply do not exist.[136] What does not exist cannot be fused with the Ever-Present One.[137]
† The name God has placed in space-time, contains His purpose. The name 'The Existing One is salvation' contains God's purpose. The name 'Jesus' contains God's purpose to save creatures from sin.[138] The name 'Jesus' contains God's will[139] to annihilate the possibility to sin remaining in creatures.[140] The name 'Jesus' contains God's plan[141] to annihilate sin in space-time.[142]
† Saints become one with God through the name 'Jesus'.[143] The saints receive God the Holy Spirit who has the name 'Jesus,' and become one with God.[144] He/She who became one with God, submits his/her will to the will of God.[145] Those who became one with God, help God complete creation.[146] Those who submit their will to the will of God, help God in annihilating sin in space-time.[147] Those who surrender to God, help God in perfecting the free will of creatures.[148]
† God is the Word.[149] We must receive the word to become one with God.[150] God the Holy Spirit is the Spirit of truth.[151] In order to become one with God, we must receive God the Holy Spirit.[152] God the Father, the Son, and God the Holy Spirit use the same name in space-time.[153] When we receive God the Holy Spirit, God's name dwells in us. Through God the Holy Spirit[154], we become one with God.[155] Through God the Holy Spirit[156], we surrender to God's will.[157] Through God the Holy Spirit[158], the possibility to sin is annihilated in us.[159]
아.
자.
④ The Second Person in the Trinity predetermined to come as the Messiah.
यूहन्ना 17:3 और अनन्त जीवन यह है, कि वे तुझ एकमात्र सच्चे परमेश्वर को और यीशु मसीह को, जिसे तूने भेजा है, जानें।
† The LORD Jesus is God the Creator[160] who is[161] Self-existent.[162] The LORD Jesus is the Second Person in the Trinity[163] who is present[164] in every moment and every place at the same time[165] and is upholding[166] every moment and every place[167] at the same time.[168] The Second Person in the Trinity, the Owner of space-time, emptied Himself and gave up ownership of space-time.[169] The Second Person in the Trinity becomes a creature and inherits space-time.[170] The LORD Jesus becomes a creature and inherits the throne.[171] The LORD Jesus inherits the name 'Jesus' through His cross.[172]
† The LORD Jesus is the Christ, the Messiah, the Anointed One.[173] Anointing is given to prophets, priests, and kings.[174] The LORD Jesus is the Prophet who reveals sin.[175] The LORD Jesus is the Priest who atones for the sins of those who repent.[176] The LORD Jesus is the King who judges those that persist in sin.[177]
† The LORD Jesus came to Hades.[178] But Satan does not obey the LORD Jesus.[179] However, the LORD Jesus does not immediately judge Satan.[180] The LORD Jesus first perfects the free will of creatures through His cross.[181] After that, the LORD Jesus judges Satan.[182]
† The LORD Jesus divides creatures into those that obey the commandments of love and those that do not obey the commandments of love.[183] The LORD Jesus will spare only those who obey the commandments of love.[184] The LORD Jesus will burn in the lake of fire all that do not submit to the rule of love.[185] Therefore, the LORD Jesus is the eternal life of creatures.[186] The only way a creature can survive[187], is through submission to the LORD Jesus.[188]
भजन संहिता 9:4 तूने मेरे मुकद्दमें का न्याय मेरे पक्ष में किया है*; तूने सिंहासन पर विराजमान होकर धर्म से न्याय किया।
भजन संहिता 9:5 तूने जाति-जाति को झिड़का और दुष्ट को नाश किया है; तूने उनका नाम अनन्तकाल के लिये मिटा दिया है।
भजन संहिता 9:7 परन्तु यहोवा सदैव सिंहासन पर विराजमान है*, उसने अपना सिंहासन न्याय के लिये सिद्ध किया है;
भजन संहिता 9:8 और वह जगत का न्याय धर्म से करेगा, वह देश-देश के लोगों का मुकद्दमा खराई से निपटाएगा। (भज. 96:13, प्रेरि. 17:31)
† The authority of the throne is the authority of judgment. The LORD Jesus will judge righteously based on the commandments.[189]
यूहन्ना 5:22 पिता किसी का न्याय भी नहीं करता, परन्तु न्याय करने का सब काम पुत्र को सौंप दिया है,
यूहन्ना 5:23 इसलिए कि सब लोग जैसे पिता का आदर करते हैं वैसे ही पुत्र का भी आदर करें; जो पुत्र का आदर नहीं करता, वह पिता का जिसने उसे भेजा है, आदर नहीं करता।
यूहन्ना 5:24 मैं तुम से सच-सच कहता हूँ, जो मेरा वचन सुनकर मेरे भेजनेवाले पर विश्वास करता है, अनन्त जीवन उसका है, और उस पर दण्ड की आज्ञा नहीं होती परन्तु वह मृत्यु से पार होकर जीवन में प्रवेश कर चुका है।
यूहन्ना 5:25 “मैं तुम से सच-सच कहता हूँ, वह समय आता है, और अब है, जिसमें मृतक परमेश्वर के पुत्र का शब्द सुनेंगे, और जो सुनेंगे वे जीएँगे।
यूहन्ना 5:26 क्योंकि जिस रीति से पिता अपने आप में जीवन रखता है, उसी रीति से उसने पुत्र को भी यह अधिकार दिया है कि अपने आप में जीवन रखे;
यूहन्ना 5:27 वरन् उसे न्याय करने का भी अधिकार दिया है, इसलिए कि वह मनुष्य का पुत्र है।
† The Father hands over His throne to the Son so that creatures honor the Son. The throne has the right to judge.[190] The Second Person in the Trinity becomes a creature and inherits the authority to execute judgment through His cross.[191] This authority to judge inherited by the LORD Jesus[192], is the authority to take the cross[193] and to burn[194] the criminals[195] in the lake of fire.[196]
† The LORD Jesus takes the cross. The LORD Jesus overcomes death and is resurrected.[197] The LORD Jesus conquers death through His cross.[198] Through the cross, the truthfulness of the commandments was partly proved. The LORD Jesus fulfills the redemption through His cross.[199] God the Holy Spirit will come upon those who have received the forgiveness of their sins.[200] The saints who received God the Holy Spirit will overcome death and be resurrected or transformed by following the LORD Jesus.[201] Through the 1st resurrection, the truthfulness of the commandments will be finally proved.[202]
† God's love is proved through the cross.[203] The price God paid to redeem adam, was God Himself.[204] Creatures saw how much God loves them.[205] Creatures now come to love God.[206]
† Through the cross, the commandments are weighed.[207] The price to pay for sin, is God Himself.[208] The commandments are weighted as much as God. Now no one can take the commandments lightly.[209] God's justice is proved through the cross.[210] The Father even forsook the Son to atone for sin. Adam did not just become exempt from punishment for no reason.[211] Adam could not simply be exempted from the punishment of the lake of fire.[212] The wages of sin must be paid. Judgment will be applied to any creature without exception.[213]
† Satan who has disobeyed God's command, eventually kills even God.[214] Through the cross, Satan's wickedness at its peak, is revealed. The end of sin, is to kill even God.[215] Sin must be annihilated.
† The Second Person in the Trinity gives life to creatures through His cross.[216] Only those who honor the Second Person in the Trinity, can receive life.[217] Since God came as a creature, there is a clear distinction between those who obey God and those who do not obey God. Although God came as a weak creature[218], those who obey God obey the LORD Jesus.[219] Although God Himself came as a creature in person[220], those who do not obey God kill God.[221]
† God creates light in darkness.[222] God puts the garden of Eden in Hades. God gives Adam dominion over the garden of Eden and commanded him to keep it.[223] Adam should have kept the garden of Eden from sin.[224] Adam should have kept the domain of light placed in Hades, from death.[225] Adam should have kept Hades from pain.[226]
† However, Adam traded the vicarious management proxy over the garden of Eden, for sin.[227] Adam chose sin and gave up his vicarious management proxy.[228] Adam who should have protected the garden of Eden from sin and expanded the domain of light in Hades[229], turned off the light in the garden of Eden himself.[230]
† The Second Person in the Trinity comes as the Last Adam.[231] The Last Adam obeyed the First Person in the Trinity to the point of death and died on the cross.[232] The LORD Jesus inherits space-time through His cross.[233] All creatures of space-time now belong to the LORD Jesus.[234] Whether death or life, angels or humans, the heaven of angels or Hades[235], everything in space-time now belongs to the LORD Jesus.[236] Death and Hades in space-time also belong to the LORD Jesus.[237] Because they belong to the LORD Jesus, the LORD Jesus judges.[238] The LORD Jesus came as the son of man, took the cross, and inherited the authority to judge through His cross.
† The LORD Jesus comes as the son of man and inherits ownership of whole space-time[239], but humans inherit the vicarious management proxy over Hades.[240] The right to rule that God had entrusted to Adam in the first place, was also the limited temporary vicarious management proxy over Hades. Since it is not Adam's, he cannot dispose of it at will. Since it is not Adam's, Adam cannot burn it in the lake of fire at will. Since it is not Adam's, Adam cannot judge it at will. But the LORD Jesus became the Owner. The LORD Jesus who inherits the ownership, can burn death and Hades in the lake of fire.[241]
† The garden of Eden may not be Hades. However, the authority entrusted to Adam was the authority over the entire earth.[242] Regardless of whether Hades where Satan fraudswarms are confined, is the universe or the earth, adam cannot escape the earth[243], Satan fraudswarms are focused on deceiving adam[244], and the LORD Jesus came as an adam.[245]
† Just as the Israelites drove out the Canaanites and expanded the domain of light[246], Adam should have driven out Satan fraudswarms and expanded the domain of light.[247] But if Adam would not have sinned, God would have predetermined[248] the very process of creation[249] differently.[250] Or, instead of Adam who would not sin[251], God would have placed another creature in Adam's place who would sin.[252] And the process of creation would have proceeded just as it is now.[253] In any case, the process of creation proceeds as God has determined.[254]
लैव्यवस्था 16:21 और हारून अपने दोनों हाथों को जीवित बकरे पर रखकर इस्राएलियों के सब अधर्म के कामों, और उनके सब अपराधों, अर्थात् उनके सारे पापों को अंगीकार करे, और उनको बकरे के सिर पर धरकर उसको किसी मनुष्य के हाथ जो इस काम के लिये तैयार हो जंगल में भेजके छुड़वा दे। (इब्रा. 10:4)
लैव्यवस्था 16:22 वह बकरा उनके सब अधर्म के कामों को अपने ऊपर लादे हुए किसी निर्जन देश में उठा ले जाएगा; इसलिए वह मनुष्य उस बकरे को जंगल में छोड़ दे।
प्रेरितों के काम 17:31 क्योंकि उसने एक दिन ठहराया है, जिसमें वह उस मनुष्य के द्वारा धार्मिकता से जगत का न्याय करेगा, जिसे उसने ठहराया है और उसे मरे हुओं में से जिलाकर, यह बात सब पर प्रमाणित कर दी है।” (भज. 9:8, भज. 72:2-4, भज. 96:13, भज. 98:9, यशा. 2:4)
प्रकाशित वाक्य 2:26 जो जय पाए, और मेरे कामों के अनुसार अन्त तक करता रहे, ‘मैं उसे जाति-जाति के लोगों पर अधिकार दूँगा।
प्रकाशित वाक्य 2:27 और वह लोहे का राजदण्ड लिये हुए उन पर राज्य करेगा, जिस प्रकार कुम्हार के मिट्टी के बर्तन चकनाचूर हो जाते हैं: मैंने भी ऐसा ही अधिकार अपने पिता से पाया है।
प्रकाशित वाक्य 3:21 जो जय पाए, मैं उसे अपने साथ अपने सिंहासन पर बैठाऊँगा, जैसा मैं भी जय पा कर अपने पिता के साथ उसके सिंहासन पर बैठ गया।
मत्ती 19:28 यीशु ने उनसे कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ, कि नई उत्पत्ति में जब मनुष्य का पुत्र अपनी महिमा के सिंहासन पर बैठेगा, तो तुम भी जो मेरे पीछे हो लिये हो, बारह सिंहासनों पर बैठकर इस्राएल के बारह गोत्रों का न्याय करोगे।
प्रकाशित वाक्य 14:4 ये वे हैं, जो स्त्रियों के साथ अशुद्ध नहीं हुए, पर कुँवारे हैं; ये वे ही हैं, कि जहाँ कहीं मेम्ना जाता है, वे उसके पीछे हो लेते हैं; ये तो परमेश्वर और मेम्ने के निमित्त पहले फल होने के लिये मनुष्यों में से मोल लिए गए हैं।
प्रकाशित वाक्य 14:5 और उनके मुँह से कभी झूठ न निकला था, वे निर्दोष हैं।
प्रकाशित वाक्य 15:2 और मैंने आग से मिले हुए काँच के जैसा एक समुद्र देखा, और जो लोग उस पशु पर और उसकी मूर्ति पर, और उसके नाम के अंक पर जयवन्त हुए थे, उन्हें उस काँच के समुद्र के निकट परमेश्वर की वीणाओं को लिए हुए खड़े देखा।
प्रकाशित वाक्य 20:4 फिर मैंने सिंहासन देखे, और उन पर लोग बैठ गए, और उनको न्याय करने का अधिकार दिया गया। और उनकी आत्माओं को भी देखा, जिनके सिर यीशु की गवाही देने और परमेश्वर के वचन के कारण* काटे गए थे, और जिन्होंने न उस पशु की, और न उसकी मूर्ति की पूजा की थी, और न उसकी छाप अपने माथे और हाथों पर ली थी। वे जीवित होकर मसीह के साथ हजार वर्ष तक राज्य करते रहे। (दानि. 7:22)
† A person who is in readiness imprisons the Azazel goat in the wilderness.[255] The person who is in readiness symbolizes the LORD Jesus. The Azazel goat symbolizes Satan. The wilderness symbolizes the Abyss. The LORD Jesus will imprison Satan in the Abyss.[256]
† The LORD Jesus took the cross and inherited the throne. Those who follow the LORD Jesus will also inherit the throne. Judgment will also be given to those who follow the LORD Jesus. These, like the LORD Jesus, will prove the truthfulness of the commandments. These will prepare the way for the LORD Jesus, the Person who is in readiness. These will prepare the way for the LORD Jesus to imprison Satan in the Abyss. These will help the judgment of the LORD Jesus.[257] These too will participate in the judgment of the LORD Jesus.[258]
यूहन्ना 14:7 यदि तुम ने मुझे जाना होता, तो मेरे पिता को भी जानते, और अब उसे जानते हो, और उसे देखा भी है।”
यूहन्ना 14:8 फिलिप्पुस ने उससे कहा, “हे प्रभु, पिता को हमें दिखा दे: यही हमारे लिये बहुत है।”
यूहन्ना 14:9 यीशु ने उससे कहा, “हे फिलिप्पुस, मैं इतने दिन से तुम्हारे साथ हूँ, और क्या तू मुझे नहीं जानता? जिस ने मुझे देखा है उसने पिता को देखा है: तू क्यों कहता है कि पिता को हमें दिखा?
† The LORD Jesus is the Second Person in the Trinity. The LORD Jesus transcends space-time. Creatures exist only in space-time. Creatures still have the possibility to sin. Creatures cannot see God. Therefore, God Himself enters into space-time in person. God Himself empties Himself and becomes a creature. It is to prevent creatures from dying even though they see God directly.
† God had put His name in the model temple. The LORD Jesus is the Temple.[259] The LORD Jesus is the Temple not only because He Himself is God[260], but also because He bears the name of the Father.[261] If we receive God the Holy Spirit who bears the name of the LORD Jesus, we too become temples.[262]
† It is not that God is in the temple, but the place where God is present, is the temple.[263] It is only that God has placed the concept of 'a place to remember God' in space-time[264] so that creatures could serve the holy God holy.[265]
† The reason God gives orders to creatures primarily through the throne in the temple[266], is not because He lacks the ability to give orders to each of creatures individually.[267] God can give orders individually to each of creatures at every moment.[268] However, God wants creatures to remember His commands with a willing heart.[269] God does not want creatures to be forced to obey His commands when in reality they hate to obey.[270]
† The reason why God placed 'a place to remember God' in space-time, is to make creatures worship the holy God holy. When they go to the temple, creatures remember God.[271] When they go to the temple, creatures prepare themselves.[272] When they go to the temple, creatures renounce their sins.[273] When they go to the temple, creatures set themselves as God wills them.[274]
† Those who remember God at every moment and serve God holy, no longer need a temple.[275] Whether in the temple or outside the temple, everywhere he/she worships God holy.[276] In other words, to him/her, everywhere is inside the temple.[277] He/She obeys God always and everywhere he/she keeps the commandments.[278] Wherever and whenever God reveals Himself to him/her, he/she does not die.[279] Therefore, he/she finds God who is always present everywhere.[280]
† We are temples because we receive God the Holy Spirit who is God.[281] God the Holy Spirit bears the name of the LORD Jesus. Therefore, I think we could also be temples[282] because through God the Holy Spirit we have received[283] the name of the LORD Jesus.[284] It does not mean that we have directly received the name of the LORD Jesus, but it means that we have received God the Holy Spirit who bears the name of the LORD Jesus.
† The reason why the saints of the old testament times treated angels as God[285], was because angels were sent in the name of God.[286] It means that the place where angels who were sent in the name of God were located[287], would have been the temple.[288] Isn't the reason why we treat God's servants[289] as if they were God[290], because they do God's work in God's name?[291] God works[292] through His servants.[293] But we are all servants of God.[294]
यूहन्ना 18:36 यीशु ने उत्तर दिया, “मेरा राज्य इस जगत का नहीं, यदि मेरा राज्य इस जगत का होता, तो मेरे सेवक लड़ते, कि मैं यहूदियों के हाथ सौंपा न जाता: परन्तु अब मेरा राज्य यहाँ का नहीं।”
यूहन्ना 18:37 पिलातुस ने उससे कहा, “तो क्या तू राजा है?” यीशु ने उत्तर दिया, “तू कहता है, कि मैं राजा हूँ; मैंने इसलिए जन्म लिया, और इसलिए जगत में आया हूँ कि सत्य पर गवाही दूँ जो कोई सत्य का है, वह मेरा शब्द सुनता है।” (1 यूह. 4:6)
† The LORD Jesus is the God the Creator, not just the King of creatures.[295] The Second Person in the Trinity is the Creator who is upholding space-time and creatures within it.[296] The Second Person in the Trinity does not have to sit on the throne of space-time to rule over creatures.[297]
† However, the Second Person in the Trinity became a creature and took the cross.[298] The Second Person in the Trinity becomes a creature and sits on the throne of space-time.[299] The Second Person in the Trinity becomes a creature and becomes the King of creatures.[300]
† Before the LORD Jesus was crucified, creatures were things that were possible to rebel.[301] The LORD Jesus, through His cross, perfects the creatures into things that cannot be rebellious.[302] The LORD Jesus, through His cross, annihilates the possibility to sin remaining in creatures.[303] After the crucifixion of the LORD Jesus, creatures become things that cannot rebel.[304] After the LORD Jesus has perfected the rebellious creatures into those that cannot be rebellious[305], He becomes the King of creatures.[306]
लूका 19:11 जब वे ये बातें सुन रहे थे, तो उसने एक दृष्टान्त कहा, इसलिए कि वह यरूशलेम के निकट था, और वे समझते थे, कि परमेश्वर का राज्य अभी प्रगट होनेवाला है।
लूका 19:12 अतः उसने कहा, “एक धनी मनुष्य दूर देश को चला ताकि राजपद पा कर लौट आए।
लूका 19:13 और उसने अपने दासों में से दस को बुलाकर उन्हें दस मुहरें दीं, और उनसे कहा, ‘मेरे लौट आने तक लेन-देन करना।’
लूका 19:14 “परन्तु उसके नगर के रहनेवाले उससे बैर रखते थे, और उसके पीछे दूतों के द्वारा कहला भेजा, कि हम नहीं चाहते, कि यह हम पर राज्य करे।
लूका 19:26 ‘मैं तुम से कहता हूँ, कि जिसके पास है, उसे और दिया जाएगा; और जिसके पास नहीं, उससे वह भी जो उसके पास है ले लिया जाएगा।
लूका 19:27 परन्तु मेरे उन बैरियों को जो नहीं चाहते थे कि मैं उन पर राज्य करूँ, उनको यहाँ लाकर मेरे सामने मार डालो’।”
प्रेरितों के काम 2:35 जब तक कि मैं तेरे बैरियों को तेरे पाँवों तले की चौकी न कर दूँ।’ (भज. 110:1)
प्रेरितों के काम 2:36 अतः अब इस्राएल का सारा घराना निश्चय जान ले कि परमेश्वर ने उसी यीशु को जिसे तुम ने क्रूस पर चढ़ाया, प्रभु भी ठहराया और मसीह भी।”
इब्रानियों 2:8 तूने सब कुछ उसके पाँवों के नीचे कर दिया।” इसलिए जब कि उसने सब कुछ उसके अधीन कर दिया, तो उसने कुछ भी रख न छोड़ा, जो उसके अधीन न हो। पर हम अब तक सब कुछ उसके अधीन नहीं देखते। (भज. 8:6, 1 कुरि. 15:27)
इब्रानियों 2:9 पर हम यीशु को जो स्वर्गदूतों से कुछ ही कम किया गया था, मृत्यु का दुःख उठाने के कारण महिमा और आदर का मुकुट पहने हुए देखते हैं; ताकि परमेश्वर के अनुग्रह से वह हर एक मनुष्य के लिये मृत्यु का स्वाद चखे।
इब्रानियों 12:2 और विश्वास के कर्ता और सिद्ध करनेवाले* यीशु की ओर ताकते रहें; जिस ने उस आनन्द के लिये जो उसके आगे धरा था, लज्जा की कुछ चिन्ता न करके, क्रूस का दुःख सहा; और सिंहासन पर परमेश्वर के दाहिने जा बैठा। (1 पत. 2:23-24, तीतु. 2:13-14)
† God can annihilate all creatures in a moment.[307] God can annihilate space-time in a moment.[308] God can create countless space-times in an instant.[309] God is omnipotent.[310] Even so, God does not rule space-time by force.[311] Because He wants to perfect the free will He has given creatures.
† Free will which God has given creatures, has the possibility to sin.[312] God is not upholding space-time as a structure in which the possibility to sin is annihilated by force. God is not upholding space-time as a structure in which the free will of creatures is perfected through violence. God is upholding space-time as a structure in which the possibility to sin is annihilated by love.[313] God is upholding space-time as a structure in which the free will of creatures is perfected through love.
† Therefore, God rules space-time not by force but by love.[314] God's love appears as the commandments of love in space-time.[315] And God Himself becomes a creature in person and perfects the creatures that are not willing to keep the commandments into those that keep the commandments.[316] The cross is the means by which God perfects the free will of creatures.[317]
† The free will of creatures cannot be perfected by force. The free will that surrendered to violence still has the possibility to sin.[318] Therefore, if God rules creatures by force, the possibility to sin remaining in creatures, will not be annihilated. This is because God is upholding space-time as such a structure.
† God perfects the free will of creatures with love.[319] God shows His love to creatures through His cross.[320] Creatures see God's love and come to know God's love.[321] The creatures that came to know God's love, come to love God.[322] The creatures that came to love God, keep the commandments of God.[323] In order for Him to make creatures keep the commandments[324], the LORD Jesus inherits space-time through His cross.
यूहन्ना 11:25 यीशु ने उससे कहा, “पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूँ*, जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तो भी जीएगा।
यूहन्ना 11:26 और जो कोई जीवित है, और मुझ पर विश्वास करता है, वह अनन्तकाल तक न मरेगा। क्या तू इस बात पर विश्वास करती है?”
यूहन्ना 11:27 उसने उससे कहा, “हाँ, हे प्रभु, मैं विश्वास कर चुकी हूँ, कि परमेश्वर का पुत्र मसीह जो जगत में आनेवाला था, वह तू ही है।”
फिलिप्पियों 2:5 जैसा मसीह यीशु का स्वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्वभाव हो;
फिलिप्पियों 2:6 जिसने परमेश्वर के स्वरूप में होकर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा।
फिलिप्पियों 2:7 वरन् अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया*, और दास का स्वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया।
फिलिप्पियों 2:8 और मनुष्य के रूप में प्रगट होकर अपने आप को दीन किया, और यहाँ तक आज्ञाकारी रहा कि मृत्यु, हाँ, क्रूस की मृत्यु भी सह ली।
फिलिप्पियों 2:9 इस कारण परमेश्वर ने उसको अति महान भी किया, और उसको वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्ठ है,
फिलिप्पियों 2:10 कि जो स्वर्ग में और पृथ्वी पर और जो पृथ्वी के नीचे है; वे सब यीशु के नाम पर घुटना टेकें*,
फिलिप्पियों 2:11 और परमेश्वर पिता की महिमा के लिये हर एक जीभ अंगीकार कर ले कि यीशु मसीह ही प्रभु है।
† The LORD Jesus is the Messiah[325] and Heir[326] even before He was crucified.[327] But the LORD Jesus proves it through His cross.[328] The LORD Jesus is the Prophet[329], Priest[330], and King[331] even before He was crucified. But the LORD Jesus[332] proves[333] it[334] through His cross.[335] The LORD Jesus is already the Heir of all things who came in the name of the Father even before He was crucified.[336] But the LORD Jesus formally inherits that name[337] through His cross.[338]
† The LORD Jesus, before judging[339], shows first why He burns it to death.[340] Before the LORD Jesus saves[341], He shows first why He gives it eternal life.[342] Because creatures may have doubts about God if they do not know the reason.[343] When creatures misunderstand God, the possibility to sin remaining in creatures is not annihilated. If creatures do not understand the reason for judgment and salvation[344], the free will of creatures will not be perfected.
† Before the LORD Jesus judges, He first shows creatures that He is worthy to judge.[345] Before the LORD Jesus saves, He first shows creatures that He is worthy to save.[346] Before the LORD Jesus inherits the throne, He first shows creatures that He is worthy to inherit space-time.[347]
† Therefore, creatures now have no doubts about the LORD Jesus.[348] Satan can no longer accuse the LORD Jesus of whether He is qualified to judge.[349] Satan can no longer accuse the LORD Jesus of whether He is qualified to inherit the throne.[350] The LORD Jesus is truly the Messiah and truly the Heir. Now, when the appointed number of firstfruits which will finally confirm the truthfulness of the commandments, is completed[351], the judgment will be executed.[352]
† The LORD Jesus came to Hades through God the Holy Spirit.[353] The LORD Jesus inherited space-time through the baptism of the cross.[354] Now it is the LORD Jesus who owns space-time. Now all authority over space-time belongs to the LORD Jesus.[355] Now the LORD Jesus judges what He has, and the LORD Jesus saves what He has.
† Light comes into the darkness.[356] The LORD Jesus comes to Hades.[357] A heaven is formed in the darkness.[358] A heaven is formed in Hades.[359] God Himself becomes a creature[360] and expresses Himself to creatures in person.[361] God who has expressed Himself through His name[362], now expresses Himself in person.[363] God Himself comes to space-time in person[364] and completes the name 'Yahweh' into 'Jesus'.[365] God Himself comes to space-time in person[366] and completes the name of judgment into the name of salvation.[367] God Himself comes to space-time in person[368] and perfects the creatures that can die[369] into the creatures that cannot die.[370]
[1] एज्रा 6:12 परमेश्वर जिस ने वहाँ अपने नाम का निवास ठहराया है, वह क्या राजा क्या प्रजा, उन सभी को जो यह आज्ञा टालने और परमेश्वर के भवन को जो यरूशलेम में है नाश करने के लिये हाथ बढ़ाएँ, नष्ट करे। मुझ दारा ने यह आज्ञा दी है फुर्ती से ऐसा ही करना।”
[2] यूहन्ना 14:14 यदि तुम मुझसे मेरे नाम से कुछ माँगोगे, तो मैं उसे करूँगा।
[3] यूहन्ना 1:18 परमेश्वर को किसी ने कभी नहीं देखा*, एकलौता पुत्र जो पिता की गोद में हैं, उसी ने उसे प्रगट किया।
[4] रोमियो 6:9 क्योंकि हम जानते है कि मसीह मरे हुओं में से जी उठा और फिर कभी नहीं मरेगा। मृत्यु उस पर प्रभुता नहीं करती।
[5] फिलिप्पियों 2:8 और मनुष्य के रूप में प्रगट होकर अपने आप को दीन किया, और यहाँ तक आज्ञाकारी रहा कि मृत्यु, हाँ, क्रूस की मृत्यु भी सह ली। इस कारण परमेश्वर ने उसको अति महान भी किया, और उसको वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्ठ है, कि जो स्वर्ग में और पृथ्वी पर और जो पृथ्वी के नीचे है; वे सब यीशु के नाम पर घुटना टेकें*, और परमेश्वर पिता की महिमा के लिये हर एक जीभ अंगीकार कर ले कि यीशु मसीह ही प्रभु है।
[6] 1तीमुथियुस 2:5 क्योंकि परमेश्वर एक ही है, और परमेश्वर और मनुष्यों के बीच में भी एक ही बिचवई है*, अर्थात् मसीह यीशु जो मनुष्य है,
[7] यूहन्ना 15:26 परन्तु जब वह सहायक आएगा, जिसे मैं तुम्हारे पास पिता की ओर से भेजूँगा, अर्थात् सत्य का आत्मा जो पिता की ओर से निकलता है, तो वह मेरी गवाही देगा।
[8] यूहन्ना 14:26 परन्तु सहायक अर्थात् पवित्र आत्मा जिसे पिता मेरे नाम से भेजेगा, वह तुम्हें सब बातें सिखाएगा, और जो कुछ मैंने तुम से कहा है, वह सब तुम्हें स्मरण कराएगा।”
[9] 1कुरिन्थियों 3:16 क्या तुम नहीं जानते, कि तुम परमेश्वर का मन्दिर हो, और परमेश्वर का आत्मा तुम में वास करता है? यदि कोई परमेश्वर के मन्दिर को नाश करेगा तो परमेश्वर उसे नाश करेगा; क्योंकि परमेश्वर का मन्दिर पवित्र है, और वह तुम हो।
[10] मत्ती 12:28 पर यदि मैं परमेश्वर के आत्मा की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता हूँ, तो परमेश्वर का राज्य तुम्हारे पास आ पहुँचा है।
[11] प्रकाशित वाक्य 2:26 जो जय पाए, और मेरे कामों के अनुसार अन्त तक करता रहे, ‘मैं उसे जाति-जाति के लोगों पर अधिकार दूँगा। और वह लोहे का राजदण्ड लिये हुए उन पर राज्य करेगा, जिस प्रकार कुम्हार के मिट्टी के बर्तन चकनाचूर हो जाते हैं: मैंने भी ऐसा ही अधिकार अपने पिता से पाया है।
[12] अय्यूब 25:6 फिर मनुष्य की क्या गिनती जो कीड़ा है, और आदमी कहाँ रहा जो केंचुआ है!”
[13] मत्ती 12:28 पर यदि मैं परमेश्वर के आत्मा की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता हूँ, तो परमेश्वर का राज्य तुम्हारे पास आ पहुँचा है।
[14] प्रेरितों के काम 2:38 पतरस ने उनसे कहा, “मन फिराओ, और तुम में से हर एक अपने-अपने पापों की क्षमा के लिये यीशु मसीह के नाम से बपतिस्मा ले; तो तुम पवित्र आत्मा का दान पाओगे।
[15] रोमियो 14:17 क्योंकि परमेश्वर का राज्य खाना-पीना नहीं; परन्तु धार्मिकता और मिलाप और वह आनन्द है जो पवित्र आत्मा से होता है।
[16] यूहन्ना 14:26 परन्तु सहायक अर्थात् पवित्र आत्मा जिसे पिता मेरे नाम से भेजेगा, वह तुम्हें सब बातें सिखाएगा, और जो कुछ मैंने तुम से कहा है, वह सब तुम्हें स्मरण कराएगा।”
[17] 1पतरस 3:22 वह स्वर्ग पर जाकर परमेश्वर के दाहिनी ओर है; और स्वर्गदूतों, अधिकारियों और सामर्थियों को उसके अधीन किए गए हैं। (इफि. 1:20-21, भज. 110:1)
[18] 1पतरस 1:7 और यह इसलिए है कि तुम्हारा परखा हुआ विश्वास, जो आग से ताए हुए नाशवान सोने से भी कहीं अधिक बहुमूल्य है, यीशु मसीह के प्रगट होने पर प्रशंसा, महिमा, और आदर का कारण ठहरे। (अय्यू. 23:10, भज. 66:10, यशा. 48:10, याकू. 1:12) उससे तुम बिन देखे प्रेम रखते हो, और अब तो उस पर बिन देखे भी विश्वास करके ऐसे आनन्दित और मगन होते हो, जो वर्णन से बाहर और महिमा से भरा हुआ है,
[19] रोमियो 8:11 और यदि उसी का आत्मा जिसने यीशु को मरे हुओं में से जिलाया तुम में बसा हुआ है; तो जिस ने मसीह को मरे हुओं में से जिलाया, वह तुम्हारी मरनहार देहों को भी अपने आत्मा के द्वारा जो तुम में बसा हुआ है जिलाएगा। तो हे भाइयों, हम शरीर के कर्जदार नहीं, कि शरीर के अनुसार दिन काटें। क्योंकि यदि तुम शरीर के अनुसार दिन काटोगे, तो मरोगे, यदि आत्मा से देह की क्रियाओं को मारोगे, तो जीवित रहोगे।
[20] प्रकाशित वाक्य 22:17 और आत्मा, और दुल्हन दोनों कहती हैं, “आ!” और सुननेवाला भी कहे, “आ!” और जो प्यासा हो, वह आए और जो कोई चाहे वह जीवन का जल सेंत-मेंत ले। (यशा. 55:1)
[21] प्रकाशित वाक्य 21:2 फिर मैंने पवित्र नगर नये यरूशलेम को स्वर्ग से परमेश्वर के पास से उतरते देखा, और वह उस दुल्हन के समान थी, जो अपने दुल्हे के लिये श्रृंगार किए हो।
[22] प्रकाशित वाक्य 21:16 वह नगर वर्गाकार बसा हुआ था और उसकी लम्बाई, चौड़ाई के बराबर थी, और उसने उस गज से नगर को नापा, तो साढ़े सात सौ कोस का निकला: उसकी लम्बाई, और चौड़ाई, और ऊँचाई बराबर थी।
1राजा 6:20 और उस पवित्र-स्थान की लम्बाई, चौड़ाई और ऊँचाई बीस-बीस हाथ की थी; और उसने उस पर उत्तम सोना मढ़वाया और वेदी की तख्ताबंदी देवदार से की।
[23] इब्रानियों 11:35 स्त्रियों ने अपने मरे हुओं को फिर जीविते पाया; कितने तो मार खाते-खाते मर गए; और छुटकारा न चाहा; इसलिए कि उत्तम पुनरुत्थान के भागी हों। दूसरे लोग तो उपहास में उड़ाएँ जाने; और कोड़े खाने; वरन् बाँधे जाने; और कैद में पड़ने के द्वारा परखे गए।
[24] प्रकाशित वाक्य 20:4 फिर मैंने सिंहासन देखे, और उन पर लोग बैठ गए, और उनको न्याय करने का अधिकार दिया गया। और उनकी आत्माओं को भी देखा, जिनके सिर यीशु की गवाही देने और परमेश्वर के वचन के कारण* काटे गए थे, और जिन्होंने न उस पशु की, और न उसकी मूर्ति की पूजा की थी, और न उसकी छाप अपने माथे और हाथों पर ली थी। वे जीवित होकर मसीह के साथ हजार वर्ष तक राज्य करते रहे। (दानि. 7:22) जब तक ये हजार वर्ष पूरे न हुए तब तक शेष मरे हुए न जी उठे। यह तो पहला पुनरुत्थान है।
[25] प्रकाशित वाक्य 6:9 जब उसने पाँचवी मुहर खोली, तो मैंने वेदी के नीचे उनके प्राणों को देखा, जो परमेश्वर के वचन के कारण, और उस गवाही के कारण जो उन्होंने दी थी, वध किए गए थे। और उन्होंने बड़े शब्द से पुकारकर कहा, “हे प्रभु, हे पवित्र, और सत्य; तू कब तक न्याय न करेगा? और पृथ्वी के रहनेवालों से हमारे लहू का पलटा कब तक न लेगा?” (प्रका. 16:5-6) और उनमें से हर एक को श्वेत वस्त्र दिया गया, और उनसे कहा गया, कि और थोड़ी देर तक विश्राम करो, जब तक कि तुम्हारे संगी दास और भाई जो तुम्हारे समान वध होनेवाले हैं, उनकी भी गिनती पूरी न हो ले।
[26] प्रकाशित वाक्य 19:15 जाति-जाति को मारने के लिये उसके मुँह से एक चोखी तलवार निकलती है, और वह लोहे का राजदण्ड लिए हुए उन पर राज्य करेगा, और वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर के भयानक प्रकोप की जलजलाहट की मदिरा के कुण्ड में दाख रौंदेगा। (प्रका. 2:27) और उसके वस्त्र और जाँघ पर यह नाम लिखा है: “राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु।” (1 तीमु. 6:15)
[27] प्रकाशित वाक्य 22:3 फिर श्राप न होगा, और परमेश्वर और मेम्ने का सिंहासन उस नगर में होगा, और उसके दास उसकी सेवा करेंगे। (जक. 14:11) वे उसका मुँह देखेंगे*, और उसका नाम उनके माथों पर लिखा हुआ होगा।
[28] इब्रानियों 10:19 इसलिए हे भाइयों, जब कि हमें यीशु के लहू के द्वारा उस नये और जीविते मार्ग से पवित्रस्थान में प्रवेश करने का साहस हो गया है, जो उसने परदे अर्थात् अपने शरीर में से होकर, हमारे लिये अभिषेक किया है,
[29] श्रेष्ठगीत 8:6 मुझे नगीने के समान अपने हृदय पर लगा रख, और ताबीज़ की समान अपनी बाँह पर रख; क्योंकि प्रेम मृत्यु के तुल्य सामर्थी है, और ईर्ष्या कब्र के समान निर्दयी है। उसकी ज्वाला अग्नि की दमक है वरन् परमेश्वर ही की ज्वाला है। (यशा. 49:16) पानी की बाढ़ से भी प्रेम नहीं बुझ सकता, और न महानदों से डूब सकता है। यदि कोई अपने घर की सारी सम्पत्ति प्रेम के बदले दे दे तो भी वह अत्यन्त तुच्छ ठहरेगी।
[30] अय्यूब 2:3 यहोवा ने शैतान से पूछा, “क्या तूने मेरे दास अय्यूब पर ध्यान दिया है कि पृथ्वी पर उसके तुल्य खरा और सीधा और मेरा भय माननेवाला और बुराई से दूर रहनेवाला मनुष्य और कोई नहीं है? और यद्यपि तूने मुझे उसको बिना कारण सत्यानाश करने को उभारा, तो भी वह अब तक अपनी खराई पर बना है।” (अय्यूब 1:8) शैतान ने यहोवा को उत्तर दिया, “खाल के बदले खाल, परन्तु प्राण के बदले मनुष्य अपना सब कुछ दे देता है। इसलिए केवल अपना हाथ बढ़ाकर उसकी हड्डियाँ और माँस छू, तब वह तेरे मुँह पर तेरी निन्दा करेगा।”
[31] उत्पत्ति 2:18 फिर यहोवा परमेश्वर ने कहा, “आदम का अकेला रहना अच्छा नहीं*; मैं उसके लिये एक ऐसा सहायक बनाऊँगा जो उसके लिये उपयुक्त होगा।” (1 कुरि. 11:9)
[32] मत्ती 16:24 तब यीशु ने अपने चेलों से कहा, “यदि कोई मेरे पीछे आना चाहे, तो अपने आप का इन्कार करे और अपना क्रूस उठाए, और मेरे पीछे हो ले। क्योंकि जो कोई अपना प्राण बचाना चाहे, वह उसे खोएगा; और जो कोई मेरे लिये अपना प्राण खोएगा, वह उसे पाएगा। यदि मनुष्य सारे जगत को प्राप्त करे, और अपने प्राण की हानि उठाए, तो उसे क्या लाभ होगा? या मनुष्य अपने प्राण के बदले में क्या देगा?
[33] इब्रानियों 7:11 तब यदि लेवीय याजक पद के द्वारा सिद्धि हो सकती है (जिसके सहारे से लोगों को व्यवस्था मिली थी) तो फिर क्या आवश्यकता थी, कि दूसरा याजक मलिकिसिदक की रीति पर खड़ा हो, और हारून की रीति का न कहलाए?
[34] 1पतरस 2:9 पर तुम एक चुना हुआ वंश, और राज-पदधारी, याजकों का समाज, और पवित्र लोग, और परमेश्वर की निज प्रजा हो, इसलिए कि जिसने तुम्हें अंधकार में से अपनी अद्भुत ज्योति में बुलाया है, उसके गुण प्रगट करो। (निर्ग. 19:5-6, व्य. 7:6, व्य. 14:2, यशा. 9:2, यशा. 43:20-21)
[35] इब्रानियों 4:15 क्योंकि हमारा ऐसा महायाजक नहीं, जो हमारी निर्बलताओं में हमारे साथ दुःखी न हो सके*; वरन् वह सब बातों में हमारे समान परखा तो गया, तो भी निष्पाप निकला। इसलिए आओ, हम अनुग्रह के सिंहासन के निकट साहस बाँधकर चलें, कि हम पर दया हो, और वह अनुग्रह पाएँ, जो आवश्यकता के समय हमारी सहायता करे।
[36] एज्रा 6:12 परमेश्वर जिस ने वहाँ अपने नाम का निवास ठहराया है, वह क्या राजा क्या प्रजा, उन सभी को जो यह आज्ञा टालने और परमेश्वर के भवन को जो यरूशलेम में है नाश करने के लिये हाथ बढ़ाएँ, नष्ट करे। मुझ दारा ने यह आज्ञा दी है फुर्ती से ऐसा ही करना।”
[37] 1यूहन्ना 1:1 उस जीवन के वचन के विषय में जो आदि से था*, जिसे हमने सुना, और जिसे अपनी आँखों से देखा, वरन् जिसे हमने ध्यान से देखा और हाथों से छुआ। (यह जीवन प्रगट हुआ, और हमने उसे देखा, और उसकी गवाही देते हैं, और तुम्हें उस अनन्त जीवन का समाचार देते हैं जो पिता के साथ था और हम पर प्रगट हुआ)।
[38] मत्ती 26:53 क्या तू नहीं समझता, कि मैं अपने पिता से विनती कर सकता हूँ, और वह स्वर्गदूतों की बारह सैन्य-दल से अधिक मेरे पास अभी उपस्थित कर देगा? परन्तु पवित्रशास्त्र की वे बातें कि ऐसा ही होना अवश्य है, कैसे पूरी होंगी?”
[39] फिलिप्पियों 2:8 और मनुष्य के रूप में प्रगट होकर अपने आप को दीन किया, और यहाँ तक आज्ञाकारी रहा कि मृत्यु, हाँ, क्रूस की मृत्यु भी सह ली। इस कारण परमेश्वर ने उसको अति महान भी किया, और उसको वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्ठ है,
[40] मत्ती 23:16 “हे अंधे अगुओं, तुम पर हाय, जो कहते हो कि यदि कोई मन्दिर की शपथ खाए तो कुछ नहीं, परन्तु यदि कोई मन्दिर के सोने की सौगन्ध खाए तो उससे बन्ध जाएगा। हे मूर्खों, और अंधों, कौन बड़ा है, सोना या वह मन्दिर जिससे सोना पवित्र होता है? फिर कहते हो कि यदि कोई वेदी की शपथ खाए तो कुछ नहीं, परन्तु जो भेंट उस पर है, यदि कोई उसकी शपथ खाए तो बन्ध जाएगा। हे अंधों, कौन बड़ा है, भेंट या वेदी जिससे भेंट पवित्र होती है? इसलिए जो वेदी की शपथ खाता है, वह उसकी, और जो कुछ उस पर है, उसकी भी शपथ खाता है। और जो मन्दिर की शपथ खाता है, वह उसकी और उसमें रहनेवालों की भी शपथ खाता है। और जो स्वर्ग की शपथ खाता है, वह परमेश्वर के सिंहासन की और उस पर बैठनेवाले की भी शपथ खाता है।
[41] इब्रानियों 5:7 यीशु ने अपनी देह में रहने के दिनों में ऊँचे शब्द से पुकार-पुकारकर, और आँसू बहा-बहाकर उससे जो उसको मृत्यु से बचा सकता था, प्रार्थनाएँ और विनती की और भक्ति के कारण उसकी सुनी गई।
[42] प्रकाशित वाक्य 1:17 जब मैंने उसे देखा, तो उसके पैरों पर मुर्दा सा गिर पड़ा* और उसने मुझ पर अपना दाहिना हाथ रखकर यह कहा, “मत डर; मैं प्रथम और अन्तिम हूँ, और जीवित भी मैं हूँ, (यशा. 44:6, दानि. 8:17) मैं मर गया था, और अब देख मैं युगानुयुग जीविता हूँ; और मृत्यु और अधोलोक की कुंजियाँ मेरे ही पास हैं। (रोम. 6:9, रोम. 14:9)
[43] मत्ती 28:18 यीशु ने उनके पास आकर कहा, “स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार* मुझे दिया गया है।
[44] मत्ती 12:28 पर यदि मैं परमेश्वर के आत्मा की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता हूँ, तो परमेश्वर का राज्य तुम्हारे पास आ पहुँचा है।
[45] प्रकाशित वाक्य 22:3 फिर श्राप न होगा, और परमेश्वर और मेम्ने का सिंहासन उस नगर में होगा, और उसके दास उसकी सेवा करेंगे। (जक. 14:11) वे उसका मुँह देखेंगे*, और उसका नाम उनके माथों पर लिखा हुआ होगा।
[46] प्रकाशित वाक्य 21:1 फिर मैंने नये आकाश और नयी पृथ्वी को देखा, क्योंकि पहला आकाश और पहली पृथ्वी जाती रही थी, और समुद्र भी न रहा। (यशा. 66:22) फिर मैंने पवित्र नगर नये यरूशलेम को स्वर्ग से परमेश्वर के पास से उतरते देखा, और वह उस दुल्हन के समान थी, जो अपने दुल्हे के लिये श्रृंगार किए हो।
[47] 1कुरिन्थियों 6:19 क्या तुम नहीं जानते, कि तुम्हारी देह पवित्र आत्मा का मन्दिर है*; जो तुम में बसा हुआ है और तुम्हें परमेश्वर की ओर से मिला है, और तुम अपने नहीं हो? क्योंकि दाम देकर मोल लिये गए हो, इसलिए अपनी देह के द्वारा परमेश्वर की महिमा करो।
[48] मरकुस 16:17 और विश्वास करनेवालों में ये चिन्ह होंगे कि वे मेरे नाम से दुष्टात्माओं को निकालेंगे; नई-नई भाषा बोलेंगे; साँपों को उठा लेंगे, और यदि वे प्राणनाशक वस्तु भी पी जाएँ तो भी उनकी कुछ हानि न होगी; वे बीमारों पर हाथ रखेंगे, और वे चंगे हो जाएँगे।”
[49] मत्ती 12:28 पर यदि मैं परमेश्वर के आत्मा की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता हूँ, तो परमेश्वर का राज्य तुम्हारे पास आ पहुँचा है।
[50] यूहन्ना 11:39 यीशु ने कहा, “पत्थर को उठाओ।” उस मरे हुए की बहन मार्था उससे कहने लगी, “हे प्रभु, उसमें से अब तो दुर्गन्ध आती है, क्योंकि उसे मरे चार दिन हो गए।” यीशु ने उससे कहा, “क्या मैंने तुझ से न कहा था कि यदि तू विश्वास करेगी, तो परमेश्वर की महिमा को देखेगी।”
[51] भजन संहिता 89:14 तेरे सिंहासन का मूल, धर्म और न्याय है; करुणा और सच्चाई तेरे आगे-आगे चलती है।
[52] 1तीमुथियुस 3:16 और इसमें सन्देह नहीं कि भक्ति का भेद* गम्भीर है, अर्थात्, वह जो शरीर में प्रगट हुआ, आत्मा में धर्मी ठहरा, स्वर्गदूतों को दिखाई दिया, अन्यजातियों में उसका प्रचार हुआ, जगत में उस पर विश्वास किया गया, और महिमा में ऊपर उठाया गया।
[53] प्रकाशित वाक्य 3:21 जो जय पाए, मैं उसे अपने साथ अपने सिंहासन पर बैठाऊँगा, जैसा मैं भी जय पा कर अपने पिता के साथ उसके सिंहासन पर बैठ गया।
[54] मत्ती 12:28 पर यदि मैं परमेश्वर के आत्मा की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता हूँ, तो परमेश्वर का राज्य तुम्हारे पास आ पहुँचा है।
[55] इब्रानियों 1:14 क्या वे सब परमेश्वर की सेवा टहल करनेवाली आत्माएँ नहीं; जो उद्धार पानेवालों के लिये सेवा करने को भेजी जाती हैं? (भज. 103:20-21)
[56] प्रकाशित वाक्य 22:8 मैं वही यूहन्ना हूँ, जो ये बातें सुनता, और देखता था। और जब मैंने सुना और देखा, तो जो स्वर्गदूत मुझे ये बातें दिखाता था, मैं उसके पाँवों पर दण्डवत् करने के लिये गिर पड़ा। पर उसने मुझसे कहा, “देख, ऐसा मत कर; क्योंकि मैं तेरा और तेरे भाई भविष्यद्वक्ताओं और इस पुस्तक की बातों के माननेवालों का संगी दास हूँ, परमेश्वर ही को आराधना कर।”
[57] इब्रानियों 10:12 पर यह व्यक्ति तो पापों के बदले एक ही बलिदान सर्वदा के लिये चढ़ाकर परमेश्वर के दाहिने जा बैठा। और उसी समय से इसकी प्रतीक्षा कर रहा है, कि उसके बैरी उसके पाँवों के नीचे की चौकी बनें। (भज. 110:1)
[58] 1यूहन्ना 5:20 और यह भी जानते हैं, कि परमेश्वर का पुत्र आ गया है और उसने हमें समझ दी है, कि हम उस सच्चे को पहचानें, और हम उसमें जो सत्य है, अर्थात् उसके पुत्र यीशु मसीह में रहते हैं। सच्चा परमेश्वर और अनन्त जीवन यही है।
[59] मत्ती 12:28 पर यदि मैं परमेश्वर के आत्मा की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता हूँ, तो परमेश्वर का राज्य तुम्हारे पास आ पहुँचा है।
[60] मरकुस 16:17 और विश्वास करनेवालों में ये चिन्ह होंगे कि वे मेरे नाम से दुष्टात्माओं को निकालेंगे; नई-नई भाषा बोलेंगे; साँपों को उठा लेंगे, और यदि वे प्राणनाशक वस्तु भी पी जाएँ तो भी उनकी कुछ हानि न होगी; वे बीमारों पर हाथ रखेंगे, और वे चंगे हो जाएँगे।”
[61] फिलिप्पियों 2:9 इस कारण परमेश्वर ने उसको अति महान भी किया, और उसको वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्ठ है, कि जो स्वर्ग में और पृथ्वी पर और जो पृथ्वी के नीचे है; वे सब यीशु के नाम पर घुटना टेकें*, और परमेश्वर पिता की महिमा के लिये हर एक जीभ अंगीकार कर ले कि यीशु मसीह ही प्रभु है।
[62] 2कुरिन्थियों 3:3 यह प्रगट है, कि तुम मसीह की पत्री हो, जिसको हमने सेवकों के समान लिखा; और जो स्याही से नहीं, परन्तु जीविते परमेश्वर के आत्मा से पत्थर की पटियों पर नहीं, परन्तु हृदय की माँस रूपी पटियों पर लिखी है। (निर्ग. 24:12, यिर्म. 31:33, यहे. 11:19-20)
[63] यूहन्ना 14:17 अर्थात् सत्य की आत्मा, जिसे संसार ग्रहण नहीं कर सकता, क्योंकि वह न उसे देखता है और न उसे जानता है: तुम उसे जानते हो, क्योंकि वह तुम्हारे साथ रहता है, और वह तुम में होगा।
[64] यूहन्ना 3:5 यीशु ने उत्तर दिया, “मैं तुझ से सच-सच कहता हूँ, जब तक कोई मनुष्य जल और आत्मा से न जन्मे* तो वह परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकता। क्योंकि जो शरीर से जन्मा है, वह शरीर है; और जो आत्मा से जन्मा है, वह आत्मा है। अचम्भा न कर, कि मैंने तुझ से कहा, ‘तुझे नये सिरे से जन्म लेना अवश्य है।’
[65] गलातियों 5:16 पर मैं कहता हूँ, आत्मा के अनुसार चलो, तो तुम शरीर की लालसा किसी रीति से पूरी न करोगे। क्योंकि शरीर आत्मा के विरोध में* और आत्मा शरीर के विरोध में लालसा करता है, और ये एक दूसरे के विरोधी हैं; इसलिए कि जो तुम करना चाहते हो वह न करने पाओ। और यदि तुम आत्मा के चलाए चलते हो तो व्यवस्था के अधीन न रहे।
[66] गलातियों 5:22 पर आत्मा का फल प्रेम, आनन्द, शान्ति, धीरज, और दया, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम हैं; ऐसे-ऐसे कामों के विरोध में कोई व्यवस्था नहीं।
[67] इब्रानियों 8:10 फिर प्रभु कहता है, कि जो वाचा मैं उन दिनों के बाद इस्राएल के घराने के साथ बाँधूँगा, वह यह है, कि मैं अपनी व्यवस्था को उनके मनों में डालूँगा, और उसे उनके हृदय पर लिखूँगा, और मैं उनका परमेश्वर ठहरूँगा, और वे मेरे लोग ठहरेंगे।
[68] लूका 20:13 तब दाख की बारी के स्वामी ने कहा, ‘मैं क्या करूँ? मैं अपने प्रिय पुत्र को भेजूँगा, क्या जाने वे उसका आदर करें।’ जब किसानों ने उसे देखा तो आपस में विचार करने लगे, ‘यह तो वारिस है; आओ, हम उसे मार डालें, कि विरासत हमारी हो जाए।’ और उन्होंने उसे दाख की बारी से बाहर निकालकर मार डाला: इसलिए दाख की बारी का स्वामी उनके साथ क्या करेगा?
[69] प्रेरितों के काम 2:36 अतः अब इस्राएल का सारा घराना निश्चय जान ले कि परमेश्वर ने उसी यीशु को जिसे तुम ने क्रूस पर चढ़ाया, प्रभु भी ठहराया और मसीह भी।”
[70] इब्रानियों 10:12 पर यह व्यक्ति तो पापों के बदले एक ही बलिदान सर्वदा के लिये चढ़ाकर परमेश्वर के दाहिने जा बैठा। और उसी समय से इसकी प्रतीक्षा कर रहा है, कि उसके बैरी उसके पाँवों के नीचे की चौकी बनें। (भज. 110:1)
[71] मत्ती 16:16 शमौन पतरस ने उत्तर दिया, “तू जीविते परमेश्वर का पुत्र मसीह है।” यीशु ने उसको उत्तर दिया, “हे शमौन, योना के पुत्र, तू धन्य है; क्योंकि माँस और लहू ने नहीं, परन्तु मेरे पिता ने जो स्वर्ग में है, यह बात तुझ पर प्रगट की है। और मैं भी तुझ से कहता हूँ, कि तू पतरस* है, और मैं इस पत्थर पर अपनी कलीसिया बनाऊँगा, और अधोलोक के फाटक उस पर प्रबल न होंगे।
[72] प्रेरितों के काम 3:6 तब पतरस ने कहा, “चाँदी और सोना तो मेरे पास है नहीं; परन्तु जो मेरे पास है, वह तुझे देता हूँ; यीशु मसीह नासरी के नाम से चल फिर।” और उसने उसका दाहिना हाथ पकड़ के उसे उठाया; और तुरन्त उसके पाँवों और टखनों में बल आ गया। और वह उछलकर खड़ा हो गया, और चलने-फिरने लगा; और चलता, और कूदता, और परमेश्वर की स्तुति करता हुआ उनके साथ मन्दिर में गया।
[73] मत्ती 12:28 पर यदि मैं परमेश्वर के आत्मा की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता हूँ, तो परमेश्वर का राज्य तुम्हारे पास आ पहुँचा है।
[74] इब्रानियों 1:14 क्या वे सब परमेश्वर की सेवा टहल करनेवाली आत्माएँ नहीं; जो उद्धार पानेवालों के लिये सेवा करने को भेजी जाती हैं? (भज. 103:20-21)
[75] रोमियो 14:17 क्योंकि परमेश्वर का राज्य खाना-पीना नहीं; परन्तु धार्मिकता और मिलाप और वह आनन्द है जो पवित्र आत्मा से होता है।
[76] प्रकाशित वाक्य 1:1 यीशु मसीह का प्रकाशितवाक्य, जो उसे परमेश्वर ने इसलिए दिया कि अपने दासों को वे बातें, जिनका शीघ्र होना अवश्य है, दिखाए: और उसने अपने स्वर्गदूत को भेजकर उसके द्वारा अपने दास यूहन्ना को बताया, (प्रका. 22:6) जिसने परमेश्वर के वचन और यीशु मसीह की गवाही, अर्थात् जो कुछ उसने देखा था उसकी गवाही दी।
[77] प्रकाशित वाक्य 20:5 जब तक ये हजार वर्ष पूरे न हुए तब तक शेष मरे हुए न जी उठे। यह तो पहला पुनरुत्थान है। धन्य और पवित्र वह है, जो इस पहले पुनरुत्थान का भागी है, ऐसों पर दूसरी मृत्यु का कुछ भी अधिकार नहीं, पर वे परमेश्वर और मसीह के याजक होंगे, और उसके साथ हजार वर्ष तक राज्य करेंगे।
[78] इफिसियों 4:6 और सब का एक ही परमेश्वर और पिता है*, जो सब के ऊपर और सब के मध्य में, और सब में है।
[79] कुलुस्सियों 1:16 क्योंकि उसी में सारी वस्तुओं की सृष्टि हुई, स्वर्ग की हो अथवा पृथ्वी की, देखी या अनदेखी, क्या सिंहासन, क्या प्रभुताएँ, क्या प्रधानताएँ, क्या अधिकार, सारी वस्तुएँ उसी के द्वारा और उसी के लिये सृजी गई हैं। और वही सब वस्तुओं में प्रथम है, और सब वस्तुएँ उसी में स्थिर रहती हैं। (प्रका. 1:8)
[80] यूहन्ना 3:35 पिता पुत्र से प्रेम रखता है, और उसने सब वस्तुएँ उसके हाथ में दे दी हैं। जो पुत्र पर विश्वास करता है, अनन्त जीवन उसका है; परन्तु जो पुत्र की नहीं मानता, वह जीवन को नहीं देखेगा, परन्तु परमेश्वर का क्रोध उस पर रहता है।”
[81] फिलिप्पियों 2:6 जिसने परमेश्वर के स्वरूप में होकर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा।
[82] यूहन्ना 1:1 आदि में* वचन था, और वचन परमेश्वर के साथ था, और वचन परमेश्वर था।
[83] 1कुरिन्थियों 8:6 तो भी हमारे निकट तो एक ही परमेश्वर है: अर्थात् पिता जिसकी ओर से सब वस्तुएँ हैं, और हम उसी के लिये हैं, और एक ही प्रभु है, अर्थात् यीशु मसीह जिसके द्वारा सब वस्तुएँ हुई, और हम भी उसी के द्वारा हैं। (यूह. 1:3, रोम. 11:36)
[84] यूहन्ना 10:29 मेरा पिता, जिस ने उन्हें मुझ को दिया है, सबसे बड़ा है, और कोई उन्हें पिता के हाथ से छीन नहीं सकता। मैं और पिता एक हैं।”
[85] इब्रानियों 13:8 यीशु मसीह कल और आज और युगानुयुग एक जैसा है। (भज. 90: 2, प्रका. 1:8, यशा. 41:4)
[86] लूका 20:13 तब दाख की बारी के स्वामी ने कहा, ‘मैं क्या करूँ? मैं अपने प्रिय पुत्र को भेजूँगा, क्या जाने वे उसका आदर करें।’ जब किसानों ने उसे देखा तो आपस में विचार करने लगे, ‘यह तो वारिस है; आओ, हम उसे मार डालें, कि विरासत हमारी हो जाए।’
[87] मत्ती 28:18 यीशु ने उनके पास आकर कहा, “स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार* मुझे दिया गया है।
[88] 1पतरस 3:22 वह स्वर्ग पर जाकर परमेश्वर के दाहिनी ओर है; और स्वर्गदूतों, अधिकारियों और सामर्थियों को उसके अधीन किए गए हैं। (इफि. 1:20-21, भज. 110:1)
[89] अय्यूब 2:6 यहोवा ने शैतान से कहा, “सुन, वह तेरे हाथ में है, केवल उसका प्राण छोड़ देना*।” (2 कुरि. 10:3)
[90] यूहन्ना 5:26 क्योंकि जिस रीति से पिता अपने आप में जीवन रखता है, उसी रीति से उसने पुत्र को भी यह अधिकार दिया है कि अपने आप में जीवन रखे; वरन् उसे न्याय करने का भी अधिकार दिया है, इसलिए कि वह मनुष्य का पुत्र है।
[91] यूहन्ना 10:17 पिता इसलिए मुझसे प्रेम रखता है, कि मैं अपना प्राण देता हूँ, कि उसे फिर ले लूँ। कोई उसे मुझसे छीनता नहीं*, वरन् मैं उसे आप ही देता हूँ। मुझे उसके देने का अधिकार है, और उसे फिर लेने का भी अधिकार है। यह आज्ञा मेरे पिता से मुझे मिली है।”
[92] यूहन्ना 12:48 जो मुझे तुच्छ जानता है* और मेरी बातें ग्रहण नहीं करता है उसको दोषी ठहरानेवाला तो एक है: अर्थात् जो वचन मैंने कहा है, वह अन्तिम दिन में उसे दोषी ठहराएगा।
[93] यूहन्ना 12:31 अब इस जगत का न्याय होता है, अब इस जगत का सरदार* निकाल दिया जाएगा। और मैं यदि पृथ्वी पर से ऊँचे पर चढ़ाया जाऊँगा, तो सब को अपने पास खीचूँगा।”
[94] तीतुस 2:14 जिस ने अपने आप को हमारे लिये दे दिया, कि हमें हर प्रकार के अधर्म से छुड़ा ले, और शुद्ध करके अपने लिये एक ऐसी जाति बना ले जो भले-भले कामों में सरगर्म हो। (निर्ग. 19:5, व्य. 4:20, व्य. 7:6, व्य. 14:2, भज. 72:14, भज. 130:8, यहे. 37:23)
[95] 1यूहन्ना 1:1 उस जीवन के वचन के विषय में जो आदि से था*, जिसे हमने सुना, और जिसे अपनी आँखों से देखा, वरन् जिसे हमने ध्यान से देखा और हाथों से छुआ। (यह जीवन प्रगट हुआ, और हमने उसे देखा, और उसकी गवाही देते हैं, और तुम्हें उस अनन्त जीवन का समाचार देते हैं जो पिता के साथ था और हम पर प्रगट हुआ)।
[96] सभोपदेशक 8:11 बुरे काम के दण्ड की आज्ञा फुर्ती से नहीं दी जाती; इस कारण मनुष्यों का मन बुरा काम करने की इच्छा से भरा रहता है।
[97] मत्ती 25:45 तब वह उन्हें उत्तर देगा, ‘मैं तुम से सच कहता हूँ कि तुम ने जो इन छोटे से छोटों में से किसी एक के साथ नहीं किया, वह मेरे साथ भी नहीं किया।’
[98] यूहन्ना 5:22 पिता किसी का न्याय भी नहीं करता, परन्तु न्याय करने का सब काम पुत्र को सौंप दिया है, इसलिए कि सब लोग जैसे पिता का आदर करते हैं वैसे ही पुत्र का भी आदर करें; जो पुत्र का आदर नहीं करता, वह पिता का जिसने उसे भेजा है, आदर नहीं करता।
[99] मरकुस 15:12 यह सुन पिलातुस ने उनसे फिर पूछा, “तो जिसे तुम यहूदियों का राजा कहते हो, उसको मैं क्या करूँ?” वे फिर चिल्लाए, “उसे क्रूस पर चढ़ा दे!” पिलातुस ने उनसे कहा, “क्यों, इसने क्या बुराई की है?” परन्तु वे और भी चिल्लाए, “उसे क्रूस पर चढ़ा दे।”
[100] मत्ती 10:16 “देखो, मैं तुम्हें भेड़ों की तरह भेड़ियों के बीच में भेजता हूँ इसलिए साँपों की तरह बुद्धिमान और कबूतरों की तरह भोले बनो। परन्तु लोगों से सावधान रहो, क्योंकि वे तुम्हें सभाओं में सौंपेंगे, और अपने आराधनालयों में तुम्हें कोड़े मारेंगे। तुम मेरे लिये राज्यपालों और राजाओं के सामने उन पर, और अन्यजातियों पर गवाह होने के लिये पेश किये जाओगे।
[101] रोमियो 8:35 कौन हमको मसीह के प्रेम से अलग करेगा? क्या क्लेश, या संकट, या उपद्रव, या अकाल, या नंगाई, या जोखिम, या तलवार? जैसा लिखा है, “तेरे लिये हम दिन भर मार डाले जाते हैं; हम वध होनेवाली भेड़ों के समान गिने गए हैं।” (भज. 44:22) परन्तु इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिस ने हम से प्रेम किया है, विजेता से भी बढ़कर हैं।
[102] इब्रानियों 11:35 स्त्रियों ने अपने मरे हुओं को फिर जीविते पाया; कितने तो मार खाते-खाते मर गए; और छुटकारा न चाहा; इसलिए कि उत्तम पुनरुत्थान के भागी हों। दूसरे लोग तो उपहास में उड़ाएँ जाने; और कोड़े खाने; वरन् बाँधे जाने; और कैद में पड़ने के द्वारा परखे गए। पत्थराव किए गए; आरे से चीरे गए; उनकी परीक्षा की गई; तलवार से मारे गए; वे कंगाली में और क्लेश में और दुःख भोगते हुए भेड़ों और बकरियों की खालें ओढ़े हुए, इधर-उधर मारे-मारे फिरे।
[103] मत्ती 16:24 तब यीशु ने अपने चेलों से कहा, “यदि कोई मेरे पीछे आना चाहे, तो अपने आप का इन्कार करे और अपना क्रूस उठाए, और मेरे पीछे हो ले। क्योंकि जो कोई अपना प्राण बचाना चाहे, वह उसे खोएगा; और जो कोई मेरे लिये अपना प्राण खोएगा, वह उसे पाएगा। यदि मनुष्य सारे जगत को प्राप्त करे, और अपने प्राण की हानि उठाए, तो उसे क्या लाभ होगा? या मनुष्य अपने प्राण के बदले में क्या देगा?
[104] प्रकाशित वाक्य 20:12 फिर मैंने छोटे बड़े सब मरे हुओं को सिंहासन के सामने खड़े हुए देखा, और पुस्तकें खोली गई; और फिर एक और पुस्तक खोली गईं, अर्थात् जीवन की पुस्तक*; और जैसे उन पुस्तकों में लिखा हुआ था, उनके कामों के अनुसार मरे हुओं का न्याय किया गया। (दानि. 7:10) और समुद्र ने उन मरे हुओं को जो उसमें थे दे दिया, और मृत्यु और अधोलोक ने उन मरे हुओं को जो उनमें थे दे दिया; और उनमें से हर एक के कामों के अनुसार उनका न्याय किया गया।
[105] 1यूहन्ना 2:1 मेरे प्रिय बालकों, मैं ये बातें तुम्हें इसलिए लिखता हूँ, कि तुम पाप न करो; और यदि कोई पाप करे तो पिता के पास हमारा एक सहायक है, अर्थात् धर्मी यीशु मसीह।
[106] यूहन्ना 7:39 उसने यह वचन उस आत्मा के विषय में कहा, जिसे उस पर विश्वास करनेवाले पाने पर थे; क्योंकि आत्मा अब तक न उतरा था, क्योंकि यीशु अब तक अपनी महिमा को न पहुँचा था। (यशा. 44:3)
[107] 1कुरिन्थियों 12:13 क्योंकि हम सब ने क्या यहूदी हो, क्या यूनानी, क्या दास, क्या स्वतंत्र एक ही आत्मा के द्वारा* एक देह होने के लिये बपतिस्मा लिया, और हम सब को एक ही आत्मा पिलाया गया।
[108] लूका 22:22 क्योंकि मनुष्य का पुत्र तो जैसा उसके लिये ठहराया गया, जाता ही है, पर हाय उस मनुष्य पर, जिसके द्वारा वह पकड़वाया जाता है!” तब वे आपस में पूछ-ताछ करने लगे, “हम में से कौन है, जो यह काम करेगा?” उनमें यह वाद-विवाद भी हुआ; कि हम में से कौन बड़ा समझा जाता है?
[109] 1यूहन्ना 4:7 हे प्रियों, हम आपस में प्रेम रखें; क्योंकि प्रेम परमेश्वर से है और जो कोई प्रेम करता है, वह परमेश्वर से जन्मा है और परमेश्वर को जानता है।
[110] यशायाह 59:19 तब पश्चिम की ओर लोग यहोवा के नाम का, और पूर्व की ओर उसकी महिमा का भय मानेंगे; क्योंकि जब शत्रु महानद के समान चढ़ाई करेंगे तब यहोवा का आत्मा उसके विरुद्ध झण्डा खड़ा करेगा। (मत्ती 8:11, लूका 13:29, भज. 102:15-16, 113:3)
[111] यूहन्ना 17:24 हे पिता, मैं चाहता हूँ कि जिन्हें तूने मुझे दिया है, जहाँ मैं हूँ, वहाँ वे भी मेरे साथ हों कि वे मेरी उस महिमा को देखें जो तूने मुझे दी है, क्योंकि तूने जगत की उत्पत्ति से पहले मुझसे प्रेम रखा। (यूह. 14:3)
[112] यूहन्ना 17:5 और अब, हे पिता, तू अपने साथ मेरी महिमा उस महिमा से कर जो जगत की सृष्टि पहले, मेरी तेरे साथ थी।
[113] यशायाह 18:7 उस समय जिस जाति के लोग बलिष्ठ और सुन्दर हैं, और जो आदि ही से डरावने होते आए हैं, और जो सामर्थी और रौंदनेवाले हैं, और जिनका देश नदियों से विभाजित किया हुआ है, उस जाति से सेनाओं के यहोवा के नाम के स्थान सिय्योन पर्वत पर सेनाओं के यहोवा के पास भेंट पहुँचाई जाएगी।
[114] भजन संहिता 102:15 इसलिए जाति-जाति यहोवा के नाम का भय मानेंगी, और पृथ्वी के सब राजा तेरे प्रताप से डरेंगे।
[115] यशायाह 43:7 हर एक को जो मेरा कहलाता है, जिसको मैंने अपनी महिमा के लिये सृजा, जिसको मैंने रचा और बनाया है।”
[116] भजन संहिता 148:13 यहोवा के नाम की स्तुति करो, क्योंकि केवल उसकी का नाम महान है; उसका ऐश्वर्य पृथ्वी और आकाश के ऊपर है।
[117] यिर्मयाह 14:21 अपने नाम के निमित्त हमें न ठुकरा; अपने तेजोमय सिंहासन का अपमान न कर; जो वाचा तूने हमारे साथ बाँधी, उसे स्मरण कर और उसे न तोड़।
[118] यशायाह 42:8 मैं यहोवा हूँ, मेरा नाम यही है; अपनी महिमा मैं दूसरे को न दूँगा और जो स्तुति मेरे योग्य है वह खुदी हुई मूरतों को न दूँगा*।
[119] लूका 19:38 “धन्य है वह राजा, जो प्रभु के नाम से आता है! स्वर्ग में शान्ति और आकाश में महिमा हो!” (भज. 72:18-19, भज. 118:26)
यूहन्ना 5:43 मैं अपने पिता परमेश्वर के नाम से आया हूँ, और तुम मुझे ग्रहण नहीं करते; यदि कोई और अपने ही नाम से आए, तो उसे ग्रहण कर लोगे।
[120] यूहन्ना 12:28 हे पिता अपने नाम की महिमा कर।” तब यह आकाशवाणी हुई, “मैंने उसकी महिमा की है, और फिर भी करूँगा।”
[121] रोमियो 8:30 फिर जिन्हें उनसे पहले से ठहराया, उन्हें बुलाया भी, और जिन्हें बुलाया, उन्हें धर्मी भी ठहराया है, और जिन्हें धर्मी ठहराया, उन्हें महिमा भी दी है।
[122] रोमियो 8:11 और यदि उसी का आत्मा जिसने यीशु को मरे हुओं में से जिलाया तुम में बसा हुआ है; तो जिस ने मसीह को मरे हुओं में से जिलाया, वह तुम्हारी मरनहार देहों को भी अपने आत्मा के द्वारा जो तुम में बसा हुआ है जिलाएगा।
[123] रोमियो 8:17 और यदि सन्तान हैं, तो वारिस भी, वरन् परमेश्वर के वारिस* और मसीह के संगी वारिस हैं, जब हम उसके साथ दुःख उठाए तो उसके साथ महिमा भी पाएँ। क्योंकि मैं समझता हूँ, कि इस समय के दुःख और क्लेश उस महिमा के सामने, जो हम पर प्रगट होनेवाली है, कुछ भी नहीं हैं।
[124] 1पतरस 4:13 पर जैसे-जैसे मसीह के दुःखों में सहभागी होते हो, आनन्द करो*, जिससे उसकी महिमा के प्रगट होते समय भी तुम आनन्दित और मगन हो। फिर यदि मसीह के नाम के लिये तुम्हारी निन्दा की जाती है, तो धन्य हो; क्योंकि महिमा की आत्मा, जो परमेश्वर की आत्मा है, तुम पर छाया करती है। (मत्ती 5:11-12)
[125] 1कुरिन्थियों 12:13 क्योंकि हम सब ने क्या यहूदी हो, क्या यूनानी, क्या दास, क्या स्वतंत्र एक ही आत्मा के द्वारा* एक देह होने के लिये बपतिस्मा लिया, और हम सब को एक ही आत्मा पिलाया गया।
[126] याकूब 3:17 पर जो ज्ञान ऊपर से आता है वह पहले तो पवित्र होता है फिर मिलनसार, कोमल और मृदुभाव और दया, और अच्छे फलों से लदा हुआ और पक्षपात और कपटरहित होता है।
[127] फिलिप्पियों 4:2 मैं यूओदिया से निवेदन करता हूँ, और सुन्तुखे से भी, कि वे प्रभु में एक मन रहें।
[128] गलातियों 3:28 अब न कोई यहूदी रहा और न यूनानी; न कोई दास, न स्वतंत्र; न कोई नर, न नारी; क्योंकि तुम सब मसीह यीशु में एक हो।
[129] इफिसियों 4:13 जब तक कि हम सब के सब विश्वास, और परमेश्वर के पुत्र की पहचान में एक न हो जाएँ, और एक सिद्ध मनुष्य न बन जाएँ और मसीह के पूरे डील-डौल तक न बढ़ जाएँ।
[130] रोमियो 14:6 जो किसी दिन को मानता है, वह प्रभु के लिये मानता है: जो खाता है, वह प्रभु के लिये खाता है, क्योंकि वह परमेश्वर का धन्यवाद करता है, और जो नहीं खाता, वह प्रभु के लिये नहीं खाता और परमेश्वर का धन्यवाद करता है। क्योंकि हम में से न तो कोई अपने लिये जीता है, और न कोई अपने लिये मरता है। क्योंकि यदि हम जीवित हैं, तो प्रभु के लिये जीवित हैं*; और यदि मरते हैं, तो प्रभु के लिये मरते हैं; फिर हम जीएँ या मरें, हम प्रभु ही के हैं।
[131] 1कुरिन्थियों 15:24 इसके बाद अन्त होगा; उस समय वह सारी प्रधानता और सारा अधिकार और सामर्थ्य का अन्त करके राज्य को परमेश्वर पिता के हाथ में सौंप देगा। (दानि. 2:44)
[132] 1कुरिन्थियों 15:28 और जब सब कुछ उसके अधीन हो जाएगा, तो पुत्र आप भी उसके अधीन हो जाएगा जिस ने सब कुछ उसके अधीन कर दिया; ताकि सब में परमेश्वर ही सब कुछ हो।
[133] रोमियो 8:38 क्योंकि मैं निश्चय जानता हूँ, कि न मृत्यु, न जीवन, न स्वर्गदूत, न प्रधानताएँ, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ्य, न ऊँचाई, न गहराई और न कोई और सृष्टि, हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी।[time=creature][space=creature]
[134] इब्रानियों 13:8 यीशु मसीह कल और आज और युगानुयुग एक जैसा है। (भज. 90: 2, प्रका. 1:8, यशा. 41:4)
[135] याकूब 1:17 क्योंकि हर एक अच्छा वरदान और हर एक उत्तम दान ऊपर ही से है, और ज्योतियों के पिता की ओर से मिलता है, जिसमें न तो कोई परिवर्तन हो सकता है, और न ही वह परछाई के समान बदलता है।
[136] अय्यूब 38:4 “जब मैंने पृथ्वी की नींव डाली, तब तू कहाँ था? यदि तू समझदार हो तो उत्तर दे।
[137] दानिय्येल 7:9 “मैंने देखते-देखते अन्त में क्या देखा, कि सिंहासन रखे गए, और कोई अति प्राचीन विराजमान हुआ; उसका वस्त्र हिम-सा उजला, और सिर के बाल निर्मल ऊन के समान थे; उसका सिंहासन अग्निमय और उसके पहिये धधकती हुई आग के से देख पड़ते थे। (प्रका. 1:14) उस प्राचीन के सम्मुख से आग की धारा निकलकर बह रही थी; फिर हजारों हज़ार लोग उसकी सेवा टहल कर रहे थे, और लाखों-लाख लोग उसके सामने हाज़िर थे; फिर न्यायी बैठ गए, और पुस्तकें खोली गईं। (प्रका. 20:11-12)
[138] मत्ती 1:21 वह पुत्र जनेगी और तू उसका नाम यीशु* रखना, क्योंकि वह अपने लोगों का उनके पापों से उद्धार करेगा।”
[139] उत्पत्ति 1:26 फिर परमेश्वर ने कहा, “हम मनुष्य* को अपने स्वरूप के अनुसार* अपनी समानता में बनाएँ; और वे समुद्र की मछलियों, और आकाश के पक्षियों, और घरेलू पशुओं, और सारी पृथ्वी पर, और सब रेंगनेवाले जन्तुओं पर जो पृथ्वी पर रेंगते हैं, अधिकार रखें।” (याकू. 3:9)
[140] 1कुरिन्थियों 15:25 क्योंकि जब तक कि वह अपने बैरियों को अपने पाँवों तले न ले आए, तब तक उसका राज्य करना अवश्य है। (भज. 110:1) सबसे अन्तिम बैरी जो नाश किया जाएगा वह मृत्यु है*।
[141] उत्पत्ति 2:1 इस तरह आकाश और पृथ्वी और उनकी सारी सेना का बनाना समाप्त हो गया। और परमेश्वर ने अपना काम जिसे वह करता था सातवें दिन समाप्त किया, और उसने अपने किए हुए सारे काम से सातवें दिन विश्राम किया।* (इब्रा. 4:4)
[142] प्रकाशित वाक्य 21:4 और वह उनकी आँखों से सब आँसू पोंछ डालेगा*; और इसके बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहली बातें जाती रहीं।” (यशा. 25:8) और जो सिंहासन पर बैठा था, उसने कहा, “मैं सब कुछ नया कर देता हूँ*।” फिर उसने कहा, “लिख ले, क्योंकि ये वचन विश्वासयोग्य और सत्य हैं।” (यशा. 42:9)
[143] यूहन्ना 17:21 कि वे सब एक हों; जैसा तू हे पिता मुझ में हैं, और मैं तुझ में हूँ, वैसे ही वे भी हम में हों, इसलिए कि जगत विश्वास करे, कि तू ही ने मुझे भेजा।
[144] यूहन्ना 14:20 उस दिन तुम जानोगे, कि मैं अपने पिता में हूँ, और तुम मुझ में, और मैं तुम में।
[145] यहेजकेल 33:18 जब धर्मी अपने धर्म से फिरकर कुटिल काम करने लगे, तब निश्चय वह उनमें फँसा हुआ मर जाएगा। जब दुष्ट अपनी दुष्टता से फिरकर न्याय और धर्म के काम करने लगे, तब वह उनके कारण जीवित रहेगा। तो भी तुम कहते हो कि प्रभु की चाल ठीक नहीं? हे इस्राएल के घराने, मैं हर एक व्यक्ति का न्याय उसकी चाल ही के अनुसार करूँगा।”
[146] 1कुरिन्थियों 3:9 क्योंकि हम परमेश्वर के सहकर्मी हैं; तुम परमेश्वर की खेती और परमेश्वर के भवन हो।
[147] मत्ती 6:10 ‘तेरा राज्य आए*। तेरी इच्छा जैसे स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे पृथ्वी पर भी हो।
[148] कुलुस्सियों 1:24 अब मैं उन दुःखों के कारण आनन्द करता हूँ, जो तुम्हारे लिये उठाता हूँ, और मसीह के क्लेशों की घटी उसकी देह के लिये, अर्थात् कलीसिया के लिये, अपने शरीर में पूरी किए देता हूँ,
[149] यूहन्ना 1:1 आदि में* वचन था, और वचन परमेश्वर के साथ था, और वचन परमेश्वर था।
[150] 1पतरस 1:23 क्योंकि तुम ने नाशवान नहीं पर अविनाशी बीज से परमेश्वर के जीविते और सदा ठहरनेवाले वचन के द्वारा नया जन्म पाया है।
[151] यूहन्ना 16:13 परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा, परन्तु जो कुछ सुनेगा, वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा।
[152] यूहन्ना 14:17 अर्थात् सत्य की आत्मा, जिसे संसार ग्रहण नहीं कर सकता, क्योंकि वह न उसे देखता है और न उसे जानता है: तुम उसे जानते हो, क्योंकि वह तुम्हारे साथ रहता है, और वह तुम में होगा।
[153] मत्ती 28:19 इसलिए तुम जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ; और उन्हें पिता, और पुत्र, और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो,
प्रेरितों के काम 2:38 पतरस ने उनसे कहा, “मन फिराओ, और तुम में से हर एक अपने-अपने पापों की क्षमा के लिये यीशु मसीह के नाम से बपतिस्मा ले; तो तुम पवित्र आत्मा का दान पाओगे।
[154] यूहन्ना 7:37 फिर पर्व के अन्तिम दिन, जो मुख्य दिन है, यीशु खड़ा हुआ और पुकारकर कहा, “यदि कोई प्यासा हो तो मेरे पास आए और पीए। (यशा. 55:1) जो मुझ पर विश्वास करेगा*, जैसा पवित्रशास्त्र में आया है, ‘उसके हृदय में से जीवन के जल की नदियाँ बह निकलेंगी’।” उसने यह वचन उस आत्मा के विषय में कहा, जिसे उस पर विश्वास करनेवाले पाने पर थे; क्योंकि आत्मा अब तक न उतरा था, क्योंकि यीशु अब तक अपनी महिमा को न पहुँचा था। (यशा. 44:3)
[155] यूहन्ना 6:55 क्योंकि मेरा माँस वास्तव में खाने की वस्तु है और मेरा लहू वास्तव में पीने की वस्तु है। जो मेरा माँस खाता और मेरा लहू पीता है, वह मुझ में स्थिर बना रहता है*, और मैं उसमें। जैसा जीविते पिता ने मुझे भेजा और मैं पिता के कारण जीवित हूँ वैसा ही वह भी जो मुझे खाएगा मेरे कारण जीवित रहेगा।
[156] इब्रानियों 8:7 क्योंकि यदि वह पहली वाचा निर्दोष होती, तो दूसरी के लिये अवसर न ढूँढ़ा जाता। पर परमेश्वर लोगों पर दोष लगाकर कहता है, “प्रभु कहता है, देखो वे दिन आते हैं, कि मैं इस्राएल के घराने के साथ, और यहूदा के घराने के साथ, नई वाचा बाँधूँगा यह उस वाचा के समान न होगी, जो मैंने उनके पूर्वजों के साथ उस समय बाँधी थी, जब मैं उनका हाथ पकड़कर उन्हें मिस्र देश से निकाल लाया, क्योंकि वे मेरी वाचा पर स्थिर न रहे, और मैंने उनकी सुधि न ली; प्रभु यही कहता है। फिर प्रभु कहता है, कि जो वाचा मैं उन दिनों के बाद इस्राएल के घराने के साथ बाँधूँगा, वह यह है, कि मैं अपनी व्यवस्था को उनके मनों में डालूँगा, और उसे उनके हृदय पर लिखूँगा, और मैं उनका परमेश्वर ठहरूँगा, और वे मेरे लोग ठहरेंगे।
[157] रोमियो 8:7 क्योंकि शरीर पर मन लगाना तो परमेश्वर से बैर रखना है, क्योंकि न तो परमेश्वर की व्यवस्था के अधीन है, और न हो सकता है। और जो शारीरिक दशा में हैं, वे परमेश्वर को प्रसन्न नहीं कर सकते। परन्तु जब कि परमेश्वर का आत्मा तुम में बसता है, तो तुम शारीरिक दशा में नहीं, परन्तु आत्मिक दशा में हो। यदि किसी में मसीह का आत्मा नहीं तो वह उसका जन नहीं।
[158] 1कुरिन्थियों 11:24 और धन्यवाद करके उसे तोड़ी, और कहा, “यह मेरी देह है, जो तुम्हारे लिये है: मेरे स्मरण के लिये यही किया करो।” इसी रीति से उसने बियारी के बाद कटोरा भी लिया, और कहा, “यह कटोरा मेरे लहू में नई वाचा है: जब कभी पीओ, तो मेरे स्मरण के लिये यही किया करो।” (लूका 22:20) क्योंकि जब कभी तुम यह रोटी खाते, और इस कटोरे में से पीते हो, तो प्रभु की मृत्यु को जब तक वह न आए, प्रचार करते हो।
[159] 2कुरिन्थियों 5:14 क्योंकि मसीह का प्रेम हमें विवश कर देता है; इसलिए कि हम यह समझते हैं, कि जब एक सब के लिये मरा तो सब मर गए। और वह इस निमित्त सब के लिये मरा, कि जो जीवित हैं, वे आगे को अपने लिये न जीएँ परन्तु उसके लिये जो उनके लिये मरा और फिर जी उठा।
[160] इब्रानियों 7:3 जिसका न पिता, न माता, न वंशावली है, जिसके न दिनों का आदि है और न जीवन का अन्त है; परन्तु परमेश्वर के पुत्र के स्वरूप ठहरकर वह सदा के लिए याजक बना रहता है।
[161] इब्रानियों 1:10 और यह कि, “हे प्रभु, आदि में तूने पृथ्वी की नींव डाली, और स्वर्ग तेरे हाथों की कारीगरी है। (भज. 102:25, उत्प. 1:1) वे तो नाश हो जाएँगे*; परन्तु तू बना रहेगा और वे सब वस्त्र के समान पुराने हो जाएँगे। और तू उन्हें चादर के समान लपेटेगा, और वे वस्त्र के समान बदल जाएँगे: पर तू वही है और तेरे वर्षों का अन्त न होगा।” (इब्रा. 13:8, भज. 102:25-26) और स्वर्गदूतों में से उसने किस से कभी कहा, “तू मेरे दाहिने बैठ, जब तक कि मैं तेरे बैरियों को तेरे पाँवों के नीचे की चौकी न कर दूँ?” (मत्ती 22:44, भज. 110:1)
[162] भजन संहिता 102:25 आदि में तूने पृथ्वी की नींव डाली, और आकाश तेरे हाथों का बनाया हुआ है। वह तो नाश होगा, परन्तु तू बना रहेगा; और वह सब कपड़े के समान पुराना हो जाएगा। तू उसको वस्त्र के समान बदलेगा, और वह मिट जाएगा; परन्तु तू वहीं है, और तेरे वर्षों का अन्त न होगा।
[163] 1कुरिन्थियों 8:6 तो भी हमारे निकट तो एक ही परमेश्वर है: अर्थात् पिता जिसकी ओर से सब वस्तुएँ हैं, और हम उसी के लिये हैं, और एक ही प्रभु है, अर्थात् यीशु मसीह जिसके द्वारा सब वस्तुएँ हुई, और हम भी उसी के द्वारा हैं। (यूह. 1:3, रोम. 11:36)
[164] प्रकाशित वाक्य 22:13 “मैं अल्फा और ओमेगा, पहला और अन्तिम, आदि और अन्त हूँ।” (यशा. 44:6, यशा. 48:12)
[165] कुलुस्सियों 1:17 और वही सब वस्तुओं में प्रथम है, और सब वस्तुएँ उसी में स्थिर रहती हैं। (प्रका. 1:8)
[166] यूहन्ना 1:3 सब कुछ उसी के द्वारा उत्पन्न हुआ और जो कुछ उत्पन्न हुआ है, उसमें से कोई भी वस्तु उसके बिना उत्पन्न न हुई।
[167] इब्रानियों 1:3 वह उसकी महिमा का प्रकाश, और उसके तत्व की छाप है, और सब वस्तुओं को अपनी सामर्थ्य के वचन से संभालता है: वह पापों को धोकर ऊँचे स्थानों पर महामहिमन् के दाहिने जा बैठा।
[168] कुलुस्सियों 3:11 उसमें न तो यूनानी रहा, न यहूदी, न खतना, न खतनारहित, न जंगली, न स्कूती, न दास और न स्वतंत्र केवल मसीह सब कुछ और सब में है*।
[169] फिलिप्पियों 2:6 जिसने परमेश्वर के स्वरूप में होकर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा। वरन् अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया*, और दास का स्वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया।
[170] इब्रानियों 1:2 पर इन अन्तिम दिनों में हम से अपने पुत्र के द्वारा बातें की, जिसे उसने सारी वस्तुओं का वारिस ठहराया और उसी के द्वारा उसने सारी सृष्टि भी रची है। (1 कुरि. 8:6, यूह. 1:3)
[171] लूका 20:13 तब दाख की बारी के स्वामी ने कहा, ‘मैं क्या करूँ? मैं अपने प्रिय पुत्र को भेजूँगा, क्या जाने वे उसका आदर करें।’ जब किसानों ने उसे देखा तो आपस में विचार करने लगे, ‘यह तो वारिस है; आओ, हम उसे मार डालें, कि विरासत हमारी हो जाए।’ और उन्होंने उसे दाख की बारी से बाहर निकालकर मार डाला: इसलिए दाख की बारी का स्वामी उनके साथ क्या करेगा?
[172] फिलिप्पियों 2:8 और मनुष्य के रूप में प्रगट होकर अपने आप को दीन किया, और यहाँ तक आज्ञाकारी रहा कि मृत्यु, हाँ, क्रूस की मृत्यु भी सह ली। इस कारण परमेश्वर ने उसको अति महान भी किया, और उसको वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्ठ है, कि जो स्वर्ग में और पृथ्वी पर और जो पृथ्वी के नीचे है; वे सब यीशु के नाम पर घुटना टेकें*, और परमेश्वर पिता की महिमा के लिये हर एक जीभ अंगीकार कर ले कि यीशु मसीह ही प्रभु है।
[173] भजन संहिता 2:2 यहोवा के और उसके अभिषिक्त के विरुद्ध पृथ्वी के राजागण मिलकर, और हाकिम आपस में षड्यंत्र रचकर, कहते हैं, (प्रका. 11:18, प्रेरि. 4:25,26, प्रका. 19:19) “आओ, हम उनके बन्धन तोड़ डालें*, और उनकी रस्सियों को अपने ऊपर से उतार फेंके।” वह जो स्वर्ग में विराजमान है, हँसेगा*, प्रभु उनको उपहास में उड़ाएगा।
[174] 1राजा 19:16 और इस्राएल का राजा होने को निमशी के पोते येहू का, और अपने स्थान पर नबी होने के लिये आबेल-महोला के शापात के पुत्र एलीशा का अभिषेक करना।
[175] व्यवस्थाविवरण 18:15 तेरा परमेश्वर यहोवा तेरे मध्य से, अर्थात् तेरे भाइयों में से मेरे समान एक नबी को उत्पन्न करेगा*; तू उसी की सुनना; (मत्ती 17:5, मर. 9:7, लूका 9:35)
[176] इब्रानियों 6:20 जहाँ यीशु ने मलिकिसिदक की रीति पर सदा काल का महायाजक बनकर, हमारे लिये अगुआ के रूप में प्रवेश किया है।
[177] प्रकाशित वाक्य 19:16 और उसके वस्त्र और जाँघ पर यह नाम लिखा है: “राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु।” (1 तीमु. 6:15)
[178] यशायाह 9:2 जो लोग अंधियारे में चल रहे थे* उन्होंने बड़ा उजियाला देखा; और जो लोग घोर अंधकार से भरे हुए मृत्यु के देश में रहते थे, उन पर ज्योति चमकी। (मत्ती 4:15,16, लूका 1:79)
[179] मत्ती 4:6 और उससे कहा, “यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो अपने आप को नीचे गिरा दे; क्योंकि लिखा है, ‘वह तेरे विषय में अपने स्वर्गदूतों को आज्ञा देगा, और वे तुझे हाथों हाथ उठा लेंगे; कहीं ऐसा न हो कि तेरे पाँवों में पत्थर से ठेस लगे*।’” (भज. 91:11-12)
[180] मत्ती 26:53 क्या तू नहीं समझता, कि मैं अपने पिता से विनती कर सकता हूँ, और वह स्वर्गदूतों की बारह सैन्य-दल से अधिक मेरे पास अभी उपस्थित कर देगा? परन्तु पवित्रशास्त्र की वे बातें कि ऐसा ही होना अवश्य है, कैसे पूरी होंगी?”
[181] कुलुस्सियों 1:20 और उसके क्रूस पर बहे हुए लहू के द्वारा मेल-मिलाप करके, सब वस्तुओं को उसी के द्वारा से अपने साथ मेल कर ले चाहे वे पृथ्वी पर की हों, चाहे स्वर्ग की।
[182] इब्रानियों 10:12 पर यह व्यक्ति तो पापों के बदले एक ही बलिदान सर्वदा के लिये चढ़ाकर परमेश्वर के दाहिने जा बैठा। और उसी समय से इसकी प्रतीक्षा कर रहा है, कि उसके बैरी उसके पाँवों के नीचे की चौकी बनें। (भज. 110:1)
[183] यूहन्ना 3:35 पिता पुत्र से प्रेम रखता है, और उसने सब वस्तुएँ उसके हाथ में दे दी हैं। जो पुत्र पर विश्वास करता है, अनन्त जीवन उसका है; परन्तु जो पुत्र की नहीं मानता, वह जीवन को नहीं देखेगा, परन्तु परमेश्वर का क्रोध उस पर रहता है।”
[184] मत्ती 19:16 और एक मनुष्य ने पास आकर उससे कहा, “हे गुरु, मैं कौन सा भला काम करूँ, कि अनन्त जीवन पाऊँ?” उसने उससे कहा, “तू मुझसे भलाई के विषय में क्यों पूछता है? भला तो एक ही है; पर यदि तू जीवन में प्रवेश करना चाहता है, तो आज्ञाओं को माना कर।” उसने उससे कहा, “कौन सी आज्ञाएँ?” यीशु ने कहा, “यह कि हत्या न करना, व्यभिचार न करना, चोरी न करना, झूठी गवाही न देना; अपने पिता और अपनी माता का आदर करना, और अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना*।”
[185] मत्ती 25:41 “तब वह बाईं ओर वालों से कहेगा, ‘हे श्रापित लोगों, मेरे सामने से उस अनन्त आग* में चले जाओ, जो शैतान और उसके दूतों के लिये तैयार की गई है।
[186] यूहन्ना 11:25 यीशु ने उससे कहा, “पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूँ*, जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तो भी जीएगा। और जो कोई जीवित है, और मुझ पर विश्वास करता है, वह अनन्तकाल तक न मरेगा। क्या तू इस बात पर विश्वास करती है?”
[187] लूका 12:4 “परन्तु मैं तुम से जो मेरे मित्र हो कहता हूँ, कि जो शरीर को मार सकते हैं और उससे ज्यादा और कुछ नहीं कर सकते, उनसे मत डरो। मैं तुम्हें चेतावनी देता हूँ कि तुम्हें किस से डरना चाहिए, मारने के बाद जिसको नरक में डालने का अधिकार है, उसी से डरो; वरन् मैं तुम से कहता हूँ उसी से डरो।
[188] इब्रानियों 10:28 जब कि मूसा की व्यवस्था का न माननेवाला दो या तीन जनों की गवाही पर, बिना दया के मार डाला जाता है। (व्य. 17:6, व्य. 19:15) तो सोच लो कि वह कितने और भी भारी दण्ड के योग्य ठहरेगा, जिस ने परमेश्वर के पुत्र को पाँवों से रौंदा, और वाचा के लहू को जिसके द्वारा वह पवित्र ठहराया गया था, अपवित्र जाना हैं, और अनुग्रह की आत्मा का अपमान किया। (इब्रा. 12:25) क्योंकि हम उसे जानते हैं, जिस ने कहा, “पलटा लेना मेरा काम है, मैं ही बदला दूँगा।” और फिर यह, कि “प्रभु अपने लोगों का न्याय करेगा।” (व्य. 32:35-36, भज. 135:14) जीविते परमेश्वर के हाथों में पड़ना भयानक बात है।
[189] मलाकी 3:5 “तब मैं न्याय करने को तुम्हारे निकट आऊँगा; और टोन्हों, और व्यभिचारियों, और झूठी शपथ खानेवालों के विरुद्ध, और जो मजदूर की मजदूरी को दबाते, और विधवा और अनाथों पर अंधेर करते, और परदेशी का न्याय बिगाड़ते, और मेरा भय नहीं मानते, उन सभी के विरुद्ध मैं तुरन्त साक्षी दूँगा, सेनाओं के यहोवा का यही वचन है। (याकू. 5:4)
[190] प्रकाशित वाक्य 20:12 फिर मैंने छोटे बड़े सब मरे हुओं को सिंहासन के सामने खड़े हुए देखा, और पुस्तकें खोली गई; और फिर एक और पुस्तक खोली गईं, अर्थात् जीवन की पुस्तक*; और जैसे उन पुस्तकों में लिखा हुआ था, उनके कामों के अनुसार मरे हुओं का न्याय किया गया। (दानि. 7:10) और समुद्र ने उन मरे हुओं को जो उसमें थे दे दिया, और मृत्यु और अधोलोक ने उन मरे हुओं को जो उनमें थे दे दिया; और उनमें से हर एक के कामों के अनुसार उनका न्याय किया गया।
[191] यूहन्ना 12:31 अब इस जगत का न्याय होता है, अब इस जगत का सरदार* निकाल दिया जाएगा। और मैं यदि पृथ्वी पर से ऊँचे पर चढ़ाया जाऊँगा, तो सब को अपने पास खीचूँगा।”
[192] यूहन्ना 16:11 न्याय के विषय में इसलिए कि संसार का सरदार दोषी ठहराया गया है। (यूह. 12:31)
[193] यूहन्ना 10:17 पिता इसलिए मुझसे प्रेम रखता है, कि मैं अपना प्राण देता हूँ, कि उसे फिर ले लूँ। कोई उसे मुझसे छीनता नहीं*, वरन् मैं उसे आप ही देता हूँ। मुझे उसके देने का अधिकार है, और उसे फिर लेने का भी अधिकार है। यह आज्ञा मेरे पिता से मुझे मिली है।”
[194] प्रकाशित वाक्य 1:17 जब मैंने उसे देखा, तो उसके पैरों पर मुर्दा सा गिर पड़ा* और उसने मुझ पर अपना दाहिना हाथ रखकर यह कहा, “मत डर; मैं प्रथम और अन्तिम हूँ, और जीवित भी मैं हूँ, (यशा. 44:6, दानि. 8:17) मैं मर गया था, और अब देख मैं युगानुयुग जीविता हूँ; और मृत्यु और अधोलोक की कुंजियाँ मेरे ही पास हैं। (रोम. 6:9, रोम. 14:9)
[195] 1कुरिन्थियों 15:25 क्योंकि जब तक कि वह अपने बैरियों को अपने पाँवों तले न ले आए, तब तक उसका राज्य करना अवश्य है। (भज. 110:1) सबसे अन्तिम बैरी जो नाश किया जाएगा वह मृत्यु है*।
[196] प्रकाशित वाक्य 20:14 और मृत्यु और अधोलोक भी आग की झील में डाले गए। यह आग की झील तो दूसरी मृत्यु है। और जिस किसी का नाम जीवन की पुस्तक में लिखा हुआ न मिला, वह आग की झील में डाला गया। (यूह. 3:36, 1 यूह. 5:11-12)
[197] प्रेरितों के काम 2:24 परन्तु उसी को परमेश्वर ने मृत्यु के बन्धनों से छुड़ाकर जिलाया: क्योंकि यह अनहोना था कि वह उसके वश में रहता। (2 शमू. 22:6, भज. 18:4, भज. 116:3)
[198] 1कुरिन्थियों 15:54 और जब यह नाशवान अविनाश को पहन लेगा, और यह मरनहार अमरता को पहन लेगा, तब वह वचन जो लिखा है, पूरा हो जाएगा, “जय ने मृत्यु को निगल लिया। (यशा. 25:8) हे मृत्यु तेरी जय कहाँ रहीं? हे मृत्यु तेरा डंक कहाँ रहा?” (होशे 13:14) मृत्यु का डंक पाप है; और पाप का बल व्यवस्था है।
[199] यशायाह 53:5 परन्तु वह हमारे ही अपराधों के कारण घायल किया गया, वह हमारे अधर्म के कामों के कारण कुचला गया; हमारी ही शान्ति के लिये उस पर ताड़ना पड़ी कि उसके कोड़े खाने से हम लोग चंगे हो जाएँ। (रोम. 4:25, 1 पत. 2:24) हम तो सबके सब भेड़ों के समान भटक गए थे; हम में से हर एक ने अपना-अपना मार्ग लिया; और यहोवा ने हम सभी के अधर्म का बोझ उसी पर लाद दिया। (प्रेरि. 10:43, 1 पत. 2:25)
[200] प्रेरितों के काम 2:38 पतरस ने उनसे कहा, “मन फिराओ, और तुम में से हर एक अपने-अपने पापों की क्षमा के लिये यीशु मसीह के नाम से बपतिस्मा ले; तो तुम पवित्र आत्मा का दान पाओगे।
[201] इब्रानियों 2:14 इसलिए जब कि बच्चे माँस और लहू के भागी हैं, तो वह आप भी उनके समान उनका सहभागी हो गया; ताकि मृत्यु के द्वारा उसे जिसे मृत्यु पर शक्ति मिली थी*, अर्थात् शैतान को निकम्मा कर दे, (रोम. 8:3, कुलु. 2:15) और जितने मृत्यु के भय के मारे जीवन भर दासत्व में फँसे थे, उन्हें छुड़ा ले। क्योंकि वह तो स्वर्गदूतों को नहीं वरन् अब्राहम के वंश को संभालता है। (गला. 3:29, यशा. 41:8-10)
[202] प्रकाशित वाक्य 6:9 जब उसने पाँचवी मुहर खोली, तो मैंने वेदी के नीचे उनके प्राणों को देखा, जो परमेश्वर के वचन के कारण, और उस गवाही के कारण जो उन्होंने दी थी, वध किए गए थे। और उन्होंने बड़े शब्द से पुकारकर कहा, “हे प्रभु, हे पवित्र, और सत्य; तू कब तक न्याय न करेगा? और पृथ्वी के रहनेवालों से हमारे लहू का पलटा कब तक न लेगा?” (प्रका. 16:5-6) और उनमें से हर एक को श्वेत वस्त्र दिया गया, और उनसे कहा गया, कि और थोड़ी देर तक विश्राम करो, जब तक कि तुम्हारे संगी दास और भाई जो तुम्हारे समान वध होनेवाले हैं, उनकी भी गिनती पूरी न हो ले।
[203] रोमियो 5:8 परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा।
[204] इफिसियों 5:2 और प्रेम में चलो जैसे मसीह ने भी तुम से प्रेम किया; और हमारे लिये अपने आप को सुखदायक सुगन्ध के लिये परमेश्वर के आगे भेंट करके बलिदान कर दिया। (यूह. 13:34, गला. 2:20)
[205] 1यूहन्ना 3:1 देखो, पिता ने हम से कैसा प्रेम किया है, कि हम परमेश्वर की सन्तान कहलाएँ, और हम हैं भी; इस कारण संसार हमें नहीं जानता, क्योंकि उसने उसे भी नहीं जाना।
[206] 1यूहन्ना 4:10 प्रेम इसमें नहीं कि हमने परमेश्वर से प्रेम किया पर इसमें है, कि उसने हम से प्रेम किया और हमारे पापों के प्रायश्चित के लिये अपने पुत्र को भेजा।
[207] भजन संहिता 49:7 उनमें से कोई अपने भाई को किसी भाँति छुड़ा नहीं सकता है; और न परमेश्वर को उसके बदले प्रायश्चित में कुछ दे सकता है क्योंकि उनके प्राण की छुड़ौती भारी है वह अन्त तक कभी न चुका सकेंगे
[208] गलातियों 3:13 मसीह ने जो हमारे लिये श्रापित बना, हमें मोल लेकर व्यवस्था के श्राप से छुड़ाया* क्योंकि लिखा है, “जो कोई काठ पर लटकाया जाता है वह श्रापित है।” (व्य. 21:23)
[209] यहेजकेल 18:10 “परन्तु यदि उसका पुत्र डाकू, हत्यारा, या ऊपर कहे हुए पापों में से किसी का करनेवाला हो, और ऊपर कहे हुए उचित कामों का करनेवाला न हो, और पहाड़ों के पूजा स्थलों पर भोजन किया हो, पराई स्त्री को बिगाड़ा हो, दीन दरिद्र पर अंधेर किया हो, औरों को लूटा हो, बन्धक न लौटाई हो, मूरतों की ओर आँख उठाई हो, घृणित काम किया हो, ब्याज पर रुपया दिया हो, और बढ़ती ली हो, तो क्या वह जीवित रहेगा? वह जीवित न रहेगा; इसलिए कि उसने ये सब घिनौने काम किए हैं वह निश्चय मरेगा और उसका खून उसी के सिर पड़ेगा।
[210] निर्गमन 34:7 हजारों पीढ़ियों तक निरन्तर करुणा करनेवाला, अधर्म और अपराध और पाप को क्षमा करनेवाला है, परन्तु दोषी को वह किसी प्रकार निर्दोष न ठहराएगा, वह पितरों के अधर्म का दण्ड उनके बेटों वरन् पोतों और परपोतों को भी देनेवाला है।”
[211] निर्गमन 12:13 और जिन घरों में तुम रहोगे उन पर वह लहू तुम्हारे निमित्त चिन्ह ठहरेगा; अर्थात् मैं उस लहू को देखकर तुमको छोड़ जाऊँगा, और जब मैं मिस्र देश के लोगों को मारूँगा, तब वह विपत्ति तुम पर न पड़ेगी और तुम नाश न होंगे।
[212] मत्ती 27:46 तीसरे पहर के निकट यीशु ने बड़े शब्द से पुकारकर कहा, “एली, एली, लमा शबक्तनी*?” अर्थात् “हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तूने मुझे क्यों छोड़ दिया?”
[213] प्रकाशित वाक्य 20:11 फिर मैंने एक बड़ा श्वेत सिंहासन और उसको जो उस पर बैठा हुआ है, देखा, जिसके सामने से पृथ्वी और आकाश भाग गए, और उनके लिये जगह न मिली। (मत्ती 25:31, भज. 47:8) फिर मैंने छोटे बड़े सब मरे हुओं को सिंहासन के सामने खड़े हुए देखा, और पुस्तकें खोली गई; और फिर एक और पुस्तक खोली गईं, अर्थात् जीवन की पुस्तक*; और जैसे उन पुस्तकों में लिखा हुआ था, उनके कामों के अनुसार मरे हुओं का न्याय किया गया। (दानि. 7:10)
[214] यूहन्ना 19:10 पिलातुस ने उससे कहा, “मुझसे क्यों नहीं बोलता? क्या तू नहीं जानता कि तुझे छोड़ देने का अधिकार मुझे है और तुझे क्रूस पर चढ़ाने का भी मुझे अधिकार है।” यीशु ने उत्तर दिया, “यदि तुझे ऊपर से न दिया जाता, तो तेरा मुझ पर कुछ अधिकार न होता; इसलिए जिस ने मुझे तेरे हाथ पकड़वाया है, उसका पाप अधिक है।”
[215] लूका 20:13 तब दाख की बारी के स्वामी ने कहा, ‘मैं क्या करूँ? मैं अपने प्रिय पुत्र को भेजूँगा, क्या जाने वे उसका आदर करें।’ जब किसानों ने उसे देखा तो आपस में विचार करने लगे, ‘यह तो वारिस है; आओ, हम उसे मार डालें, कि विरासत हमारी हो जाए।’ और उन्होंने उसे दाख की बारी से बाहर निकालकर मार डाला: इसलिए दाख की बारी का स्वामी उनके साथ क्या करेगा?
[216] इब्रानियों 9:13 क्योंकि जब बकरों और बैलों का लहू और बछिया की राख अपवित्र लोगों पर छिड़के जाने से शरीर की शुद्धता के लिये पवित्र करती है। (लैव्य. 16:14-16, लैव्य. 16:3, गिन. 19:9,17-19) तो मसीह का लहू जिस ने अपने आप को सनातन आत्मा के द्वारा परमेश्वर के सामने निर्दोष चढ़ाया, तुम्हारे विवेक को मरे हुए कामों से क्यों न शुद्ध करेगा, ताकि तुम जीविते परमेश्वर की सेवा करो। और इसी कारण वह नई वाचा का मध्यस्थ* है, ताकि उस मृत्यु के द्वारा जो पहली वाचा के समय के अपराधों से छुटकारा पाने के लिये हुई है, बुलाए हुए लोग प्रतिज्ञा के अनुसार अनन्त विरासत को प्राप्त करें।
[217] 1यूहन्ना 5:11 और वह गवाही यह है, कि परमेश्वर ने हमें अनन्त जीवन दिया है और यह जीवन उसके पुत्र में है। जिसके पास पुत्र है, उसके पास जीवन है; और जिसके पास परमेश्वर का पुत्र नहीं, उसके पास जीवन भी नहीं है।
[218] 1यूहन्ना 1:1 उस जीवन के वचन के विषय में जो आदि से था*, जिसे हमने सुना, और जिसे अपनी आँखों से देखा, वरन् जिसे हमने ध्यान से देखा और हाथों से छुआ। (यह जीवन प्रगट हुआ, और हमने उसे देखा, और उसकी गवाही देते हैं, और तुम्हें उस अनन्त जीवन का समाचार देते हैं जो पिता के साथ था और हम पर प्रगट हुआ)।
[219] मत्ती 15:25 पर वह आई, और उसे प्रणाम करके कहने लगी, “हे प्रभु, मेरी सहायता कर।” उसने उत्तर दिया, “बच्चों की* रोटी लेकर कुत्तों के आगे डालना अच्छा नहीं।” उसने कहा, “सत्य है प्रभु, पर कुत्ते भी वह चूरचार खाते हैं, जो उनके स्वामियों की मेज से गिरते हैं।”
[220] यूहन्ना 1:14 और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया, और हमने उसकी ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा। (1 यूह. 4:9)
[221] यूहन्ना 13:2 और जब शैतान शमौन के पुत्र यहूदा इस्करियोती के मन में यह डाल चुका था, कि उसे पकड़वाए, तो भोजन के समय
[222] उत्पत्ति 1:2 पृथ्वी बेडौल और सुनसान पड़ी थी, और गहरे जल के ऊपर अंधियारा था; तथा परमेश्वर का आत्मा जल के ऊपर मण्डराता था। (2 कुरि. 4:6) तब परमेश्वर ने कहा, “उजियाला हो*,” तो उजियाला हो गया।
[223] उत्पत्ति 2:15 तब यहोवा परमेश्वर ने आदम को लेकर* अदन की वाटिका में रख दिया, कि वह उसमें काम करे और उसकी रखवाली करे।
[224] उत्पत्ति 3:3 पर जो वृक्ष वाटिका के बीच में है, उसके फल के विषय में परमेश्वर ने कहा है कि न तो तुम उसको खाना और न ही उसको छूना, नहीं तो मर जाओगे।” तब सर्प ने स्त्री से कहा, “तुम निश्चय न मरोगे वरन् परमेश्वर आप जानता है कि जिस दिन तुम उसका फल खाओगे उसी दिन तुम्हारी आँखें खुल जाएँगी, और तुम भले बुरे का ज्ञान पाकर परमेश्वर के तुल्य हो जाओगे।”
[225] रोमियो 5:12 इसलिए जैसा एक मनुष्य के द्वारा पाप जगत में आया, और पाप के द्वारा मृत्यु आई, और इस रीति से मृत्यु सब मनुष्यों में फैल गई, क्योंकि सब ने पाप किया। (1 कुरि. 15:21-22)
[226] रोमियो 8:19 क्योंकि सृष्टि बड़ी आशाभरी दृष्टि से परमेश्वर के पुत्रों के प्रगट होने की प्रतीक्षा कर रही है। क्योंकि सृष्टि अपनी इच्छा से नहीं पर अधीन करनेवाले की ओर से व्यर्थता के अधीन इस आशा से की गई। कि सृष्टि भी आप ही विनाश के दासत्व से छुटकारा पा कर, परमेश्वर की सन्तानों की महिमा की स्वतंत्रता प्राप्त करेगी। क्योंकि हम जानते हैं, कि सारी सृष्टि अब तक मिलकर कराहती और पीड़ाओं में पड़ी तड़पती है।
[227] यूहन्ना 8:34 यीशु ने उनको उत्तर दिया, “मैं तुम से सच-सच कहता हूँ कि जो कोई पाप करता है, वह पाप का दास है।
[228] 2पतरस 2:19 वे उन्हें स्वतंत्र होने की प्रतिज्ञा तो देते हैं, पर आप ही सड़ाहट के दास हैं, क्योंकि जो व्यक्ति जिससे हार गया है, वह उसका दास बन जाता है।
[229] यशायाह 11:6 तब भेड़िया भेड़ के बच्चे के संग रहा करेगा, और चीता बकरी के बच्चे के साथ बैठा रहेगा, और बछड़ा और जवान सिंह और पाला पोसा हुआ बैल तीनों इकट्ठे रहेंगे, और एक छोटा लड़का उनकी अगुआई करेगा। गाय और रीछनी मिलकर चरेंगी*, और उनके बच्चे इकट्ठे बैठेंगे; और सिंह बैल के समान भूसा खाया करेगा। दूध-पीता बच्चा करैत के बिल पर खेलेगा, और दूध छुड़ाया हुआ लड़का नाग के बिल में हाथ डालेगा। मेरे सारे पवित्र पर्वत पर न तो कोई दुःख देगा और न हानि करेगा; क्योंकि पृथ्वी यहोवा के ज्ञान से ऐसी भर जाएगी जैसा जल समुद्र में भरा रहता है। इस्राएलियों का पुनः इकट्ठा होना
[230] होशे 4:1 हे इस्राएलियों, यहोवा का वचन सुनो; इस देश के निवासियों के साथ यहोवा का मुकद्दमा है। इस देश में न तो कुछ सच्चाई है, न कुछ करुणा और न कुछ परमेश्वर का ज्ञान ही है। (प्रका. 6:10) यहाँ श्राप देने, झूठ बोलने, वध करने, चुराने, और व्यभिचार करने को छोड़ कुछ नहीं होता; वे व्यवस्था की सीमा को लाँघकर कुकर्म करते हैं और खून ही खून होता रहता है।* इस कारण यह देश विलाप करेगा, और मैदान के जीव-जन्तुओं, और आकाश के पक्षियों समेत उसके सब निवासी कुम्हला जाएँगे; और समुद्र की मछलियाँ भी नाश हो जाएँगी।
[231] इब्रानियों 2:14 इसलिए जब कि बच्चे माँस और लहू के भागी हैं, तो वह आप भी उनके समान उनका सहभागी हो गया; ताकि मृत्यु के द्वारा उसे जिसे मृत्यु पर शक्ति मिली थी*, अर्थात् शैतान को निकम्मा कर दे, (रोम. 8:3, कुलु. 2:15) और जितने मृत्यु के भय के मारे जीवन भर दासत्व में फँसे थे, उन्हें छुड़ा ले। क्योंकि वह तो स्वर्गदूतों को नहीं वरन् अब्राहम के वंश को संभालता है। (गला. 3:29, यशा. 41:8-10)
[232] फिलिप्पियों 2:8 और मनुष्य के रूप में प्रगट होकर अपने आप को दीन किया, और यहाँ तक आज्ञाकारी रहा कि मृत्यु, हाँ, क्रूस की मृत्यु भी सह ली। इस कारण परमेश्वर ने उसको अति महान भी किया, और उसको वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्ठ है, कि जो स्वर्ग में और पृथ्वी पर और जो पृथ्वी के नीचे है; वे सब यीशु के नाम पर घुटना टेकें*, और परमेश्वर पिता की महिमा के लिये हर एक जीभ अंगीकार कर ले कि यीशु मसीह ही प्रभु है।
[233] लूका 20:13 तब दाख की बारी के स्वामी ने कहा, ‘मैं क्या करूँ? मैं अपने प्रिय पुत्र को भेजूँगा, क्या जाने वे उसका आदर करें।’ जब किसानों ने उसे देखा तो आपस में विचार करने लगे, ‘यह तो वारिस है; आओ, हम उसे मार डालें, कि विरासत हमारी हो जाए।’ और उन्होंने उसे दाख की बारी से बाहर निकालकर मार डाला: इसलिए दाख की बारी का स्वामी उनके साथ क्या करेगा?
[234] मत्ती 28:18 यीशु ने उनके पास आकर कहा, “स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार* मुझे दिया गया है।
[235] रोमियो 8:38 क्योंकि मैं निश्चय जानता हूँ, कि न मृत्यु, न जीवन, न स्वर्गदूत, न प्रधानताएँ, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ्य, न ऊँचाई, न गहराई और न कोई और सृष्टि, हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी।[time=creature][space=creature]
[236] कुलुस्सियों 1:16 क्योंकि उसी में सारी वस्तुओं की सृष्टि हुई, स्वर्ग की हो अथवा पृथ्वी की, देखी या अनदेखी, क्या सिंहासन, क्या प्रभुताएँ, क्या प्रधानताएँ, क्या अधिकार, सारी वस्तुएँ उसी के द्वारा और उसी के लिये सृजी गई हैं।
[237] प्रकाशित वाक्य 1:17 जब मैंने उसे देखा, तो उसके पैरों पर मुर्दा सा गिर पड़ा* और उसने मुझ पर अपना दाहिना हाथ रखकर यह कहा, “मत डर; मैं प्रथम और अन्तिम हूँ, और जीवित भी मैं हूँ, (यशा. 44:6, दानि. 8:17) मैं मर गया था, और अब देख मैं युगानुयुग जीविता हूँ; और मृत्यु और अधोलोक की कुंजियाँ मेरे ही पास हैं। (रोम. 6:9, रोम. 14:9)
[238] प्रकाशित वाक्य 20:14 और मृत्यु और अधोलोक भी आग की झील में डाले गए। यह आग की झील तो दूसरी मृत्यु है।
[239] इब्रानियों 1:2 पर इन अन्तिम दिनों में हम से अपने पुत्र के द्वारा बातें की, जिसे उसने सारी वस्तुओं का वारिस ठहराया और उसी के द्वारा उसने सारी सृष्टि भी रची है। (1 कुरि. 8:6, यूह. 1:3)
[240] प्रकाशित वाक्य 20:6 धन्य और पवित्र वह है, जो इस पहले पुनरुत्थान का भागी है, ऐसों पर दूसरी मृत्यु का कुछ भी अधिकार नहीं, पर वे परमेश्वर और मसीह के याजक होंगे, और उसके साथ हजार वर्ष तक राज्य करेंगे।
[241] 1कुरिन्थियों 15:25 क्योंकि जब तक कि वह अपने बैरियों को अपने पाँवों तले न ले आए, तब तक उसका राज्य करना अवश्य है। (भज. 110:1) सबसे अन्तिम बैरी जो नाश किया जाएगा वह मृत्यु है*।
[242] लूका 4:5 तब शैतान उसे ले गया और उसको पल भर में जगत के सारे राज्य दिखाए। और उससे कहा, “मैं यह सब अधिकार, और इनका वैभव तुझे दूँगा, क्योंकि वह मुझे सौंपा गया है, और जिसे चाहता हूँ, उसे दे सकता हूँ।
[243] आमोस 9:2 “क्योंकि चाहे वे खोदकर अधोलोक में उतर जाएँ*, तो वहाँ से मैं हाथ बढ़ाकर उन्हें लाऊँगा; चाहे वे आकाश पर चढ़ जाएँ, तो वहाँ से मैं उन्हें उतार लाऊँगा। चाहे वे कर्मेल में छिप जाएँ, परन्तु वहाँ भी मैं उन्हें ढूँढ़-ढूँढ़कर पकड़ लूँगा, और चाहे वे समुद्र की थाह में मेरी दृष्टि से ओट हों, वहाँ भी मैं सर्प को उन्हें डसने की आज्ञा दूँगा।
[244] अय्यूब 1:8 यहोवा ने शैतान से पूछा, “क्या तूने मेरे दास अय्यूब पर ध्यान दिया है? क्योंकि उसके तुल्य खरा और सीधा और मेरा भय माननेवाला और बुराई से दूर रहनेवाला मनुष्य और कोई नहीं है।” शैतान ने यहोवा को उत्तर दिया, “क्या अय्यूब परमेश्वर का भय बिना लाभ के मानता है? (प्रका. 12:10)
[245] यशायाह 9:6 क्योंकि हमारे लिये एक बालक उत्पन्न हुआ, हमें एक पुत्र दिया गया है; और प्रभुता उसके काँधे पर होगी*, और उसका नाम अद्भुत युक्ति करनेवाला पराक्रमी परमेश्वर, अनन्तकाल का पिता, और शान्ति का राजकुमार रखा जाएगा। (यूह. 1:45, इफि. 2:14)
[246] यहोशू 11:21 उस समय यहोशू ने पहाड़ी देश में आकर हेब्रोन, दबीर, अनाब, वरन् यहूदा और इस्राएल दोनों के सारे पहाड़ी देश में रहनेवाले अनाकियों को नाश किया; यहोशू ने नगरों समेत उनका सत्यानाश कर डाला। इस्राएलियों के देश में कोई अनाकी न रह गया; केवल गाज़ा, गत, और अश्दोद में कोई-कोई रह गए। जैसा यहोवा ने मूसा से कहा था, वैसा ही यहोशू ने वह सारा देश ले लिया; और उसे इस्राएल के गोत्रों और कुलों के अनुसार बाँट करके उन्हें दे दिया। और देश को लड़ाई से शान्ति मिली।
[247] लैव्यवस्था 18:24 “ऐसा-ऐसा कोई भी काम करके अशुद्ध न हो जाना, क्योंकि जिन जातियों को मैं तुम्हारे आगे से निकालने पर हूँ वे ऐसे-ऐसे काम करके अशुद्ध हो गई हैं; और उनका देश भी अशुद्ध हो गया है, इस कारण मैं उस पर उसके अधर्म का दण्ड देता हूँ, और वह देश अपने निवासियों को उगल देता है। इस कारण तुम लोग मेरी विधियों और नियमों को निरन्तर मानना, और चाहे देशी, चाहे तुम्हारे बीच रहनेवाला परदेशी हो, तुम में से कोई भी ऐसा घिनौना काम न करे; क्योंकि ऐसे सब घिनौने कामों को उस देश के मनुष्य जो तुम से पहले उसमें रहते थे, वे करते आए हैं, इसी से वह देश अशुद्ध हो गया है। अब ऐसा न हो कि जिस रीति से जो जाति तुम से पहले उस देश में रहती थी, उसको उसने उगल दिया, उसी रीति जब तुम उसको अशुद्ध करो, तो वह तुम को भी उगल दे। जितने ऐसा कोई घिनौना काम करें वे सब प्राणी अपने लोगों में से नष्ट किए जाएँ। यह आज्ञा जो मैंने तुम्हारे मानने को दी है, उसे तुम मानना, और जो घिनौनी रीतियाँ तुम से पहले प्रचलित हैं, उनमें से किसी पर न चलना, और न उनके कारण अशुद्ध हो जाना। मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।”
[248] इफिसियों 1:4 जैसा उसने हमें जगत की उत्पत्ति से पहले उसमें चुन लिया कि हम उसकी दृष्टि में पवित्र और निर्दोष हों। और प्रेम में उसने अपनी इच्छा के भले अभिप्राय के अनुसार हमें अपने लिये पहले से ठहराया कि यीशु मसीह के द्वारा हम उसके लेपालक पुत्र हों,
[249] इफिसियों 3:9 और सब पर यह बात प्रकाशित करूँ कि उस भेद का प्रबन्ध क्या है, जो सब के सृजनहार परमेश्वर में आदि से गुप्त था। ताकि अब कलीसिया के द्वारा, परमेश्वर का विभिन्न प्रकार का ज्ञान, उन प्रधानों और अधिकारियों पर, जो स्वर्गीय स्थानों में हैं प्रगट किया जाए। उस सनातन मनसा के अनुसार जो उसने हमारे प्रभु मसीह यीशु में की थीं।
[250] 1कुरिन्थियों 2:7 परन्तु हम परमेश्वर का वह गुप्त ज्ञान, भेद की रीति पर बताते हैं, जिसे परमेश्वर ने सनातन से हमारी महिमा के लिये ठहराया। जिसे इस संसार के हाकिमों में से किसी ने नहीं जाना, क्योंकि यदि जानते, तो तेजोमय प्रभु को क्रूस पर न चढ़ाते। (प्रेरि. 13:27)
[251] इफिसियों 1:9 उसने अपनी इच्छा का भेद, अपने भले अभिप्राय के अनुसार हमें बताया, जिसे उसने अपने आप में ठान लिया था, कि परमेश्वर की योजना के अनुसार, समय की पूर्ति होने पर, जो कुछ स्वर्ग में और जो कुछ पृथ्वी पर है, सब कुछ वह मसीह में एकत्र करे।
[252] यिर्मयाह 1:5 “गर्भ में रचने से पहले ही मैंने तुझ पर चित्त लगाया, और उत्पन्न होने से पहले ही मैंने तुझे अभिषेक किया; मैंने तुझे जातियों का भविष्यद्वक्ता ठहराया।” (गला 1:15)
[253] रोमियो 9:20 हे मनुष्य, भला तू कौन है, जो परमेश्वर का सामना करता है? क्या गढ़ी हुई वस्तु गढ़नेवाले से कह सकती है, “तूने मुझे ऐसा क्यों बनाया है?” क्या कुम्हार को मिट्टी पर अधिकार नहीं, कि एक ही लोंदे में से, एक बर्तन आदर के लिये, और दूसरे को अनादर के लिये बनाए? (यशा. 64:8)
[254] रोमियो 9:10 और केवल यही नहीं, परन्तु जब रिबका भी एक से अर्थात् हमारे पिता इसहाक से गर्भवती थी। (उत्प. 25:21) और अभी तक न तो बालक जन्मे थे, और न उन्होंने कुछ भला या बुरा किया था, इसलिए कि परमेश्वर की मनसा जो उसके चुन लेने के अनुसार है, कर्मों के कारण नहीं, परन्तु बुलानेवाले पर बनी रहे। उसने कहा, “जेठा छोटे का दास होगा।” (उत्प. 25:23) जैसा लिखा है, “मैंने याकूब से प्रेम किया, परन्तु एसाव को अप्रिय जाना।” (मला. 1:2-3)
[255] लूका 4:1 फिर यीशु पवित्र आत्मा से भरा हुआ, यरदन से लौटा; और आत्मा की अगुआई से जंगल में फिरता रहा; और चालीस दिन तक शैतान उसकी परीक्षा करता रहा*। उन दिनों में उसने कुछ न खाया और जब वे दिन पूरे हो गए, तो उसे भूख लगी।
[256] प्रकाशित वाक्य 20:1 फिर मैंने एक स्वर्गदूत को स्वर्ग से उतरते देखा; जिसके हाथ में अथाह कुण्ड की कुंजी*, और एक बड़ी जंजीर थी। और उसने उस अजगर, अर्थात् पुराने साँप को, जो शैतान है; पकड़कर हजार वर्ष के लिये बाँध दिया, (प्रका. 12:9) और उसे अथाह कुण्ड में डालकर बन्द कर दिया और उस पर मुहर कर दी, कि वह हजार वर्ष के पूरे होने तक जाति-जाति के लोगों को फिर न भरमाए। इसके बाद अवश्य है कि थोड़ी देर के लिये फिर खोला जाए।
[257] मलाकी 4:5 “देखो, यहोवा के उस बड़े और भयानक दिन के आने से पहले, मैं तुम्हारे पास एलिय्याह नबी को भेजूँगा। (मत्ती, 11:14, मत्ती, 17:11, मर. 9:12, लूका 1:17) और वह माता पिता के मन को उनके पुत्रों की ओर, और पुत्रों के मन को उनके माता-पिता की ओर फेरेगा; ऐसा न हो कि मैं आकर पृथ्वी को सत्यानाश करूँ।”
[258] 1कुरिन्थियों 6:2 क्या तुम नहीं जानते, कि पवित्र लोग* जगत का न्याय करेंगे? और जब तुम्हें जगत का न्याय करना है, तो क्या तुम छोटे से छोटे झगड़ों का भी निर्णय करने के योग्य नहीं? (दानि. 7:22) क्या तुम नहीं जानते, कि हम स्वर्गदूतों का न्याय करेंगे? तो क्या सांसारिक बातों का निर्णय न करे?
[259] यूहन्ना 2:19 यीशु ने उनको उत्तर दिया, “इस मन्दिर को ढा दो, और मैं इसे तीन दिन में खड़ा कर दूँगा।” यहूदियों ने कहा, “इस मन्दिर के बनाने में छियालीस वर्ष लगे हैं, और क्या तू उसे तीन दिन में खड़ा कर देगा?” परन्तु उसने अपनी देह के मन्दिर के विषय में कहा था।
[260] 1यूहन्ना 5:20 और यह भी जानते हैं, कि परमेश्वर का पुत्र आ गया है और उसने हमें समझ दी है, कि हम उस सच्चे को पहचानें, और हम उसमें जो सत्य है, अर्थात् उसके पुत्र यीशु मसीह में रहते हैं। सच्चा परमेश्वर और अनन्त जीवन यही है।
[261] यूहन्ना 5:43 मैं अपने पिता परमेश्वर के नाम से आया हूँ, और तुम मुझे ग्रहण नहीं करते; यदि कोई और अपने ही नाम से आए, तो उसे ग्रहण कर लोगे।
[262] 1कुरिन्थियों 3:16 क्या तुम नहीं जानते, कि तुम परमेश्वर का मन्दिर हो, और परमेश्वर का आत्मा तुम में वास करता है? यदि कोई परमेश्वर के मन्दिर को नाश करेगा तो परमेश्वर उसे नाश करेगा; क्योंकि परमेश्वर का मन्दिर पवित्र है, और वह तुम हो।
[263] निर्गमन 3:4 जब यहोवा ने देखा कि मूसा देखने को मुड़ा चला आता है, तब परमेश्वर ने झाड़ी के बीच से उसको पुकारा, “हे मूसा, हे मूसा!” मूसा ने कहा, “क्या आज्ञा।” उसने कहा, “इधर पास मत आ, और अपने पाँवों से जूतियों को उतार दे*, क्योंकि जिस स्थान पर तू खड़ा है वह पवित्र भूमि* है।” (प्रेरि. 7:33)
[264] निर्गमन 33:7 मूसा तम्बू को छावनी से बाहर* वरन् दूर खड़ा कराया करता था, और उसको मिलापवाला तम्बू कहता था। और जो कोई यहोवा को ढूँढ़ता वह उस मिलापवाले तम्बू के पास जो छावनी के बाहर था निकल जाता था।
यशायाह 14:13 तू मन में कहता तो था, मैं स्वर्ग पर चढूँगा*; मैं अपने सिंहासन को परमेश्वर के तारागण से अधिक ऊँचा करूँगा; और उत्तर दिशा की छोर पर सभा के पर्वत पर विराजूँगा; (मत्ती 11:23, लूका 10:15) मैं मेघों से भी ऊँचे-ऊँचे स्थानों के ऊपर चढूँगा, मैं परमप्रधान के तुल्य हो जाऊँगा।
[265] यशायाह 6:1 जिस वर्ष उज्जियाह राजा मरा, मैंने प्रभु को बहुत ही ऊँचे सिंहासन पर विराजमान देखा; और उसके वस्त्र के घेर से मन्दिर भर गया। (प्रका. 4:2,6, मत्ती 25:3, प्रका. 7:10) उससे ऊँचे पर साराप दिखाई दिए; उनके छः-छः पंख थे; दो पंखों से वे अपने मुँह को ढाँपे थे* और दो से अपने पाँवों को, और दो से उड़ रहे थे। और वे एक दूसरे से पुकार-पुकारकर कह रहे थे: “सेनाओं का यहोवा पवित्र, पवित्र, पवित्र है; सारी पृथ्वी उसके तेज से भरपूर है।” (प्रका. 4:8, प्रका. 15:8) और पुकारनेवाले के शब्द से डेवढ़ियों की नींवें डोल उठी, और भवन धुएँ से भर गया।
[266] निर्गमन 25:22 और मैं उसके ऊपर रहकर तुझसे मिला करूँगा; और इस्राएलियों के लिये जितनी आज्ञाएँ मुझको तुझे देनी होंगी, उन सभी के विषय मैं प्रायश्चित के ढकने के ऊपर से और उन करूबों के बीच में से, जो साक्षीपत्र के सन्दूक पर होंगे, तुझसे वार्तालाप किया करूँगा।
[267] भजन संहिता 139:2 तू मेरा उठना और बैठना जानता है; और मेरे विचारों को दूर ही से समझ लेता है। मेरे चलने और लेटने की तू भली-भाँति छानबीन करता है, और मेरी पूरी चालचलन का भेद जानता है। हे यहोवा, मेरे मुँह में ऐसी कोई बात नहीं जिसे तू पूरी रीति से न जानता हो।
[268] अय्यूब 34:14 यदि वह मनुष्य से अपना मन हटाये और अपना आत्मा और श्वास अपने ही में समेट ले, तो सब देहधारी एक संग नाश हो जाएँगे, और मनुष्य फिर मिट्टी में मिल जाएगा।
[269] निर्गमन 35:21 और जितनों को उत्साह हुआ, और जितनों के मन में ऐसी इच्छा उत्पन्न हुई थी, वे मिलापवाले तम्बू के काम करने और उसकी सारी सेवकाई और पवित्र वस्त्रों के बनाने के लिये यहोवा की भेंट ले आने लगे।
[270] यशायाह 1:16 अपने को धोकर पवित्र करो: मेरी आँखों के सामने से अपने बुरे कामों को दूर करो; भविष्य में बुराई करना छोड़ दो, (1 पत. 2:1, याकू. 4:8) भलाई करना सीखो; यत्न से न्याय करो, उपद्रवी को सुधारो; अनाथ का न्याय चुकाओ, विधवा का मुकद्दमा लड़ो।” यहोवा कहता है, “आओ*, हम आपस में वाद-विवाद करें: तुम्हारे पाप चाहे लाल रंग के हों, तो भी वे हिम के समान उजले हो जाएँगे; और चाहे अर्गवानी रंग के हों, तो भी वे ऊन के समान श्वेत हो जाएँगे। यदि तुम आज्ञाकारी होकर मेरी मानो,
[271] भजन संहिता 27:4 एक वर मैंने यहोवा से माँगा है, उसी के यत्न में लगा रहूँगा; कि मैं जीवन भर यहोवा के भवन में रहने पाऊँ, जिससे यहोवा की मनोहरता पर दृष्टि लगाए रहूँ, और उसके मन्दिर में ध्यान किया करूँ। (भज. 6:8, भज. 23:6, फिलि. 3:13)
[272] 2इतिहास 35:4 इस्राएल के राजा दाऊद और उसके पुत्र सुलैमान दोनों की लिखी हुई विधियों के अनुसार, अपने-अपने पितरों के अनुसार, अपने-अपने दल में तैयार रहो। तुम्हारे भाई लोगों के पितरों के घरानों के भागों के अनुसार पवित्रस्थान में खड़े रहो, अर्थात् उनके एक भाग के लिये लेवियों के एक-एक पितर के घराने का एक भाग हो। फसह के पशुओं को बलि करो, और अपने-अपने को पवित्र करके अपने भाइयों के लिये तैयारी करो कि वे यहोवा के उस वचन के अनुसार कर सके, जो उसने मूसा के द्वारा कहा था।”
[273] 2इतिहास 6:36 “निष्पाप तो कोई मनुष्य नहीं है यदि वे भी तेरे विरुद्ध पाप करें और तू उन पर कोप करके उन्हें शत्रुओं के हाथ कर दे, और वे उन्हें बन्दी बनाकर किसी देश को, चाहे वह दूर हो, चाहे निकट, ले जाएँ, तो यदि वे बँधुआई के देश में सोच विचार करें, और फिरकर अपने बन्दी बनानेवालों के देश में तुझसे गिड़गिड़ाकर कहें, हमने पाप किया, और कुटिलता और दुष्टता की है, इसलिए यदि वे अपनी बँधुआई के देश में जहाँ वे उन्हें बन्दी बनाकर ले गए हों अपने पूरे मन और सारे जीव से तेरी ओर फिरें, और अपने इस देश की ओर जो तूने उनके पुरखाओं को दिया था, और इस नगर की ओर जिसे तूने चुना है, और इस भवन की ओर जिसे मैंने तेरे नाम का बनाया है, मुँह किए हुए तुझसे प्रार्थना करें, तो तू अपने स्वर्गीय निवास-स्थान में से उनकी प्रार्थना और गिड़गिड़ाहट सुनना, और उनका न्याय करना और जो पाप तेरी प्रजा के लोग तेरे विरुद्ध करें, उन्हें क्षमा करना।
[274] निर्गमन 33:4 यह बुरा समाचार सुनकर वे लोग विलाप करने लगे; और कोई अपने गहने पहने हुए न रहा। क्योंकि यहोवा ने मूसा से कह दिया था, “इस्राएलियों को मेरा यह वचन सुना, तुम लोग तो हठीले हो; जो मैं पल भर के लिये तुम्हारे बीच होकर चलूँ, तो तुम्हारा अन्त कर डालूँगा। इसलिए अब अपने-अपने गहने अपने अंगों से उतार दो, कि मैं जानूँ कि तुम्हारे साथ क्या करना चाहिए।” तब इस्राएली होरेब पर्वत से लेकर आगे को अपने गहने उतारे रहे।
[275] प्रकाशित वाक्य 21:22 मैंने उसमें कोई मन्दिर न देखा, क्योंकि सर्वशक्तिमान प्रभु परमेश्वर, और मेम्ना उसका मन्दिर हैं।
[276] प्रकाशित वाक्य 22:3 फिर श्राप न होगा, और परमेश्वर और मेम्ने का सिंहासन उस नगर में होगा, और उसके दास उसकी सेवा करेंगे। (जक. 14:11) वे उसका मुँह देखेंगे*, और उसका नाम उनके माथों पर लिखा हुआ होगा।
[277] मत्ती 12:1 उस समय यीशु सब्त के दिन खेतों में से होकर जा रहा था, और उसके चेलों को भूख लगी, और वे बालें तोड़-तोड़ कर खाने लगे। फरीसियों ने यह देखकर उससे कहा, “देख, तेरे चेले वह काम कर रहे हैं, जो सब्त के दिन करना उचित नहीं।” उसने उनसे कहा, “क्या तुम ने नहीं पढ़ा, कि दाऊद ने, जब वह और उसके साथी भूखे हुए तो क्या किया? वह कैसे परमेश्वर के घर में गया, और भेंट की रोटियाँ* खाई, जिन्हें खाना न तो उसे और न उसके साथियों को, पर केवल याजकों को उचित था? या क्या तुम ने व्यवस्था में नहीं पढ़ा, कि याजक सब्त के दिन मन्दिर में सब्त के दिन की विधि को तोड़ने पर भी निर्दोष ठहरते हैं? (गिन. 28:9-10, यूह. 7:22-23) पर मैं तुम से कहता हूँ, कि यहाँ वह है, जो मन्दिर से भी महान है।
[278] 1यूहन्ना 3:9 जो कोई परमेश्वर से जन्मा है वह पाप नहीं करता; क्योंकि उसका बीज* उसमें बना रहता है: और वह पाप कर ही नहीं सकता, क्योंकि वह परमेश्वर से जन्मा है।
[279] लैव्यवस्था 16:1 जब हारून के दो पुत्र यहोवा के सामने समीप जाकर मर गए*, उसके बाद यहोवा ने मूसा से बातें की; और यहोवा ने मूसा से कहा, “अपने भाई हारून से कह कि सन्दूक के ऊपर के प्रायश्चितवाले ढकने के आगे, बीचवाले पर्दे के अन्दर, अति पवित्रस्थान में हर समय न प्रवेश करे, नहीं तो मर जाएगा; क्योंकि मैं प्रायश्चित वाले ढकने के ऊपर बादल में दिखाई दूँगा। (इब्रा. 6:19)
[280] यिर्मयाह 23:23 “यहोवा की यह वाणी है, क्या मैं ऐसा परमेश्वर हूँ, जो दूर नहीं, निकट ही रहता हूँ? (प्रेरि. 17:27) फिर यहोवा की यह वाणी है, क्या कोई ऐसे गुप्त स्थानों में छिप सकता है, कि मैं उसे न देख सकूँ? क्या स्वर्ग और पृथ्वी दोनों मुझसे परिपूर्ण नहीं हैं?
[281] 1कुरिन्थियों 6:19 क्या तुम नहीं जानते, कि तुम्हारी देह पवित्र आत्मा का मन्दिर है*; जो तुम में बसा हुआ है और तुम्हें परमेश्वर की ओर से मिला है, और तुम अपने नहीं हो? क्योंकि दाम देकर मोल लिये गए हो, इसलिए अपनी देह के द्वारा परमेश्वर की महिमा करो।
[282] मरकुस 16:17 और विश्वास करनेवालों में ये चिन्ह होंगे कि वे मेरे नाम से दुष्टात्माओं को निकालेंगे; नई-नई भाषा बोलेंगे; साँपों को उठा लेंगे, और यदि वे प्राणनाशक वस्तु भी पी जाएँ तो भी उनकी कुछ हानि न होगी; वे बीमारों पर हाथ रखेंगे, और वे चंगे हो जाएँगे।”
[283] मत्ती 28:18 यीशु ने उनके पास आकर कहा, “स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार* मुझे दिया गया है। इसलिए तुम जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ; और उन्हें पिता, और पुत्र, और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो,
[284] यूहन्ना 14:26 परन्तु सहायक अर्थात् पवित्र आत्मा जिसे पिता मेरे नाम से भेजेगा, वह तुम्हें सब बातें सिखाएगा, और जो कुछ मैंने तुम से कहा है, वह सब तुम्हें स्मरण कराएगा।”
[285] निर्गमन 23:20 “सुन, मैं एक दूत तेरे आगे-आगे भेजता हूँ जो मार्ग में तेरी रक्षा करेगा, और जिस स्थान को मैंने तैयार किया है उसमें तुझे पहुँचाएगा। उसके सामने सावधान रहना, और उसकी मानना, उसका विरोध न करना, क्योंकि वह तुम्हारा अपराध क्षमा न करेगा; इसलिए कि उसमें मेरा नाम रहता है।
[286] निर्गमन 3:2 और परमेश्वर के दूत* ने एक कटीली झाड़ी के बीच आग की लौ में उसको दर्शन दिया; और उसने दृष्टि उठाकर देखा कि झाड़ी जल रही है, पर भस्म नहीं होती। (मर. 12:26, लूका 20:37) तब मूसा ने कहा, “मैं उधर जाकर इस बड़े अचम्भे को देखूँगा कि वह झाड़ी क्यों नहीं जल जाती।” (प्रेरि. 7:30,31) जब यहोवा ने देखा कि मूसा देखने को मुड़ा चला आता है, तब परमेश्वर ने झाड़ी के बीच से उसको पुकारा, “हे मूसा, हे मूसा!” मूसा ने कहा, “क्या आज्ञा।”
[287] निर्गमन 25:20 और उन करूबों के पंख ऊपर से ऐसे फैले हुए बनें कि प्रायश्चित का ढकना उनसे ढपा रहे, और उनके मुख आमने-सामने और प्रायश्चित के ढकने की ओर रहें। और प्रायश्चित के ढकने को सन्दूक के ऊपर लगवाना; और जो साक्षीपत्र मैं तुझे दूँगा उसे सन्दूक के भीतर रखना। और मैं उसके ऊपर रहकर तुझसे मिला करूँगा; और इस्राएलियों के लिये जितनी आज्ञाएँ मुझको तुझे देनी होंगी, उन सभी के विषय मैं प्रायश्चित के ढकने के ऊपर से और उन करूबों के बीच में से, जो साक्षीपत्र के सन्दूक पर होंगे, तुझसे वार्तालाप किया करूँगा।
[288] यहेजकेल 1:24 उनके चलते समय उनके पंखों की फड़फड़ाहट की आहट मुझे बहुत से जल, या सर्वशक्तिमान की वाणी, या सेना के हलचल की सी सुनाई पड़ती थी; और जब वे खड़े होते थे, तब अपने पंख लटका लेते थे। (यहे. 10:5) फिर उनके सिरों के ऊपर जो आकाशमण्डल था, उसके ऊपर से एक शब्द सुनाई पड़ता था; और जब वे खड़े होते थे, तब अपने पंख लटका लेते थे। जो आकाशमण्डल उनके सिरों के ऊपर था, उसके ऊपर मानो कुछ नीलम का बना हुआ सिंहासन था; इस सिंहासन के ऊपर मनुष्य के समान* कोई दिखाई देता था। (प्रका. 1:13) उसकी मानो कमर से लेकर ऊपर की ओर मुझे झलकाया हुआ पीतल सा दिखाई पड़ा, और उसके भीतर और चारों ओर आग सी दिखाई पड़ती थी; फिर उस मनुष्य की कमर से लेकर नीचे की ओर भी मुझे कुछ आग सी दिखाई पड़ती थी; और उसके चारों ओर प्रकाश था। जैसे वर्षा के दिन बादल में धनुष दिखाई पड़ता है, वैसे ही चारों ओर का प्रकाश दिखाई देता था। यहोवा के तेज का रूप ऐसा ही था। और उसे देखकर, मैं मुँह के बल गिरा, तब मैंने एक शब्द सुना जैसे कोई बातें करता है। (यहे. 3:23)
[289] मलाकी 3:1 “देखो, मैं अपने दूत को भेजता हूँ, और वह मार्ग को मेरे आगे सुधारेगा, और प्रभु, जिसे तुम ढूँढ़ते हो, वह अचानक अपने मन्दिर में आ जाएगा; हाँ वाचा का वह दूत, जिसे तुम चाहते हो, सुनो, वह आता है, सेनाओं के यहोवा का यही वचन है। (मत्ती 11:3,10, मर. 1:2, लूका 1:17,76, लूका 7:19,27, यूह. 3:28)
लूका 7:27 यह वही है, जिसके विषय में लिखा है: ‘देख, मैं अपने दूत को तेरे आगे-आगे भेजता हूँ, जो तेरे आगे मार्ग सीधा करेगा।’ (मला. 3:1, यशा. 40:3)
[290] प्रेरितों के काम 10:25 जब पतरस भीतर आ रहा था, तो कुरनेलियुस ने उससे भेंट की, और उसके पाँवों पर गिरकर उसे प्रणाम किया। परन्तु पतरस ने उसे उठाकर कहा, “खड़ा हो, मैं भी तो मनुष्य ही हूँ।”
[291] गलातियों 4:13 पर तुम जानते हो, कि पहले पहल मैंने शरीर की निर्बलता के कारण तुम्हें सुसमाचार सुनाया। और तुम ने मेरी शारीरिक दशा को जो तुम्हारी परीक्षा का कारण थी, तुच्छ न जाना; न उसने घृणा की; और परमेश्वर के दूत वरन् मसीह के समान मुझे ग्रहण किया।
[292] प्रकाशित वाक्य 2:1 “इफिसुस की कलीसिया के स्वर्गदूत को यह लिख: “जो सातों तारे अपने दाहिने हाथ में लिए हुए है, और सोने की सातों दीवटों के बीच में फिरता है, वह यह कहता है:
[293] निर्गमन 16:8 फिर मूसा ने कहा, “यह तब होगा जब यहोवा सांझ को तुम्हें खाने के लिये माँस और भोर को रोटी मनमाने देगा; क्योंकि तुम जो उस पर बड़बड़ाते हो उसे वह सुनता है। और हम क्या हैं? तुम्हारा बुड़बुड़ाना हम पर नहीं यहोवा ही पर होता है।”
[294] मत्ती 23:8 परन्तु तुम रब्बी न कहलाना, क्योंकि तुम्हारा एक ही गुरु है: और तुम सब भाई हो। और पृथ्वी पर किसी को अपना पिता न कहना, क्योंकि तुम्हारा एक ही पिता है, जो स्वर्ग में है। और स्वामी भी न कहलाना, क्योंकि तुम्हारा एक ही स्वामी है, अर्थात् मसीह। जो तुम में बड़ा हो, वह तुम्हारा सेवक बने।
[295] न्यायियों 9:8 किसी युग में वृक्ष किसी का अभिषेक करके अपने ऊपर राजा ठहराने को चले; तब उन्होंने जैतून के वृक्ष से कहा, तू हम पर राज्य कर। तब जैतून के वृक्ष ने कहा, क्या मैं अपनी उस चिकनाहट को छोड़कर, जिससे लोग परमेश्वर और मनुष्य दोनों का आदर मान करते हैं, वृक्षों का अधिकारी होकर इधर-उधर डोलने को चलूँ?
[296] कुलुस्सियों 1:16 क्योंकि उसी में सारी वस्तुओं की सृष्टि हुई, स्वर्ग की हो अथवा पृथ्वी की, देखी या अनदेखी, क्या सिंहासन, क्या प्रभुताएँ, क्या प्रधानताएँ, क्या अधिकार, सारी वस्तुएँ उसी के द्वारा और उसी के लिये सृजी गई हैं। और वही सब वस्तुओं में प्रथम है, और सब वस्तुएँ उसी में स्थिर रहती हैं। (प्रका. 1:8)
[297] 1राजा 19:16 और इस्राएल का राजा होने को निमशी के पोते येहू का, और अपने स्थान पर नबी होने के लिये आबेल-महोला के शापात के पुत्र एलीशा का अभिषेक करना।
[298] फिलिप्पियों 2:6 जिसने परमेश्वर के स्वरूप में होकर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा। वरन् अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया*, और दास का स्वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया। और मनुष्य के रूप में प्रगट होकर अपने आप को दीन किया, और यहाँ तक आज्ञाकारी रहा कि मृत्यु, हाँ, क्रूस की मृत्यु भी सह ली।
[299] 1पतरस 3:22 वह स्वर्ग पर जाकर परमेश्वर के दाहिनी ओर है; और स्वर्गदूतों, अधिकारियों और सामर्थियों को उसके अधीन किए गए हैं। (इफि. 1:20-21, भज. 110:1)
[300] प्रकाशित वाक्य 19:15 जाति-जाति को मारने के लिये उसके मुँह से एक चोखी तलवार निकलती है, और वह लोहे का राजदण्ड लिए हुए उन पर राज्य करेगा, और वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर के भयानक प्रकोप की जलजलाहट की मदिरा के कुण्ड में दाख रौंदेगा। (प्रका. 2:27) और उसके वस्त्र और जाँघ पर यह नाम लिखा है: “राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु।” (1 तीमु. 6:15)
[301] यिर्मयाह 31:31 “फिर यहोवा की यह भी वाणी है, सुन, ऐसे दिन आनेवाले हैं जब मैं इस्राएल और यहूदा के घरानों से नई वाचा बाँधूँगा*। (मत्ती 26:28, लूका 22:20, 1 कुरि. 11:25,2 कुरि. 3:6, इब्रा. 8:8-9) वह उस वाचा के समान न होगी जो मैंने उनके पुरखाओं से उस समय बाँधी थी जब मैं उनका हाथ पकड़कर उन्हें मिस्र देश से निकाल लाया, क्योंकि यद्यपि मैं उनका पति था, तो भी उन्होंने मेरी वह वाचा तोड़ डाली। परन्तु जो वाचा मैं उन दिनों के बाद इस्राएल के घराने से बाँधूँगा, वह यह है: मैं अपनी व्यवस्था उनके मन में समवाऊँगा, और उसे उनके हृदय पर लिखूँगा; और मैं उनका परमेश्वर ठहरूँगा, और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे, यहोवा की यह वाणी है। (2 कुरि. 3:3, इब्रा. 8:10-11, रोम. 11:26,27)
[302] 2कुरिन्थियों 5:14 क्योंकि मसीह का प्रेम हमें विवश कर देता है; इसलिए कि हम यह समझते हैं, कि जब एक सब के लिये मरा तो सब मर गए। और वह इस निमित्त सब के लिये मरा, कि जो जीवित हैं, वे आगे को अपने लिये न जीएँ परन्तु उसके लिये जो उनके लिये मरा और फिर जी उठा।
[303] कुलुस्सियों 1:20 और उसके क्रूस पर बहे हुए लहू के द्वारा मेल-मिलाप करके, सब वस्तुओं को उसी के द्वारा से अपने साथ मेल कर ले चाहे वे पृथ्वी पर की हों, चाहे स्वर्ग की।
[304] रोमियो 6:2 कदापि नहीं! हम जब पाप के लिये मर गए* तो फिर आगे को उसमें कैसे जीवन बिताएँ? क्या तुम नहीं जानते कि हम सब जितनों ने मसीह यीशु का बपतिस्मा लिया तो उसकी मृत्यु का बपतिस्मा लिया? इसलिए उस मृत्यु का बपतिस्मा पाने से हम उसके साथ गाड़े गए, ताकि जैसे मसीह पिता की महिमा के द्वारा मरे हुओं में से जिलाया गया, वैसे ही हम भी नये जीवन के अनुसार चाल चलें।
[305] 1पतरस 1:12 उन पर यह प्रगट किया गया कि वे अपनी नहीं वरन् तुम्हारी सेवा के लिये ये बातें कहा करते थे, जिनका समाचार अब तुम्हें उनके द्वारा मिला जिन्होंने पवित्र आत्मा के द्वारा जो स्वर्ग से भेजा गया, तुम्हें सुसमाचार सुनाया, और इन बातों को स्वर्गदूत भी ध्यान से देखने की लालसा रखते हैं। इस कारण अपनी-अपनी बुद्धि की कमर बाँधकर, और सचेत रहकर उस अनुग्रह की पूरी आशा रखो, जो यीशु मसीह के प्रगट होने के समय तुम्हें मिलनेवाला है।
[306] प्रकाशित वाक्य 20:6 धन्य और पवित्र वह है, जो इस पहले पुनरुत्थान का भागी है, ऐसों पर दूसरी मृत्यु का कुछ भी अधिकार नहीं, पर वे परमेश्वर और मसीह के याजक होंगे, और उसके साथ हजार वर्ष तक राज्य करेंगे।
[307] यशायाह 48:12 “हे याकूब, हे मेरे बुलाए हुए इस्राएल, मेरी ओर कान लगाकर सुन! मैं वही हूँ, मैं ही आदि और मैं ही अन्त हूँ। निश्चय मेरे ही हाथ ने पृथ्वी की नींव डाली, और मेरे ही दाहिने हाथ ने आकाश फैलाया; जब मैं उनको बुलाता हूँ*, वे एक साथ उपस्थित हो जाते हैं।” (इब्रा. 1:10)
[308] अय्यूब 34:14 यदि वह मनुष्य से अपना मन हटाये और अपना आत्मा और श्वास अपने ही में समेट ले, तो सब देहधारी एक संग नाश हो जाएँगे, और मनुष्य फिर मिट्टी में मिल जाएगा।
[309] यशायाह 40:25 इसलिए तुम मुझे किसके समान बताओगे कि मैं उसके तुल्य ठहरूँ? उस पवित्र का यही वचन है। अपनी आँखें ऊपर उठाकर देखो, किसने इनको सिरजा? वह इन गणों को गिन-गिनकर निकालता, उन सबको नाम ले-लेकर बुलाता है? वह ऐसा सामर्थी और अत्यन्त बलवन्त है कि उनमें से कोई बिना आए नहीं रहता।
[310] उत्पत्ति 17:1 जब अब्राम निन्यानवे वर्ष का हो गया, तब यहोवा ने उसको दर्शन देकर कहा, “मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर हूँ; मेरी उपस्थिति में चल और सिद्ध होता जा।
[311] भजन संहिता 89:14 तेरे सिंहासन का मूल, धर्म और न्याय है; करुणा और सच्चाई तेरे आगे-आगे चलती है।
[312] उत्पत्ति 3:11 यहोवा परमेश्वर ने कहा, “किसने तुझे बताया कि तू नंगा है? जिस वृक्ष का फल खाने को मैंने तुझे मना किया था, क्या तूने उसका फल खाया है?”
[313] गलातियों 2:20 मैं मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाया गया हूँ, और अब मैं जीवित न रहा, पर मसीह मुझ में जीवित है: और मैं शरीर में अब जो जीवित हूँ तो केवल उस विश्वास से जीवित हूँ, जो परमेश्वर के पुत्र पर है, जिस ने मुझसे प्रेम किया, और मेरे लिये अपने आप को दे दिया।
[314] भजन संहिता 33:5 वह धर्म और न्याय से प्रीति रखता है; यहोवा की करुणा से पृथ्वी भरपूर है।
[315] रोमियो 13:10 प्रेम पड़ोसी की कुछ बुराई नहीं करता, इसलिए प्रेम रखना व्यवस्था को पूरा करना है।
[316] तीतुस 2:14 जिस ने अपने आप को हमारे लिये दे दिया, कि हमें हर प्रकार के अधर्म से छुड़ा ले, और शुद्ध करके अपने लिये एक ऐसी जाति बना ले जो भले-भले कामों में सरगर्म हो। (निर्ग. 19:5, व्य. 4:20, व्य. 7:6, व्य. 14:2, भज. 72:14, भज. 130:8, यहे. 37:23)
[317] कुलुस्सियों 1:20 और उसके क्रूस पर बहे हुए लहू के द्वारा मेल-मिलाप करके, सब वस्तुओं को उसी के द्वारा से अपने साथ मेल कर ले चाहे वे पृथ्वी पर की हों, चाहे स्वर्ग की।
[318] 1यूहन्ना 4:18 प्रेम में भय नहीं होता*, वरन् सिद्ध प्रेम भय को दूर कर देता है, क्योंकि भय का सम्बन्ध दण्ड से होता है, और जो भय करता है, वह प्रेम में सिद्ध नहीं हुआ।
[319] 2कुरिन्थियों 5:14 क्योंकि मसीह का प्रेम हमें विवश कर देता है; इसलिए कि हम यह समझते हैं, कि जब एक सब के लिये मरा तो सब मर गए। और वह इस निमित्त सब के लिये मरा, कि जो जीवित हैं, वे आगे को अपने लिये न जीएँ परन्तु उसके लिये जो उनके लिये मरा और फिर जी उठा।
[320] रोमियो 5:8 परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा।
[321] 1यूहन्ना 3:1 देखो, पिता ने हम से कैसा प्रेम किया है, कि हम परमेश्वर की सन्तान कहलाएँ, और हम हैं भी; इस कारण संसार हमें नहीं जानता, क्योंकि उसने उसे भी नहीं जाना।
[322] 1यूहन्ना 4:10 प्रेम इसमें नहीं कि हमने परमेश्वर से प्रेम किया पर इसमें है, कि उसने हम से प्रेम किया और हमारे पापों के प्रायश्चित के लिये अपने पुत्र को भेजा।
[323] यूहन्ना 14:15 “यदि तुम मुझसे प्रेम रखते हो, तो मेरी आज्ञाओं को मानोगे।
[324] यूहन्ना 13:34 मैं तुम्हें एक नई आज्ञा देता हूँ*, कि एक दूसरे से प्रेम रखो जैसा मैंने तुम से प्रेम रखा है, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो।
[325] मत्ती 11:3 “क्या आनेवाला तू ही है, या हम दूसरे की प्रतीक्षा करें?” यीशु ने उत्तर दिया, “जो कुछ तुम सुनते हो और देखते हो, वह सब जाकर यूहन्ना से कह दो। कि अंधे देखते हैं और लँगड़े चलते फिरते हैं, कोढ़ी शुद्ध किए जाते हैं और बहरे सुनते हैं, मुर्दे जिलाए जाते हैं, और गरीबों को सुसमाचार सुनाया जाता है।
[326] मत्ती 2:2 “यहूदियों का राजा जिसका जन्म हुआ है, कहाँ है? क्योंकि हमने पूर्व में उसका तारा देखा है और उसको झुककर प्रणाम करने आए हैं।” (गिन. 24:17) यह सुनकर हेरोदेस राजा और उसके साथ सारा यरूशलेम घबरा गया। और उसने लोगों के सब प्रधान याजकों और शास्त्रियों* को इकट्ठा करके उनसे पूछा, “मसीह का जन्म कहाँ होना चाहिए?”
[327] मत्ती 16:13 यीशु कैसरिया फिलिप्पी* के प्रदेश में आकर अपने चेलों से पूछने लगा, “लोग मनुष्य के पुत्र को क्या कहते हैं?” उन्होंने कहा, “कुछ तो यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला कहते हैं और कुछ एलिय्याह, और कुछ यिर्मयाह या भविष्यद्वक्ताओं में से कोई एक कहते हैं।” उसने उनसे कहा, “परन्तु तुम मुझे क्या कहते हो?” शमौन पतरस ने उत्तर दिया, “तू जीविते परमेश्वर का पुत्र मसीह है।”
[328] प्रेरितों के काम 2:36 अतः अब इस्राएल का सारा घराना निश्चय जान ले कि परमेश्वर ने उसी यीशु को जिसे तुम ने क्रूस पर चढ़ाया, प्रभु भी ठहराया और मसीह भी।”
[329] व्यवस्थाविवरण 18:15 तेरा परमेश्वर यहोवा तेरे मध्य से, अर्थात् तेरे भाइयों में से मेरे समान एक नबी को उत्पन्न करेगा*; तू उसी की सुनना; (मत्ती 17:5, मर. 9:7, लूका 9:35)
[330] लूका 7:47 “इसलिए मैं तुझ से कहता हूँ; कि इसके पाप जो बहुत थे, क्षमा हुए, क्योंकि इसने बहुत प्रेम किया; पर जिसका थोड़ा क्षमा हुआ है, वह थोड़ा प्रेम करता है।” और उसने स्त्री से कहा, “तेरे पाप क्षमा हुए।”
[331] यूहन्ना 18:36 यीशु ने उत्तर दिया, “मेरा राज्य इस जगत का नहीं, यदि मेरा राज्य इस जगत का होता, तो मेरे सेवक लड़ते, कि मैं यहूदियों के हाथ सौंपा न जाता: परन्तु अब मेरा राज्य यहाँ का नहीं।” पिलातुस ने उससे कहा, “तो क्या तू राजा है?” यीशु ने उत्तर दिया, “तू कहता है, कि मैं राजा हूँ; मैंने इसलिए जन्म लिया, और इसलिए जगत में आया हूँ कि सत्य पर गवाही दूँ जो कोई सत्य का है, वह मेरा शब्द सुनता है।” (1 यूह. 4:6)
[332] लूका 24:25 तब उसने उनसे कहा, “हे निर्बुद्धियों, और भविष्यद्वक्ताओं की सब बातों पर विश्वास करने में मन्दमतियों! क्या अवश्य न था, कि मसीह ये दुःख उठाकर अपनी महिमा में प्रवेश करे?” तब उसने मूसा से और सब भविष्यद्वक्ताओं से आरम्भ करके सारे पवित्रशास्त्रों में से, अपने विषय में की बातों का अर्थ, उन्हें समझा दिया। (यूह. 1:45, लूका 24:44, व्य. 18:15)
[333] 1कुरिन्थियों 15:25 क्योंकि जब तक कि वह अपने बैरियों को अपने पाँवों तले न ले आए, तब तक उसका राज्य करना अवश्य है। (भज. 110:1) सबसे अन्तिम बैरी जो नाश किया जाएगा वह मृत्यु है*।
[334] इब्रानियों 10:12 पर यह व्यक्ति तो पापों के बदले एक ही बलिदान सर्वदा के लिये चढ़ाकर परमेश्वर के दाहिने जा बैठा। और उसी समय से इसकी प्रतीक्षा कर रहा है, कि उसके बैरी उसके पाँवों के नीचे की चौकी बनें। (भज. 110:1) क्योंकि उसने एक ही चढ़ावे के द्वारा उन्हें जो पवित्र किए जाते हैं, सर्वदा के लिये सिद्ध कर दिया है।
[335] प्रेरितों के काम 13:29 और जब उन्होंने उसके विषय में लिखी हुई सब बातें पूरी की, तो उसे क्रूस पर से उतार कर कब्र में रखा। परन्तु परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया, और वह उन्हें जो उसके साथ गलील से यरूशलेम आए थे, बहुत दिनों तक दिखाई देता रहा; लोगों के सामने अब वे ही उसके गवाह हैं।
[336] यूहन्ना 5:43 मैं अपने पिता परमेश्वर के नाम से आया हूँ, और तुम मुझे ग्रहण नहीं करते; यदि कोई और अपने ही नाम से आए, तो उसे ग्रहण कर लोगे।
[337] इफिसियों 1:20 जो उसने मसीह के विषय में किया, कि उसको मरे हुओं में से जिलाकर स्वर्गीय स्थानों में अपनी दाहिनी ओर, (इब्रा. 10:22, भज. 110:1) सब प्रकार की प्रधानता, और अधिकार, और सामर्थ्य, और प्रभुता के, और हर एक नाम के ऊपर*, जो न केवल इस लोक में, पर आनेवाले लोक में भी लिया जाएगा, बैठाया; और सब कुछ उसके पाँवों तले कर दिया और उसे सब वस्तुओं पर शिरोमणि ठहराकर कलीसिया को दे दिया, (कुलु. 2:10, भज. 8:6)
[338] प्रेरितों के काम 5:30 हमारे पूर्वजों के परमेश्वर ने यीशु को जिलाया, जिसे तुम ने क्रूस पर लटकाकर मार डाला था। (व्य. 21:22-23) उसी को परमेश्वर ने प्रभु और उद्धारकर्ता ठहराकर, अपने दाहिने हाथ से सर्वोच्च किया, कि वह इस्राएलियों को मन फिराव और पापों की क्षमा प्रदान करे। (लूका 24:47) और हम इन बातों के गवाह हैं, और पवित्र आत्मा भी, जिसे परमेश्वर ने उन्हें दिया है, जो उसकी आज्ञा मानते हैं।”
[339] 1तीमुथियुस 5:24 कुछ मनुष्यों के पाप प्रगट हो जाते हैं, और न्याय के लिये पहले से पहुँच जाते हैं, लेकिन दूसरों के पाप बाद में दिखाई देते हैं। वैसे ही कुछ भले काम भी प्रगट होते हैं, और जो ऐसे नहीं होते, वे भी छिप नहीं सकते।
[340] प्रकाशित वाक्य 20:12 फिर मैंने छोटे बड़े सब मरे हुओं को सिंहासन के सामने खड़े हुए देखा, और पुस्तकें खोली गई; और फिर एक और पुस्तक खोली गईं, अर्थात् जीवन की पुस्तक*; और जैसे उन पुस्तकों में लिखा हुआ था, उनके कामों के अनुसार मरे हुओं का न्याय किया गया। (दानि. 7:10) और समुद्र ने उन मरे हुओं को जो उसमें थे दे दिया, और मृत्यु और अधोलोक ने उन मरे हुओं को जो उनमें थे दे दिया; और उनमें से हर एक के कामों के अनुसार उनका न्याय किया गया।
[341] 1कुरिन्थियों 4:5 इसलिए जब तक प्रभु न आए, समय से पहले किसी बात का न्याय न करो: वही तो अंधकार की छिपी बातें* ज्योति में दिखाएगा, और मनों के उद्देश्यों को प्रगट करेगा, तब परमेश्वर की ओर से हर एक की प्रशंसा होगी।
[342] दानिय्येल 12:3 तब बुद्धिमानों की चमक आकाशमण्डल की सी होगी, और जो बहुतों को धर्मी बनाते हैं, वे सर्वदा तारों के समान प्रकाशमान रहेंगे। (मत्ती 13:43)
[343] अय्यूब 2:3 यहोवा ने शैतान से पूछा, “क्या तूने मेरे दास अय्यूब पर ध्यान दिया है कि पृथ्वी पर उसके तुल्य खरा और सीधा और मेरा भय माननेवाला और बुराई से दूर रहनेवाला मनुष्य और कोई नहीं है? और यद्यपि तूने मुझे उसको बिना कारण सत्यानाश करने को उभारा, तो भी वह अब तक अपनी खराई पर बना है।” (अय्यूब 1:8) शैतान ने यहोवा को उत्तर दिया, “खाल के बदले खाल, परन्तु प्राण के बदले मनुष्य अपना सब कुछ दे देता है। इसलिए केवल अपना हाथ बढ़ाकर उसकी हड्डियाँ और माँस छू, तब वह तेरे मुँह पर तेरी निन्दा करेगा।”
[344] प्रकाशित वाक्य 16:5 और मैंने पानी के स्वर्गदूत को यह कहते सुना, “हे पवित्र, जो है, और जो था, तू न्यायी है और तूने यह न्याय किया। (प्रका. 11:17) क्योंकि उन्होंने पवित्र लोगों, और भविष्यद्वक्ताओं का लहू बहाया था, और तूने उन्हें लहू पिलाया*; क्योंकि वे इसी योग्य हैं।” फिर मैंने वेदी से यह शब्द सुना, “हाँ, हे सर्वशक्तिमान प्रभु परमेश्वर, तेरे निर्णय ठीक और सच्चे हैं।” (भज. 119:137, भज. 19:9)
[345] यूहन्ना 12:31 अब इस जगत का न्याय होता है, अब इस जगत का सरदार* निकाल दिया जाएगा। और मैं यदि पृथ्वी पर से ऊँचे पर चढ़ाया जाऊँगा, तो सब को अपने पास खीचूँगा।”
[346] लूका 22:19 फिर उसने रोटी ली, और धन्यवाद करके तोड़ी, और उनको यह कहते हुए दी, “यह मेरी देह है, जो तुम्हारे लिये दी जाती है: मेरे स्मरण के लिये यही किया करो।” इसी रीति से उसने भोजन के बाद कटोरा भी यह कहते हुए दिया, “यह कटोरा मेरे उस लहू में जो तुम्हारे लिये बहाया जाता है नई वाचा है। (निर्ग. 24:8, 1 कुरि. 11:25, मत्ती 26:28, जक. 9:11)
[347] प्रकाशित वाक्य 3:21 जो जय पाए, मैं उसे अपने साथ अपने सिंहासन पर बैठाऊँगा, जैसा मैं भी जय पा कर अपने पिता के साथ उसके सिंहासन पर बैठ गया।
[348] कुलुस्सियों 2:15 और उसने प्रधानताओं और अधिकारों को अपने ऊपर से उतार कर उनका खुल्लमखुल्ला तमाशा बनाया और क्रूस के कारण उन पर जय-जयकार की ध्वनि सुनाई।
[349] 2तीमुथियुस 1:10 पर अब हमारे उद्धारकर्ता मसीह यीशु के प्रगट होने के द्वारा प्रकाशित हुआ, जिस ने मृत्यु का नाश किया, और जीवन और अमरता को उस सुसमाचार के द्वारा प्रकाशमान कर दिया।
[350] कुलुस्सियों 1:18 वही देह, अर्थात् कलीसिया का सिर है; वही आदि है और मरे हुओं में से जी उठनेवालों में पहलौठा कि सब बातों में वही प्रधान ठहरे।
[351] प्रकाशित वाक्य 6:9 जब उसने पाँचवी मुहर खोली, तो मैंने वेदी के नीचे उनके प्राणों को देखा, जो परमेश्वर के वचन के कारण, और उस गवाही के कारण जो उन्होंने दी थी, वध किए गए थे। और उन्होंने बड़े शब्द से पुकारकर कहा, “हे प्रभु, हे पवित्र, और सत्य; तू कब तक न्याय न करेगा? और पृथ्वी के रहनेवालों से हमारे लहू का पलटा कब तक न लेगा?” (प्रका. 16:5-6) और उनमें से हर एक को श्वेत वस्त्र दिया गया, और उनसे कहा गया, कि और थोड़ी देर तक विश्राम करो, जब तक कि तुम्हारे संगी दास और भाई जो तुम्हारे समान वध होनेवाले हैं, उनकी भी गिनती पूरी न हो ले।
[352] प्रकाशित वाक्य 11:15 जब सातवें स्वर्गदूत ने तुरही फूँकी, तो स्वर्ग में इस विषय के बड़े-बड़े शब्द होने लगे: “जगत का राज्य हमारे प्रभु का और उसके मसीह का हो गया और वह युगानुयुग राज्य करेगा।” (दानि. 7:27, जक. 14:9) और चौबीसों प्राचीन जो परमेश्वर के सामने अपने-अपने सिंहासन पर बैठे थे, मुँह के बल गिरकर परमेश्वर को दण्डवत् करके, यह कहने लगे, “हे सर्वशक्तिमान प्रभु परमेश्वर, जो है और जो था*, हम तेरा धन्यवाद करते हैं कि तूने अपनी बड़ी सामर्थ्य को काम में लाकर राज्य किया है। (प्रका. 1:8) अन्यजातियों ने क्रोध किया, और तेरा प्रकोप आ पड़ा और वह समय आ पहुँचा है कि मरे हुओं का न्याय किया जाए, और तेरे दास भविष्यद्वक्ताओं और पवित्र लोगों को और उन छोटे-बड़ों को जो तेरे नाम से डरते हैं, बदला दिया जाए, और पृथ्वी के बिगाड़नेवाले नाश किए जाएँ।” (प्रका. 19:5) और परमेश्वर का जो मन्दिर स्वर्ग में है, वह खोला गया, और उसके मन्दिर में उसकी वाचा का सन्दूक दिखाई दिया, बिजलियाँ, शब्द, गर्जन और भूकम्प हुए, और बड़े ओले पड़े। (प्रका. 15:5)
[353] मत्ती 1:20 जब वह इन बातों की सोच ही में था तो परमेश्वर का स्वर्गदूत उसे स्वप्न में दिखाई देकर कहने लगा, “हे यूसुफ! दाऊद की सन्तान, तू अपनी पत्नी मरियम को अपने यहाँ ले आने से मत डर, क्योंकि जो उसके गर्भ में है, वह पवित्र आत्मा की ओर से है।
[354] लूका 12:50 मुझे तो एक बपतिस्मा लेना है; और जब तक वह न हो ले तब तक मैं कैसी व्यथा में रहूँगा!
[355] मत्ती 28:18 यीशु ने उनके पास आकर कहा, “स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार* मुझे दिया गया है।
[356] 2कुरिन्थियों 4:4 और उन अविश्वासियों के लिये, जिनकी बुद्धि को इस संसार के ईश्वर* ने अंधी कर दी है, ताकि मसीह जो परमेश्वर का प्रतिरूप है, उसके तेजोमय सुसमाचार का प्रकाश उन पर न चमके।
[357] यूहन्ना 5:35 वह तो जलता और चमकता हुआ दीपक था; और तुम्हें कुछ देर तक उसकी ज्योति में, मगन होना अच्छा लगा। परन्तु मेरे पास जो गवाही है, वह यूहन्ना की गवाही से बड़ी है: क्योंकि जो काम पिता ने मुझे पूरा करने को सौंपा है अर्थात् यही काम जो मैं करता हूँ, वे मेरे गवाह हैं, कि पिता ने मुझे भेजा है।
[358] इफिसियों 2:5 जब हम अपराधों के कारण मरे हुए थे, तो हमें मसीह के साथ जिलाया; अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है, और मसीह यीशु में उसके साथ उठाया, और स्वर्गीय स्थानों में उसके साथ बैठाया।
[359] मत्ती 12:28 पर यदि मैं परमेश्वर के आत्मा की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता हूँ, तो परमेश्वर का राज्य तुम्हारे पास आ पहुँचा है।
[360] निर्गमन 20:17 “तू किसी के घर का लालच न करना; न तो किसी की स्त्री का लालच करना, और न किसी के दास-दासी, या बैल गदहे का, न किसी की किसी वस्तु का लालच करना।” और सब लोग गरजने और बिजली और नरसिंगे के शब्द सुनते, और धुआँ उठते हुए पर्वत को देखते रहे, और देखके, काँपकर दूर खड़े हो गए; और वे मूसा से कहने लगे, “तू ही हम से बातें कर, तब तो हम सुन सकेंगे; परन्तु परमेश्वर हम से बातें न करे, ऐसा न हो कि हम मर जाएँ।”
[361] मत्ती 5:1 वह भीड़ को देखकर, पहाड़ पर चढ़ गया; और जब बैठ गया तो उसके चेले उसके पास आए। और वह अपना मुँह खोलकर उन्हें यह उपदेश देने लगा : “धन्य हैं वे, जो मन के दीन हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है।
[362] निर्गमन 3:2 और परमेश्वर के दूत* ने एक कटीली झाड़ी के बीच आग की लौ में उसको दर्शन दिया; और उसने दृष्टि उठाकर देखा कि झाड़ी जल रही है, पर भस्म नहीं होती। (मर. 12:26, लूका 20:37) तब मूसा ने कहा, “मैं उधर जाकर इस बड़े अचम्भे को देखूँगा कि वह झाड़ी क्यों नहीं जल जाती।” (प्रेरि. 7:30,31) जब यहोवा ने देखा कि मूसा देखने को मुड़ा चला आता है, तब परमेश्वर ने झाड़ी के बीच से उसको पुकारा, “हे मूसा, हे मूसा!” मूसा ने कहा, “क्या आज्ञा।”
[363] 1यूहन्ना 1:1 उस जीवन के वचन के विषय में जो आदि से था*, जिसे हमने सुना, और जिसे अपनी आँखों से देखा, वरन् जिसे हमने ध्यान से देखा और हाथों से छुआ। (यह जीवन प्रगट हुआ, और हमने उसे देखा, और उसकी गवाही देते हैं, और तुम्हें उस अनन्त जीवन का समाचार देते हैं जो पिता के साथ था और हम पर प्रगट हुआ)।
[364] यूहन्ना 1:18 परमेश्वर को किसी ने कभी नहीं देखा*, एकलौता पुत्र जो पिता की गोद में हैं, उसी ने उसे प्रगट किया।
[365] मत्ती 1:21 वह पुत्र जनेगी और तू उसका नाम यीशु* रखना, क्योंकि वह अपने लोगों का उनके पापों से उद्धार करेगा।”
[366] 1यूहन्ना 5:20 और यह भी जानते हैं, कि परमेश्वर का पुत्र आ गया है और उसने हमें समझ दी है, कि हम उस सच्चे को पहचानें, और हम उसमें जो सत्य है, अर्थात् उसके पुत्र यीशु मसीह में रहते हैं। सच्चा परमेश्वर और अनन्त जीवन यही है।
[367] व्यवस्थाविवरण 5:24 और तुम कहने लगे, हमारे परमेश्वर यहोवा ने हमको अपना तेज और अपनी महिमा दिखाई है, और हमने उसका शब्द आग के बीच में से आते हुए सुना; आज हमने देख लिया कि यद्यपि परमेश्वर मनुष्य से बातें करता है तो भी मनुष्य जीवित रहता है। (निर्ग. 19:19) अब हम क्यों मर जाएँ? क्योंकि ऐसी बड़ी आग से हम भस्म हो जाएँगे; और यदि हम अपने परमेश्वर यहोवा का शब्द फिर सुनें, तब तो मर ही जाएँगे। (इब्रा. 12:19) क्योंकि सारे प्राणियों में से कौन ऐसा है जो हमारे समान जीवित और अग्नि के बीच में से बोलते हुए परमेश्वर का शब्द सुनकर जीवित बचा रहे? (व्य. 4:33)
[368] इब्रानियों 1:1 पूर्व युग में परमेश्वर ने पूर्वजों से थोड़ा-थोड़ा करके और भाँति-भाँति से भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा बातें की, पर इन अन्तिम दिनों में हम से अपने पुत्र के द्वारा बातें की, जिसे उसने सारी वस्तुओं का वारिस ठहराया और उसी के द्वारा उसने सारी सृष्टि भी रची है। (1 कुरि. 8:6, यूह. 1:3)
[369] यहेजकेल 33:13 यदि मैं धर्मी से कहूँ कि तू निश्चय जीवित रहेगा, और वह अपने धर्म पर भरोसा करके कुटिल काम करने लगे, तब उसके धर्म के कामों में से किसी का स्मरण न किया जाएगा; जो कुटिल काम उसने किए हों वह उन्हीं में फँसा हुआ मरेगा।
[370] 2कुरिन्थियों 5:14 क्योंकि मसीह का प्रेम हमें विवश कर देता है; इसलिए कि हम यह समझते हैं, कि जब एक सब के लिये मरा तो सब मर गए। और वह इस निमित्त सब के लिये मरा, कि जो जीवित हैं, वे आगे को अपने लिये न जीएँ परन्तु उसके लिये जो उनके लिये मरा और फिर जी उठा।https://youtu.be/AupisuARmgQ?feature=shared
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